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कभी यहां भी वर्षो तक निकाली गई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा : चिड़ावा के प्राचीन जगदीश मंदिर से निकलती थी भव्य रथयात्रा
चिड़ावा। जहां जगन्नाथपुरी में भव्य रथ यात्रा निकाली जा रही है। इसी तर्ज पर कभी चिड़ावा के प्राचीन मंदिर से भी भव्य जगन्नाथ रथयात्रा निकला करती थी। अब वर्षो बाद इस बार रथयात्रा तो नहीं निकलेगी। लेकिन जन्मोत्सव जरूर मनाया जाएगा। आइए इस मौके पर जानते हैं इस प्राचीन मंदिर के बारे में इस खास स्टोरी में।
स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना –
चिड़ावा के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक जगदीश भगवान के मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर का निर्माण करीब 300 साल से अधिक समय पहले बाजूरामका परिवार ने करवाया। इसकी खास बात ये है कि इस मंदिर में जाने के लिए आपको 15 सीढ़ी चढ़कर जाना होगा। करीब 20 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर के ईशान कोण में शिवालय का निर्माण किया गया है। शिवालय में दो शिवलिंग स्थापित हैं। वहीं इस मंदिर में सभा मंडप में तीन गर्भ गृह हैं। एक में राम,सीता और लक्ष्मण विराजित है। दूसरे गर्भ गृह में जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा विराजे हुए हैं और तीसरे दरबार में सूर्य देव, गंगा मैया और नृसिंह भगवान की मूर्तियां विराजित हैं। मंदिर के बीचोबीच बने मंडप में हाथ जोड़े हुए हनुमान जी महाराज के साथ ही कार्तिकेय, गणेशजी के अलावा समुद्र देव की मूर्ति विराजित है।
पंडितों की सातवीं पीढ़ी कर रही पूजा –
मंदिर में वर्तमान में पं.अमरराज शर्मा पूजा अर्चना कर रहे हैं। उनके परिवार की सम्भवतः 7वीं पीढ़ी यहां पूजा कर रही है। पूजन के लिए ही इस परिवार को यहां लेकर आया गया था। पंडित ने बताया कि उनकी माता जी बताती हैं उन्होंने सुना है कि मंदिर निर्माण के बाद से ही लगातार हर साल जगन्नाथ रथयात्रा ओर परम्परा पड़ी थी।
1989 में आखिरी बार निकली रथयात्रा-
लेकिन 1989 में वर्तमान महंत अमर राज पंडित के पिता के निधन के बाद इस रथयात्रा पर विराम लग गया। मंदिर परिसर में अभी भी सैंकड़ों साल पुराना रथ रखा हुआ है। इसी रथ में आरूढ़ होकर भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के विग्रहों को नगर भ्रमण कराया जाता था। श्रद्धा की इस डगर पर आस्था और विश्वास उमड़ता नजर आता है।
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