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बिहार: 5 सेकेंड…घड़-घड़ की आवाज और मची चीख-पुकार, रघुनाथपुर ट्रेन हादसे की इनसाइड स्टोरी

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11 अक्टूबर, दिन बुधवार, रात के साढ़े 9 बजे का वक्त…रघुनाथपुर स्टेशन पर सन्नाटा था. प्लेटफॉर्म पर 10-15 की संख्या में कुछ यात्री बैठे थे, जो कि ट्रेन के आने का इंतजार कर रहे थे. स्टेशन के आसपास की कुछ दुकानें खुली थीं. रेलवे फाटक के पास टेंपो वाले सवारियों के आने का इंतजार कर रहे थे. तभी ठीक 9 बजकर 53 मिनट पर एक तेज रफ्तार में ट्रेन आई, फिर कुछ सेकेंड के अंदर ही स्टेशन पर चीख-पुकार मचने लगी. स्थानीय लोग दौड़े-दौड़े मौके पर पहुंचे, जिनमें कुछ टेंपो चालक भी थे. पता चला कि नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस ट्रेन डिरेल हुई है. जैसे ही इस हादसे का पता आसपास के गांवों के लोगों को चला, भागे-भागे रघुनाथपुर स्टेशन पहुंचे. स्थानीय प्रशासन भी तत्काल मौके पर आया. पास में ही ब्रह्मपुर थाना पड़ता है. यहां से पुलिस की एक टीम भी पहुंची. लोग ट्रेन की बोगियों में फंसे लोगों को निकालने में जुट गए.

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पटरियां उखड़ीं, कुछ डिब्बे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त

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नॉर्थ ईस्ट एक्स के 21 कोच पटरियों से उतर आए थे, वहीं दो से तीन डिब्बे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए. पटरियां उखड़ चुकी थीं. एक कोच तो डिरेल होकर स्टेशन के पास बने घर के लगभग पास पहुंच गया, ऐसा लगा कि घर ही पूरा ध्वस्त हो जाएगा. घर में मौजूद लोग सहम गए. इस हादसे में प्लेटफॉर्म नंबर 3 को भी नुकसान पहुंचा है. हालांकि, इंजन ट्रैक से डिरेल जरूर हुआ, लेकिन वह खड़ा रहा. उसके आगे के पहिए बाहर निकल आए थे.

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ट्रेन हादसे की कहानी यात्री की जुबानी

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ट्रेन में यात्रा कर रहे एक यात्री ने बताया कि यह हादसा इतना अचानक हुआ कि किसी को भी कुछ भी सोचने-समझने का वक्त नहीं मिला. लगभग 5 सेकेंड में सबकुछ हो गया. ट्रेन से अचानक घड़-घड़ की आवाज आई. बस इतना ही याद है, फिर वह बेहोश हो गया. उसकी आंख अस्पताल में ही जाकर खुली.

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बोगियों से लोगों के कराहने की आवाजें आ रही थीं

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स्थानीय पत्रकार मनीष कुमार मिश्रा ने बताया कि जब वह मौके पर पहुंचे तो भयावह मंजर था. ट्रेन की बोगियों से लोगों के कराहने की आवाजें आ रही थीं. कुछ शव तो ट्रैक पर भी पड़े थे. एक महिला का शव बीच से कट गया था. हालांकि, प्रशासन ने काफी तत्परता दिखाई. मौके पर पहुंची बचाव टीम ने बचाव कार्य को तेजी से अंजाम दिया. प्रशासन इस हादसे में 4 लोगों की मौत की बात कर रहा है, लेकिन यह आंकड़ा और बढ़ सकता है.

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क्या हादसे के पीछे असामाजिक तत्वों का हाथ?

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मौके पर पहुंचे स्थानीय पत्रकारों ने आशंका जताई है कि इस हादसे के पीछे असामाजिक तत्व भी हो सकते हैं. सभवत: ट्रैक पर लोहे का सामान रखकर ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई हो. वहीं, कुछ पत्रकारों का मानना था कि शायद पटरियों के नट बोल्ट लूज हो गए हों या ड्राइवर को ही कोई तकनीकी दिक्कत हुई हो…खैर, यह हादसा क्यों हुआ? रेलवे के अधिकारी ही सही वजह का पता लगा पाएंगे.

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स्थानीय प्रशासन तत्पर नजर आया

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इस हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन तत्पर नजर आया. जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने सभी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट रहने को कह दिया था. डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों तक को वापस ड्यूटी पर बुलाया गया. कुछ घायलों का इलाज रघुनाथपुर स्थित स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया. वहीं, कुछ को जिले के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया.वहीं, जो गंभीर रूप से घायल हैं, उन्हें एम्स भेजे जाने की सूचना है.

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