डूंगरपुर। रिपोर्ट टाइम्स।
गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल इलाके डूंगरपुर में मोरन नदी के तट पर खड़गदा गांव में रिवर फ्रंट तैयार किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नदियों और जल संरक्षण से प्रेरित होकर रामकथा व्यास पीठ के माध्यम से इस जन भागीदारी से रिवर फ्रंट बनाया जा रहा है.
इसी सिलसिले में शनिवार को खड़गदा गांव में मोरन नदी का विकास करने के लिए चल रही श्रीराम कथा में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल शामिल हुए. उन्होंने जल संचयन के इस महाअभियान के तहत बन रहे मोरन नदी घाट के निर्माण का अवलोकन किया.
इस दौरान सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि मोरन नदी इस इलाके की जीवनरेखा के समान है और यहां के बाशिंदों ने जिस तरह इस नदी को फिर से जिंदा करने का बीड़ा उठाया है जिसके लिए मैं सभी गांव के लोगों को और शास्त्री को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं और आभार व्यक्त करता हूं.
मालूम हो कि खड़गदा में बन रहा रिवर फ्रंट पूरी तरह से लोगों के जनसहयोग से बनाया जा रहा है जहां इस 2 हजार मीटर लंबे और 500 मीटर चौड़े रिवर फ्रंट पर अब तक 2.5 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गया है. दरअसल गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट में सरकार ने बड़े बजट से नदी का कायाकल्प किया था लेकिन डूंगरपुर के खड़गदा गांव में इसी तर्ज पर मोरन नदी रिवर फ्रंट का काम पूरी तरह जनसहयोग से पिछले 8 महीनों से चल रहा है.
“जन भागीदारी से जल संचय बहुत बड़ा काम”
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि पीएम मोदी ने जलसंचय के लिए जो काम किया वो दुनिया के सामने एक उदाहरण है. देश के विकास में पानी की भागीदारी सर्वाधिक है और देश की मोदी सरकार तथा प्रदेश सरकार पानी की समस्या के समाधान के लिए लगातार प्रतिबद्ध है.
सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले राजस्थान की पानी की समस्या की तरफ ध्यान दिया औऱ पीएम मोदी के मार्गदर्शन में हम उसी दिशा में आगे बढ़े जिसका परिणाम है ईआरसीपी योजना का काम आगे बढ़ सका क्योंकि सालों से इस पर राजनीति हो रही थी. शेखावाटी में हमनें यमुना समझौता किया.
“पारंपरिक जल स्त्रोतों का संरक्षण बहुत जरूरी”
उन्होंने बताया कि देवास स्कीम से हमनें डूंगरपुर और आसपास के इलाकों में पानी पहुंचाने का काम किया. माही बांध योजना से बांसवाड़ा और आदिवासी अंचल के लोगों की सिंचाई और पेयजल उपलब्ध करवाया. वहीं खड़गदा में हुए काम पर कहा कि जन भागीदारी से जल संचय बहुत बड़ा काम है. यहां के लोगों ने देश को एक संदेश दिया है कि स्थानीय पारंपरिक जल स्त्रोतों का संरक्षण किया जाना बहुत जरूरी है.
“वागड़ की धरती उगलेगी सोना”
सीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने हाल में केंद्र सरकार ने पीकेसी-ईआरसीपी योजना की सौगात प्रदेश के लोगों को दी है जिससे 40 फीसदी से अधिक लोगों के पेयजल की समस्या दूर होगी.
उन्होंने बताया कि मेरे मन में डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ इन इलाकों के लिए एक जो कल्पना है उसको लेकर मैं लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि यहां जो जल संचयन का काम चल रहा है उसके लिए हमारी सरकार के पूरे द्वार खुले हैं और इस अभियान से हमारे वागड़ की धरती सोना उगल सकती है.