Report Times
Otherटॉप न्यूज़ताजा खबरेंदेशप्रदेशलाइफ स्टाइललेख

पत्रकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की आज पुण्यतिथि, जानिए बारें में ये अहम् बातें

reporttimes

Advertisement

महान कवि और पत्रकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की आज पुण्यतिथि है बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी) बंगला के एक बहुत सम्मानित साभलाई्यकार थे बंग भूमि ने उन्हें साभलाई्यिक, भाषायी समृद्धि के साथ ही वह संवेदनात्मक दृष्टि दी, जिसके चलते वह न केवल बंगला के, बल्कि समूची हिंदुस्तानीय अस्मिता की प्रतीक समझी जाने वाली रचनाओं का सृजन कर पाए कई लोग उन्हें बंकिम बाबू भी कहते थे वह बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार तो थे ही, दूसरी भाषाओं पर भी उनके लेखन का व्यापक असर पड़ा इसी के साथ आज भी हिंदुस्तानीय जनमानस के बीच वह देशीय गीत के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त ‘वन्दे मातरम्’ के रचयिता के रूप में जाने जाते हैं

Advertisement

हिंदुस्तानीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान ‘वन्दे मातरम्’ गीत क्रांतिकारियों की प्रेरणा का साधन था और आज भी राष्ट्रवादी इस पर गर्व करते हैं बंगला समाज, साभलाई्य और संस्कृति के उत्थान के लिए सामाजिक, शैक्षिक आंदोलन से जुड़े विचारकों राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, स्वामी रामकृष्ण परमहंस, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय और ठाकुर रवीन्द्रनाथ टैगोर, विवेकानंद, दयानंद सरस्वती आदि ने अद्वितीय कार्य किया था और इसी का असर पूरे राष्ट्र की भाषायी समृद्धि पर पड़ा बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के कांठलपाड़ा नामक गांव में एक समृद्ध, पर परंपरागत बंगाली परिवार में हुआ था

Advertisement

उन्होंने मेदिनीपुर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और फिर उन्होंने हुगली के मोसुंदर कॉलेज में एडमिशन लिया वैसे पुस्तकों के प्रति बंकिम चंद्र चटर्जी की रुचि बचपन से ही थी और वह आरंभ में आंग्ल भाषा की ओर भी आकृष्ट थे, उनका कहना था कि अंग्रेजी के प्रति उनकी रुचि तब खत्म हो गई, जब उनके अंग्रेजी अध्यापक ने उन्हें बुरी तरह से डांटा था इसके बाद उन्होंने अपनी मातृभाषा के प्रति लगाव लगाना शुरू किया उन्होंने डिप्टी मजिस्ट्दर का पद संभाला था उन्होंने कई उपन्यास लिखे जिनमे 1866 में कपालकुंडला, 1869 में मृणालिनी, 1873 में विषवृक्ष, 1877 में चंद्रशेखर, 1877 में रजनी, 1881 में राजसिंह और 1884 में देवी चौधुरानी शामिल है इसके अलावा उन्होंने ‘सीताराम’, ‘कमला कांतेर दप्तर’, ‘कृष्ण कांतेर विल’, ‘विज्ञान रहस्य’, ‘लोकरहस्य’, ‘धर्मतत्व’ जैसे ग्रंथ भी लिखे थे आज वह इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी रचनाएँ लोग खूब पसंद करते हैं

Advertisement
Advertisement

Related posts

दीप यज्ञ का आयोजन

Report Times

अशोक गहलोत के 6 संकटमोचन, जिनकी वजह से बच गई राजस्थान की सरकार

Report Times

कान्हा पैलेस का भूमि पूजन सन्त सानिध्य में संपन्न 

Report Times

Leave a Comment