इंदौर की सास-बहू की एक जोड़ी ने एक स्टार्टअप शुरू किया है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए काम कर रही इस जोड़ी के आइडिया को रियलिटी शो ‘शार्क टैंक इंडिया’ से 50 लाख रुपए के निवेश का प्रस्ताव मिल चुका है। सास-बहू की इस जोड़ी ने इकोफ्रेंडली पेन, पेंसिल और नोट बुक बनाई हैं, जो फेंकने पर वह एक पौधे का रूप ले लेती है। वुमन डे पर पढ़िए, एम्पॉवरमेंट की रियल स्टोरी…
बहू सुरभि शाह और सास चेतना ने इकोफ्रेंडली कटलरी प्रोडक्ट्स बनाए हैं। ये प्रोडक्ट बजट फ्रेंडली भी हैं। दोनों का लक्ष्य है कि प्लास्टिक डिस्पोजेबल, स्ट्रॉ, फोर्क और चम्मचों से होने वाले पॉल्यूशन को कम किया जाए। सुरभि-चेतना की इंदौर के साथ नागपुर में भी प्रोडक्शन यूनिट है।
पूरा मटेरियल नेचुरल
सुरभि ने बताया कि वेस्ट पेपर लगाकर उन्हें हार्ड फॉर्म बनाया। फिर पेन और पेंसिल बनाई। पेन भी इसी तरह से तैयार किया। बस उसमें रिफिल ही है जो प्लास्टिक की है। उसका पूरा मटेरियल प्राकृतिक चीजों से बना है।
फाइव स्टार होटल में कर रहे सप्लाई
कंपनी द्वारा बनाई गई पेंसिल और पेन की डिमांड शहर और बाहर के फाइव स्टार होटल्स में हैं। इन सभी प्रोडक्ट को देश के कई राज्यों में सप्लाई भी किया जा रहा है। इनमें देश के बड़े शहर जैसे पुणे, बेंगलूरु, मुंबई, इंदौर, नागपुर सहित अन्य शहर हैं। इन शहरों में पेन-पेंसिल की काफी डिमांड है।
पेन से ऐसे बन जाता है पौधा
इस पेन के ढक्कन में दवा वाले कैप्सूल के जिलेटिन का उपयोग किया। इसके अंदर राई के दाने डालकर उसे क्लिप की जगह लगा दिया। पेन को जमीन पर फेंका जाता है तो उस पर लगा जिलेटिन पानी में घुल जाता है और राई का पौधा तैयार हो जाता है।
नोट बुक का कवर भी बनेगा एक पौधा
चेतना शाह ने बताया कि पेन और पेंसिल के साथ जब सुरभि को नोट बुक की डिमांड आई। वह उसमें भी कुछ ऐसा करना चाहती थी कि नोट बुक को यदि फेंकते हैं तो उससे भी पर्यावरण को कोई नुकसान न हो, इसलिए महीन होने के कारण गेंदे के फूल नोटबुक पर जगह-जगह चिपका दिए।
खाने के पार्सल में ही लगा दी प्लेट-चम्मच
पेपर प्लेट और चम्मच से सुरभि ने खाने का ऐसा पैकेट तैयार किया, जिसमें अलग से प्लेट व चम्मच लेने की जरूरत नहीं रहती। इस पैकेट में एक साथ चार प्लेट और आठ चम्मच हैं। यह खूबसूरत पेपर बॉक्स भी वेस्ट पेपर से ही तैयार किया गया है। इस पैकेट में कोई भी सामान प्लास्टिक का नहीं है।
पोहा खाने के दौरान आया आइडिया
चेतना शाह ने बताया कि कुछ सालों पहले दोनों सास-बहु 56 दुकान पर पोहे खाने गए। जहां उन्हें पहले स्टील के चम्मच दिए, जिसे देखकर लगा कि ये हाइजिनिक नहीं है। दुकान वाले ने उन्हें प्लास्टिक के चम्मच दिए। इससे समझ आया कि ये भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। जिसके बाद वर्ष 2018 में उन्होंने पहले कागज के चम्मच बनाने से यह कार्य शुरू किया और आज सभी तरह के प्रोडक्ट बना रही हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट खतरनाक
सुरभि शाह बताती हैं, शुरुआत से ही मेरी सास और मैं बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं। बहुत लोग स्ट्रॉ, चम्मच, प्लेट आदि प्लास्टिक के उत्पादों का उपयोग करने के आदी हो गए हैं और हमें इसका एहसास ही नहीं होता। सिंगल यूज प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के बाद तुरंत फेंक दिया जाता है। इससे हमारे पर्यावरण पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है।