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भारत को इजराइल से कई तरह की टेक्नोलॉजी मिली हैं. इसमें हथियार से लेकर रडार, कम्युनिकेशंस और एग्रीकल्चर तक की टेक्नोलॉजी शामिल हैं. अब इसी दोस्ती में एक और नया अध्याय जुड़ने जा रहा है और इजराइल की ही एक कंपनी भारत को वो तोहफा देने जा रही है, जिसे अपने यहां लाने की कोशिश भारत लंबे समय से कर रहा है. इजराइल की एक कंपनी भारत में पहली सेमीकंडक्टर की फैक्टरी लगा सकती है. इजराइल की सेमीकंडक्टर कंपनी टावर के प्रस्ताव पर गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया जाना है. अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो ये भारत में सेमीकंडक्टर बनाने वाली यानी चिप फैब्रिकेशन की पहली यूनिट होगी. इससे चिप मेकिंग में भारत चीन को चुनौती दे सकेगा. भारत को ये तोहफा ताइवान से होने वाले निवेश से बहुत पहले मिल जाएगा.
होगा 83,000 करोड़ का निवेश
इस प्रोजेक्ट पर करीब 9 से 10 अरब डॉलर (करीब 83,000 करोड़ रुपए) का निवेश होने की उम्मीद है. इसमें से 50 प्रतिशत राशि के बराबर केंद्र सरकार ‘इंडियन सेमीकंडक्टर मिशन’ (ISM) सब्सिडी देगा. जबकि राज्य सरकारें इसके लिए 15-25 प्रतिशत की अतिरिक्त सब्सिडी भी देंगी.
ताइवान के प्लान को भी मंजूरी
इसके अलावा कैबिनेट भारत के एचसीएल ग्रुप और ताइवान के फॉक्सकॉन ग्रुप के जॉइंट वेंचर की योजना को भी मंजूर कर सकता है. ये दोनों कंपनियां भारत में एक ‘आउटसोर्सड एसेंबली और टेस्टिंग यूनिट’ (OSAT) लगाना चाहती हैं. जबकि कैबिनेट की बैठक में आज टाटा ग्रुप की सेमीकंडक्टर बनाने की योजना पर भी काम हो सकता है. इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से ईटी ने खबर दी है कि इसे लेकर सरकार के पास 4 से 5 प्रस्ताव हैं, कैबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा हो सकती है. भारत लंबे समय से देश के अंदर ही सेमीकंडक्टर बनाने की कोशिश कर रहा है. इस मामले में भारत का लक्ष्य आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ एक्सपोर्ट करने का भी है. इतना ही नहीं इसके लिए भारत सरकार ने पीएलआई स्कीम के तहत भी बड़ी राशि का आवंटन किया है.