TRAI application: जयपुर: राजस्थान में आपके मोबाइल में किसी का नम्बर सेव नहीं है, लेकिन कॉल आने पर स्क्रीन पर उसका नाम नजर आता है। यह निजी मोबाइल एप्लीकेशन ट्रू-कॉलर के जरिए पता चल रहा है। इसमें वह नाम दर्शित होता है, जिसे एप्लीकेशन सिस्टम ने किसी दूसरे उपभोक्ता के मोबाइल से लेकर अपने डाटा बैंक में सेव कर लिया। भले ही वह उसका वास्तविक नाम नहीं हो। इसका फायदा फ्रॉड करने वाले लोग जमकर उठा रहे हैं। मोबाइल उपभोक्ताओं को ऐसी स्थिति से बचाने के लिए अब भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) एप्लीकेशन डवलप कर रहा है। जिसके जरिए उपभोक्ता को कॉल करने वाले का वास्तविक नाम पता चल सकेगा। सिम जिस नाम से रजिस्टर्ड है, वही नजर आएगा। इसका ट्रायल शुरू हो गया। हरियाणा के बाद राजस्थान का नम्बर आएगा।ट्रायल सफल होता है तो संभवतया अगले तीन से चार माह में लोगों को यह सुविधा मिल सकेगी। हालांकि, इस प्रक्रिया में उपभोक्ता से अनुमति का विकल्प भी रखने पर मंथन चल रहा है।
कुछ लोगों को मिलेगी छूट:
ट्राई के अनुसार वीआईपी, सेलिब्रिटी, राजनीतिक दल के बड़े नेता, मंत्री व अन्य ऐसे लोग जिनका नाम और नम्बर पता लगने से उन्हें परेशानी या उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है, उन्हें इस प्रक्रिया से दूर रखा जाएगा। ट्राई का मानना है कि थर्ड पार्टी एप्लीकेशन का उपयोग करने से पहले उपभोक्ता को कई तरह अनुमति देने की बंदिश होती है।