नई दिल्ली: नीट और यूजीसी-नेट में कथित तौर पर अनियमितताओं को लेकर चल रहा विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस बीच, में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को यूजीसी-नेट 2024 को रद्द करने का आदेश जारी करना पड़ा। गृह मंत्रालय की साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (14 सी) की नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट को गड़बड़ी की जानकारी मिली।
जिसके बाद सरकार को परीक्षा की पारदर्शिता और पवित्रता को बनाने के लिए परीक्षा कैंसिल करना पड़ा। अब दोबारा परीक्षा को आयोजित किया जाएगा। दूसरी तरफ, सरकार ने यह भी तय किया है कि परीक्षा में हुई धांधली की सीबीआई से जांच होगी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस परीक्षा में 11 लाख से ज्यादा उम्मीदवार शामिल हुए थे। लेकिन, जिनकी वजह से परीक्षा रद्द हुई, उनपर एंटी-पेपर लीक’ कानून कार्रवाई के तहत होगी? या नहीं?
क्या है यह एंटी-पेपर लीक’ कानून:
नेट-यूजीसी, एनईईटी, रेलवे भर्ती, यूपीएसएसएससी जैसी किसी भी परीक्षा में पेपर लीक संबंधी धांधली होने पर आरोपियों के खिलाफ मोदी सरकार ने एंटी-पेपर लीक कानून का गठन किया। इसी कानून के तहत आरोपियों पर सख्त से सख्त एक्शन लिया जाएगा।खास बात यह है कि सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 के नाम से जाना जाने वाला यह ‘पेपर लीक विरोधी’ विधेयक पहली बार 5 फरवरी, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था। इसे 6 फरवरी को लोकसभा में और 9 फरवरी, 2024 को राज्यसभा में पारित किया गया था। उसी महीने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को मंजूरी दी और यह कानून बन गया। इसके के पीछे का विचार सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकना था।