शिवनगरी चिड़ावा के शिवालयों की श्रृंखला में आज हम पहुंचे हैं चिड़ावा कॉलेज के बिल्कुल पीछे करीब 300 साल पहले केडिया परिवार द्वारा बनवाए गए प्राचीन मंदिर में। ये मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर में पहुंचने के लिए आपको 21 सीढियां चढ़नी होगी। मंदिर में ईशान कोण में भोलेनाथ का शिवालय अवस्थित है।
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यहां संगमरमर का शिवलिंग है। वहीं शिवालय से बाहर निकलते ही विराजित हैं दुर्गा माता और गणपति की नयनाभिराम मूर्तियां। वहीं सामने गर्भगृह में भगवान लक्ष्मी-नारायण विराजित हैं। यहां एक मूर्ति भगवान सूर्य नारायण की भी विराजित है। इसमें नीचे शेष शैय्या पर विराजित भगवान लक्ष्मी-नारायण की आभाषित तस्वीर मन मोहने वाली है। भगवान के गर्भगृह के बिल्कुल सामने दक्षिण मुखी हनुमान विराजे हैं। दक्षिण मुखी होने के चलते इसका काफी धार्मिक महत्व है। यहां अन्नपूर्णा रसोई भी है। पुराने समय में भगवान को लगाए जाने वाला भोग और प्रसाद यहीं तैयार किया जाता था। यहां मनोकामना मांगने वाले नारियल भी बांधकर जाते हैं और मनोकामना पूरी होने पर नारियल खोलते हैं। मंदिर परिसर स्थापत्य कला का भी बेजोड़ नमूना है। यहां पर दीवारों पर उकेरी गई प्राचीन शैली की चित्रकारी मन मोहने वाली है। मंदिर में नीचे उतरने पर एक प्राचीन पीपल का पेड़ भी लगा हुआ है। मंदिर परिसरों में पीपल का वृक्ष होना अति शुभ माना जाता है। ये पेड़ भी 300 साल पुराना है। मंदिर में शुरू से लेकर अब तक सेहीरामका परिवार ही पूजा-अर्चना करता आ रहा है। फिलहाल इस परिवार की चौथी पीढ़ी के मंगलचंद शर्मा यहां पूजा-पाठ का जिम्मा सम्भाले हुए हैं। आस्था की इस दर पर विश्वास के साथ एक बार जरूर पधारें। कल फिर मिलेंगे एक और प्राचीन शिवालय में…दीजिए अब हमें इजाजत…
हर हर महादेव