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बिट्स पिलानी के स्टूडेंट्स के संगठन निर्माण ने वंचित बच्चों की शिक्षा के लिए 50 लाख रुपए जुटाए हैं। यह राशि बिट्स के पूर्व छात्रों, प्रोफेसर्स व वर्तमान छात्रों के सहयोग से एकत्रित की गई है। इस राशि से उन वंचित विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति वितरित की जाएगी, जिन्होंने कक्षा एक से आठवीं तक की पढ़ाई आरटीई के तहत पूरी कर ली, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें फीस चुकाने में परेशानी आ रही है। इसके लिए मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी से एमओयू किया गया है।
शिक्षा विभाग छात्रों के इस संगठन को ऐसे बच्चों की सूची प्रदान करेगा, जिन्होंने 8वीं तक आरटीई के तहत पढ़ाई कर ली और आगे की पढ़ाई के लिए फीस चुकाने में असमर्थ हैं। इन बच्चों का स्कॉलरशिप टेस्ट होगा, जिसमें टॉप रहने वाले बच्चों की फीस चुकाई जाएगी। इसके लिए प्रत्येक वर्ष 10 लाख रुपए की छात्रवृत्ति दी जाएगी।
संगठन के आकर्ष श्रॉफ व दर्श मिश्रा ने भास्कर को बताया कि अगले पांच वर्षों में पिलानी में वंचित बच्चों की शिक्षा के लिए 50 लाख रुपए से अधिक का निवेश करने के लिए पूर्व छात्रों और प्रोफेसरों से धन जुटाया है। इसके लिए इच वन-स्पोंशर वन स्कीम शुरू की गई है। इसके तहत बिट्स स्टाफ, पुरातन छात्र आदि से हर महीने 1250 रुपए का शेयर लिया जाएगा।
शिक्षा विभाग से एमओयू किया, एग्जाम के आधार पर देंगे छात्रवृत्ति
पिलानी में वंचित बच्चों के लिए छात्रवृत्ति के लिए 23 अप्रैल को निर्माण संगठन ने झुंझुनूं के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी पितरामसिंह काला के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन के तहत पिलानी में 25 से अधिक स्कूलों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति परीक्षा आयोजित कराई जाएगी। इसके लिए स्थान और बच्चों की सूची शिक्षा विभाग प्रदान करेगा। परीक्षा के आधार पर बच्चों की कक्षा नौ से 12वीं तक की फीस चुकाई जाएगी। यानी हर वर्ष 10 लाख रुपए की छात्रवृत्ति फीस के तौर पर दी जाएगी।
इसमें फिलहाल पिलानी शहर की स्कूलों को ही शामिल किया गया है। भविष्य में पूरे जिले के स्कूलों को शामिल करने की योजना है। मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी पितरामसिंह काला ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी हुई कॉलेज के युवाओं में समाज की इतनी परवाह है। वे उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए हर संभव सहयोग करेंगे। इसके लिए संगठन को ऐसे बच्चों की सूची दी जाएगी। निर्माण परियोजना उत्कर्ष के माध्यम से स्वयंसेवकों ने अपने प्रोफेसरों, छात्र समुदाय के अन्य सदस्यों और अपने पूर्व छात्रों से संपर्क किया। सभी के सहयोग से छात्रवृत्ति के लिए 50 लाख का निवेश करने का निर्णय लिया।