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मिचौंग चक्रवात बंगाल की खाड़ी के ऊपर घूम रहा है, लेकिन भारत के तटवर्ती इलाकों में इसका असर दिखना शुरू हो गया है. खासतौर से चेन्नई और उसके आसपास के इलाकों में भारी बारिश हो रही है. हालात ये हैं कि एयरपोर्ट बंद कर दिए गए हैं और सड़कों पर नाव चलानी पड़ रही है. फिलहाल ये आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ रहा है, जहां ये सोमवार देर शाम या मंगलवार सुबह तक पहुंच सकता है. इतिहास की बात करें तो भारत में पहला भीषण चक्रवात तकरीब 286 साल पहले आया था. NDMA के आंकड़ों के मुताबिक 1737 में आए इस चक्रवात का सबसे ज्यादा असर बंगाल के हुगली में देखा गया था जिसमें तकरीबन 3 लाख लोग मारे गए थे. इसके अलावा 1876 में बांग्लादेश में आए चक्रवात में तकरीबन ढाई लाख लोगों की जान गई थी. 1881 में चीन में भी एक ऐसा ही तूफान आया था जिसने तकरीबन तीन लाख लोगों की जान ले ली थी.
इस साल का छठवां चक्रवात
मिचौंग चक्रवात बंगाल की खाड़ी से उठा है, जो आंध्रप्रदेश से टकराने वाला है. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो यह हिंदमहासागर से उठा इस साल का छठवां ऐसा तूफान है जिसे कोई नाम दिया गया है. दरअसल विश्व मौसम संगठन के मानक के हिसाब नाम ऐसे चक्रवातों को दिया जाता है जिनकी गति 65 किमी प्रति घंटा से ज्यादा हो. इसी गति के हिसाब से ये तय किया जाता है कि आखिर कौन सा चक्रवात कितना खतरनाक है. इससे पहले इसी साल मई में मोचा, जून में बिपरजॉय, अक्टूबर में तेज और हामून, नवंबर में मिधिली और अब मिचौंग आया है.
बार-बार क्यों आते हैं साइक्लोन?
साइक्लोन का इतिहास सैंकड़ों वर्ष पुराना है, लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इसमें बढ़ोतरी हुई है. इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग माना जा रहा है. विश्व मौसम संगठन के विशेषज्ञों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से ही साइक्लोन आने का सिलसिला बढ़ा है, जिस तरह से तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. उस लिहाज से आने वाले बर्षों में साइक्लोन आने की संख्या और बढ़ने की संभावना है.
कैसे बनता है चक्रवात
तापमान हमेशा गर्म इलाकों में बनता है, चूंकि बंगाल की खाड़ी के आसपास समुद्र का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है, जो साइक्लोन की वजह बनता है. दरअसल जब गर्म हवा ऊपर की तरफ जाती है तो खाली जगह को भरने के लिए ठंडी हवा नीचे आती है, ये सिलसिला जब बढ़ जाता तो धीरे-धीरे ये साइक्लोन का रूप ले लेता है. जब ये हवा के साथ जमीन से टकराते हैं तो तेज हवा के साथ भारी बारिश होती है. खास बात ये है कि जमीन से टकराने के बाद ही ये कमजोर पड़ते हैं.
क्यों भारत के लिए खतरा बनते हैं साइक्लोन
ज्यादातर बड़े साइक्लोन भारतीय उप महाद्वीप में आते हैं, इसका सबसे बड़ा कारण यहां की भौगोलिक स्थिति है. दरअसल भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा है. ऐसे में इसका कोस्टल एरिया 7516 किमी तक फैला है. आबादी से लिहाज से देखें तो देश की तकरीबन 1 तिहाई आबादी तटीय इलाकों में रहती है. ऐसे में जब भी हिंद महासागर या अरब सागर में कोई चक्रवात बनता है तो वह भारत के लिए बड़ा खतरा बन जाता है. आंकड़ों के लिहाज से भी देखें तो भारतीय उपमहाद्वीप में आए 23 बड़े तूफानों में से तकरीबन 21 भारत से टकराए और नुकसान भी पहुंचाया.