वॉशिंगटन: पिछले 19 दिनों से जारी () के कारण पूरी दुनिया परेशान है. इस युद्ध की वजह से दुनिया में ऑयल और गैस के दाम () आसमान छू रहे हैं. अमेरिका और ब्रिटेन जैसी मजबूत अर्थव्यवस्था को भी ऊर्जा आवश्यकताों को पूरा करन में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. इस बीच ईरान ने इराक में अमेरिकी वाणिज्यिक दूतावास के ऊपर बैलिस्टिक मिसाइल () से हमला किया है. ईरानी सेना ने स्वयं स्वीकार किया है कि इराक के ऊपर दागे गए 12 बैलिस्टिक मिसाइलों ()) के पीछे उसका हाथ है. हालांकि, ईरानी सेना ने दावा किया है कि उसने इस मिसाइलों के जरिए इराक में उपस्थित इजरायली ठिकानों को निशाना बनाया है.
अमेरिका ने इराक पर डाला कार्रवाई का जिम्मा
अमेरिका ने ईरानी सेना के इस मिसाइल हमले की खूब निंदा की है. अमेरिका के देशीय सुरक्षा सलाअधिकारार जेक सुलिवन ने कहा कि हम ईरान को जवाबदेह ठहराने में इराक गवर्नमेंट का समर्थन करेंगे. हम ईरान से इसी तरह के खतरों का सामना करने के लिए पूरे मध्य पूर्व में अपने योगदानियों का समर्थन करेंगे. अमेरिका ने कहा कि है कि उनका राष्ट्र इराक की पूर्ण संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के पीछे खड़ा है. अमेरिकी विराष्ट्र विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया था कि इस हमले से इराक में वाणिज्यिक दूतावास को कोई हानि नहीं पहुंचा है. उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका के पास कोई सबूत नहीं है कि ईराकी सेना ने उनके राष्ट्र को निशाना बनाकर मिसाइलें दागी थीं.
फतेह-110 मिसाइलों से बनाया निशाना
ईरान के संदेह्तिशाली रिवोल्यूशनरी गार्ड ने अपनी वेबसाइट पर कहा था कि उसने इराक के इरबिल में एक इजरायली जासूसी केन्द्र के निशाना बनाया था. हालांकि, इस हमले को लेकर विस्तार से कोई भी जानकारी नहीं दी, लेकिन इतना जरूर कहा कि इजरायल इन दिनों कुछ ज्यादा ही आक्रामकता दिखा रहा है. हाल में ही इजरायल के हमले में रिवोल्यूशनरी गार्ड के दो सैनिक मारे गए थे. ईरान की गवर्नमेंटी तसनीम समाचार एजेंसी ने कहा कि ईरान ने इराक पर 10 फतेह मिसाइलें दागी थीं, इनमें कई फतेह-110 मिसाइलें भी शामिल थीं. फतेह 110 मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 300 किलोमीटर (186 मील) है.
अब क्या कार्रवाई करेगा अमेरिका?
पिछले 24 घंटे में अमेरिका के रिएक्शन को देखते हुए यह बताया जा रहा है कि इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी. बाइडेन प्रशासन बिलकुल नहीं चाहता है कि रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान तनाव का कोई नया मोर्चा खुले. दूसरी ओर, ईरान पर कार्रवाई करने से तीसरे विश्व युद्ध का भी खतरा बढ़ सकता है. अमेरिका को ईरान के इस मिसाइल हमले में कोई हानि नहीं पहुंचा है. ऐसे में बाइडेन प्रशासन के पास ईरान के विरूद्ध कार्रवाई नहीं करने की ठोस वजह भी उपस्थित है.
कार्रवाई की तो बिगड़ जाएंगे दशा
अमेरिका जानता है कि यदि उसने ईरान के विरूद्ध अभी कार्रवाई की तो दशा संभालने कठिनाई हो जाएंगे. ईरान पहले से ही अमेरिका विरोधी गठजोड़ का बड़ा खिलाड़ी है. रूस, चाइना और ईरान पिछले कई वर्ष से अमेरिका के विरूद्ध साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं. अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन कैसे भी करके ईरान को परमाणु समझौते में वापस लाना चाहते हैं. इसे लेकर जिनेवा में कई महीनों से मीटिंगें भी चल रही हैं. ऐसे में यदि कोई भी सैन्य कार्रवाई होती है तो ईरान वार्ता से साफ पीछे हट जाएगा. जिसके बाद ईरान परमाणु हथियारों के लिए यूरेनियम संवर्धन करने की प्रयास को भी तेज कर सकता है. ऐसे में अमेरिका कोई रिस्क नहीं लेना चाहता.