Report Times
Other

गर्मी और बढ़ा सकती है हिटवेव , बन रही लगातार 2 बार लू आने की वजह- नई स्टडी में दावा

REPORT TIMES झुलसाती गर्मी और चढ़ते पारे की वजह से आम जनजीवन भले ही अस्त -व्यस्त हो जाए लेकिन इसमें राहत की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है. एक नया रिसर्च सामने आया है जिसमें यह समस्या काफी बढ़ती दिख रही है. एक नए रिसर्च में कहा गया है कि हीटवेव अगले हीटवेव के लिए अनुकूल वातावरण की स्थितियां पैदा कर सकती है, जिससे लगातार दो बार भीषण गर्मी यानी लू पड़ने की संभावना बढ़ सकती है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) बॉम्बे और जर्मनी के जोहान्स गुटेनबर्ग-यूनिवर्सिटी मेंज के रिसर्चर्स की एक टीम ने इस बात पर गौर किया कि मार्च और अप्रैल 2022 के दौरान दक्षिण एशिया में एक के बाद एक भीषण गर्मी की घटनाएं क्यों हुईं?

भारत और पाकिस्तान समेत पूरे क्षेत्र में साल के उस समय के लिए तापमान असाधारण तौर पर काफी बढ़ गया, जो सामान्य औसत से 3-8 डिग्री सेल्सियस अधिक था. झुलसाती मौसम की लंबी अवधि मई महीने में भी जारी रही.

लगातार अधिक तीव्र होती जा रही हीटवेव

जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च: एटमॉस्फियर में प्रकाशित रिसर्च के निष्कर्षों में “चिंताजनक पैटर्न” दिखाया, जिसके अनुसार अगली हीटवेव अधिक तीव्र होती जा रही है. रिपोर्ट के अनुसार, पहली हीटवेव की अत्यधिक गर्मी मिट्टी से नमी को हटा देती है, जिससे यह सूख जाती है. अत्यधिक सूखापन वायुमंडलीय प्रक्रियाओं के चक्र को बढ़ा सकता है, जिससे अगला दौर और भी खराब हो सकता है.

रिसर्च की सह-लेखिका और आईआईटी बॉम्बे में एसोसिएट प्रोफेसर, अर्पिता मंडल मौसम में बदलते स्तर पर बताती हैं, “इसे इस तरह से सोचें – जब मिट्टी में नमी होती है, तो साफ आसमान की स्थिति में, सूर्य की कुछ ऊर्जा हवा को गर्म करने की जगह उस नमी को वाष्पित करने में चली जाती है.” उन्होंने आगे कहा, “लेकिन जब मिट्टी पहले से ही सूखी होती है, तो वह सारी ऊर्जा सीधे हवा को गर्म करने में चली जाती है.”

रिसर्च में क्या आया सामने

मार्च और अप्रैल की हीटवेव की तुलना करते हुए, रिसर्च टीम ने अपने अध्ययन में पाया कि हर हीटवेव एक अलग वायुमंडलीय प्रक्रिया (Atmospheric Process) द्वारा संचालित थी- पहली उच्च ऊंचाई (High Altitudes) पर हवाओं द्वारा और दूसरी शुष्क मिट्टी की स्थिति द्वारा, जो पूर्व के परिणामस्वरूप बनी थी.

आईआईटी बॉम्बे के प्रमुख लेखक रोशन झा ने कहा, “हमारा अध्ययन यह दिखाता है कि मार्च की हीटवेव मुख्य रूप से अल्पकालिक वायुमंडलीय रॉस्बी वेब्स (Atmospheric Rossby Waves) के आयाम में अचानक वृद्धि से जुड़ी थी, जो उच्च ऊंचाई वाली हवाओं में बड़े पैमाने पर घुमावदार हैं, जो घुमावदार नदी में मोड़ की तरह हैं.”

अधिक गर्मी के साथ हवा के पैटर्न में भी बदलाव

रिसर्च लिखने वालों बताया कि खासतौर पर ये शुष्क स्थितियां आंशिक रूप से मार्च की पिछली हीटवेव द्वारा बनाई गई थीं, जिसने पहले ही उच्च तापमान और साफ आसमान के कारण जमीन को सुखा दिया था. उन्होंने लिखा, “हमारे रिसर्च यह बताते हैं कि भूमध्य रेखा की ओर ऊर्जा हस्तांतरण के साथ वेवगाइड इंटरैक्शन मार्च में जल्दी गर्मी को बढ़ाता है, जिसके बाद मिट्टी की नमी के स्तर को कम करके अगले हफ्तों में और अधिक गर्मी के लिए मंच तैयार होता है.”

आईआईटी बॉम्बे के चेयर प्रोफेसर सुबिमल घोष के अनुसार, हाल के दिनों में भविष्य में अधिक गर्मी पड़ने के साथ-साथ, हवा के पैटर्न भी प्रभावित होते रहते हैं और इन परिवर्तनों की पहचान करने से भविष्य की हीटवेव के प्रभावों की बेहतर भविष्यवाणी करने और उन्हें कम करने में मदद मिलती है. घोष ने आगे कहा, “दक्षिण एशिया में अत्यधिक गर्मी की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने और उनके लिए तैयारी करने की हमारी क्षमता में सुधार के लिए इन तंत्रों को समझना बेहद है.”

करीब 2 साल पहले साल 2023 में एनवायरनमेंटल रिसर्च क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित एक एट्रिब्यूशन स्टडी के अनुसार, मार्च और अप्रैल 2022 की अत्यधिक गर्मी की घटनाओं के 100 सालों में एक बार होने की संभावना है, हालांकि जलवायु परिवर्तन ने इन घटनाओं को 30 गुना अधिक संभावित बना दिया है.

Related posts

कुत्ते के आगे जानवर बना इंसान ! सरेआम डंडे से सिर पर ताबड़तोड़ वार…तड़पकर वहीं तोड़ा दम

Report Times

विधानसभा में विपक्ष का धरना जारी कांग्रेस की क्या है अगली रणनीति ?

Report Times

13 साल की कैंसर पीड़िता से रेप, जांच में निकली गर्भवती

Report Times

Leave a Comment