REPORT TIMES : नई दिल्ली: स्वामी रामभद्राचार्य की संत प्रेमानंद पर की गई टिप्पणी से संत समाज में रोष व्याप्त है. कई प्रमुख संतों ने इस बयान पर कड़ा विरोध जताया है, इसे सनातन धर्म की एकता के लिए हानिकारक करार दिया. संतों का मानना है कि ऐसी टिप्पणियां अनावश्यक विवाद उत्पन्न करती हैं और समाज, विशेष रूप से युवा पीढ़ी, पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं.
‘ऐसे बयान नहीं दिए जाने चाहिए’
संत प्रेमानंद पर आध्यात्मिक नेता स्वामी रामभद्राचार्य की टिप्पणी पर हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास ने कहा कि दोनों महान संत हैं और ऐसे बयान नहीं दिए जाने चाहिए.आध्यात्मिक गुरु स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा संत प्रेमानंद पर की गई टिप्पणी पर संत दिनेश फलाहारी महाराज ने कहा कि प्रेमानंद महाराज जी एक बहुत महान और दिव्य संत हैं. रामभद्राचार्य द्वारा दिया गया बयान बहुत गलत है. ऐसे संत के प्रति ऐसी द्वेष भावना रखना वास्तव में गहरी चिंता का विषय है.
आध्यात्मिक गुरु स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा संत प्रेमानंद पर की गई टिप्पणी पर अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव महंत केशव स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि जो संस्कृत का जानकार है, वह स्वतः ही चमत्कारी होगा, या केवल चमत्कार से ही संस्कृत का ज्ञान हो सकता है.
संत प्रेमानंद पर आध्यात्मिक नेता स्वामी रामभद्राचार्य की टिप्पणी पर, आचार्य मधुसूदन महाराज ने कहा कि प्रेमानंद महाराज के बारे में श्री रामभद्राचार्य महाराज की टिप्पणी, कि वह विद्वान नहीं हैं, चमत्कारी नहीं हैं, और कुछ भी नहीं जानते हैं, पूरी तरह से निराधार और निंदनीय हैं.
संत प्रेमानंद पर आध्यात्मिक नेता स्वामी रामभद्राचार्य की टिप्पणी पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती जी महाराज का कहना है, “रामभद्राचार्य हमेशा कुछ न कुछ विवाद पैदा करते रहते हैं. यह उनकी आदत बन गई है. उन्हें इस तरह नहीं बोलना चाहिए…”
प्रेमानंद महाराज पर रामभद्राचार्य ने क्या कहा था?
रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज के लिए कहा कि यह कोई चमत्कार नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रेमानंद जी उनके लिए एक बालक के समान हैं. रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को चुनौती देते हुए कहा, “चमत्कार अगर है, तो मैं चैलेंज करता हूं प्रेमानंद जी एक अक्षर मेरे सामने संस्कृत बोलकर दिखा दें, या मेरे कहे हुए संस्कृत श्लोकों का अर्थ समझा दें.”
रामभद्राचार्य ने आगे कहा कि वे प्रेमानंद जी से कोई द्वेष नहीं रखते. लेकिन वह उन्हें न तो विद्वान मानते हैं और न ही चमत्कारी. उन्होंने कहा, “चमत्कार उसको कहते हैं जो शास्त्रीय चर्चा पर सहज हो और श्लोकों का अर्थ ठीक से बता पाए.” उन्होंने प्रेमानंद जी की लोकप्रियता को ‘क्षणभंगुर’ बताते हुए कहा कि यह थोड़े समय के लिए होती है और उन्हें उनका भजन करना अच्छा लगता है, लेकिन इसे चमत्कार कहना उन्हें स्वीकार नहीं है.