जयपुर। रिपोर्ट टाइम्स।
राजस्थान की सियासत में इन दिनों एक नई बहस छिड़ गई है। मुद्दा है परीक्षा के दौरान ब्राह्मण छात्रों से कथित तौर पर जनेऊ उतरवाने का, जिस पर कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को निशाने पर लेते हुए इसे सरकार को बदनाम करने की साजिश करार दिया। शर्मा ने कहा, “हमारे मुख्यमंत्री खुद जनेऊधारी पंडित हैं, उनके राज में किसी ब्राह्मण की जनेऊ उतर जाए तो क्या बचता है? यह मुख्यमंत्री को बदनाम करने का षड्यंत्र है।”
शर्मा के इस बयान ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर सरकार पर धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने के आरोप लग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे सीएम की छवि खराब करने की साजिश बता रहा है। सवाल यह है कि क्या सच में सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है या फिर यह प्रशासनिक लापरवाही का मामला है?
परीक्षा के दौरान जनेऊ उतरवाने का मामला
राजस्थान के विभिन्न जिलों में 27 और 28 फरवरी को आयोजित राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (REET) के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर कई जगहों पर अजीबो-गरीब घटनाएं हुईं। डूंगरपुर जिले में दो ब्राह्मण अभ्यर्थियों के जनेऊ उतरवाए गए। यह घटना तब सामने आई जब परीक्षा केंद्र पर सुरक्षा कर्मियों ने इन अभ्यर्थियों से जनेऊ उतरवाने की कोशिश की। दोनों अभ्यर्थियों ने इसे अपने धार्मिक संस्कार से जुड़ा मामला बताते हुए जनेऊ नहीं उतारा, जिसके बाद उन्हें परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं दिया गया और मजबूरी में उन्होंने जनेऊ पेड़ पर टांग दिया।
विप्र फाउंडेशन का विरोध…कार्रवाई की मांग
जनेऊ उतरवाने पर विप्र फाउंडेशन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और जिला कलेक्टर से शिकायत की। फाउंडेशन ने कहा कि जनेऊ ब्राह्मण समाज का एक महत्वपूर्ण संस्कार है और इसका नकल से कोई संबंध नहीं है। इसके बावजूद सुरक्षा कर्मियों द्वारा यह कार्रवाई की गई, जिससे ब्राह्मण समाज में गहरा रोष फैल गया। कलेक्टर ने इस मामले की जांच के आदेश दिए और रिपोर्ट आने के बाद परीक्षा केंद्र की सुपरवाइजर सुनीता कुमारी को सस्पेंड कर दिया।
सुपरवाइजर के खिलाफ कार्रवाई
जनेऊ उतरवाने की घटना के बाद डूंगरपुर जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह ने इस मामले की विभागीय जांच शुरू की और संबंधित सुपरवाइजर के खिलाफ कार्रवाई की। फाउंडेशन ने यह भी कहा कि सरकार ने कभी भी जनेऊ उतरवाने का आदेश नहीं दिया, लेकिन फिर भी यह विवाद खड़ा हुआ।
राजनीतिक बयान…बवाल
जहां एक ओर सरकार पर धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने के आरोप लगाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे मुख्यमंत्री की छवि खराब करने की साजिश मानता है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह प्रशासनिक लापरवाही का मामला है या फिर सचमुच सरकार को बदनाम करने की कोई कोशिश की जा रही है?