पिथौरागढ़। रिपोर्ट टाइम्स।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि स्कूली शिक्षा केवल तभी फलदायी है जब उसका उपयोग समाज के लिए होता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई शिक्षा का इस्तेमाल नहीं करना जानता है तो उसे उसका कोई खास लाभ नहीं है. अनेक महान व्यक्तियों के ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने स्कूल में शिक्षा हासिल न करने के बावजूद समाज को महत्वपूर्ण दिशा दिखाई.
‘केवल 10 फीसदी युवाओं को नौकरियां ही दे सकती हैं सरकारें’
संघ प्रमुख ने आगे कहा कि दुनिया में कोई सरकार युवाओं को केवल 10 फीसदी नौकरियां ही दे सकती हैं जबकि बाकी लोगों के रोजगार या फिर व्यवसाय समाज की मजबूती से पैदा होते हैं. हमारा प्रदेश अतीत में समृद्ध रहा है और समाज की मजबूती के साथ भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा. यह समाज ही है जो हमें सिखाता है कि एक उद्देश्यपूर्ण जीवन को कैसे जिया जाता है
विद्या भारती मॉडल को बढ़ावा देने की अपील
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को शिक्षा के विद्या भारती मॉडल को बढ़ावा देना चाहिए जो न केवल उसे या उसके परिवार की बेहतरी के लिए बल्कि पूरे समाज की भलाई के लिए शिक्षा प्रदान करता है. संस्कार ही समाज को मजबूती देते हैं और समाज ही सर्वोपरि होता है.
ऋषियों की तपस्या का फल आसपास के लोगों को मिलता है
आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि उत्तराखंड तपोभूमि है. जहां, सालभर हजारों ऋषि तपस्या करते रहते हैं, लेकिन उनकी तपस्या का फल हमेशा आसपास रहने वाले दूसरे लोगों को आलोकित करता है. संघ प्रमुख उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के दौरे पर हैं और वह शनिवार रात को चंपावत से पिथौरागढ़ पहुंचे हैं.