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प्रदेश की तुलना में सीकर में बच्चों की हाइट घट रही है। यह आंकड़ा पांच साल तक के बच्चों का है। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे की रिपाेर्ट-5 में यह चौंकाने वाला तथ्य मिला है। सीकर जिले में 1000 बच्चाें में से 12.8 बच्चाें का कद कम है। सर्वे में 5 साल तक के बच्चाें काे शामिल किया गया। 2015-16 में हुए सर्वेक्षण में 1000 में से 11.5 बच्चाें का कद वजन से कम था।
2020-21 में यह समस्या बढ़ी है। इधर, राजस्थान में इसके बिल्कुल विपरीत है। बच्चाें में नाटेपन की रफ्तार में गिरावट दर्ज की गई है। पांच साल पहले राजस्थान में 1000 में से 23.0 बच्चाें का कद छाेटा था, जाे अब घटकर 16.8 तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके पीछे जेनेटिक और कुपोषण मुख्य कारण है।
प्रति हजार में 71 बच्चे एनीमिया से पीड़ित, महिलाओं में भी खून की कमी
प्रदेश में 6 से 59 महीने के 71.5 फीसदी बच्चे एनीमिया के शिकार हैं। 2015-16 की रिपोर्ट में यह आंकड़ा 60.3 फीसदी ही था। इसी तरह 15 से 49 साल की 54.4 फीसदी महिलाओं व इस आयु वर्ग के 23.2 प्रतिशत पुरुषाें में खून की कमी पाई गई है। 15 से 19 वर्ष तक के किशाेराें में भी खून की कमी है। इस आयु वर्ग की 59.4 प्रतिशत किशाेरियाें व 34 प्रतिशत किशाेराें में ये परेशानी है। गर्भवती महिलाओं काे पाैष्टिक खाना नहीं मिलना प्रमुख कारण है।
महिलाओं में माेटापा कम हुआ, मोटे पुरुष 5 साल में 13 से बढ़कर 15% हुए
सर्वे में माेटापे काे लेकर भी राेचक तथ्य हैं। महिलाओं में माेटापा कम हुआ है। 2015-16 में जहां 14.1 प्रतिशत महिलाएं ज्यादा वजन से परेशान थीं, वहीं अब ये आंकड़ा घटकर 12.9 पर आ गया है। दूसरी ओर 15 फीसदी पुरुषाें का वजन औसत से ज्यादा हाे गया जो 13.2% था। -एक्सपर्ट: डॉ. सर्वेशशरण जोशी, शेखावाटी अस्पताल जयपुर, डॉ. अशोक चौधरी, प्रो. एसके मेडिकल कॉलेज
प्रदेश की तुलना में सीकर में बच्चों की हाइट घट रही है। यह आंकड़ा पांच साल तक के बच्चों का है। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे की रिपाेर्ट-5 में यह चौंकाने वाला तथ्य मिला है। सीकर जिले में 1000 बच्चाें में से 12.8 बच्चाें का कद कम है। सर्वे में 5 साल तक के बच्चाें काे शामिल किया गया। 2015-16 में हुए सर्वेक्षण में 1000 में से 11.5 बच्चाें का कद वजन से कम था।
2020-21 में यह समस्या बढ़ी है। इधर, राजस्थान में इसके बिल्कुल विपरीत है। बच्चाें में नाटेपन की रफ्तार में गिरावट दर्ज की गई है। पांच साल पहले राजस्थान में 1000 में से 23.0 बच्चाें का कद छाेटा था, जाे अब घटकर 16.8 तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके पीछे जेनेटिक और कुपोषण मुख्य कारण है।
प्रति हजार में 71 बच्चे एनीमिया से पीड़ित, महिलाओं में भी खून की कमी
प्रदेश में 6 से 59 महीने के 71.5 फीसदी बच्चे एनीमिया के शिकार हैं। 2015-16 की रिपोर्ट में यह आंकड़ा 60.3 फीसदी ही था। इसी तरह 15 से 49 साल की 54.4 फीसदी महिलाओं व इस आयु वर्ग के 23.2 प्रतिशत पुरुषाें में खून की कमी पाई गई है। 15 से 19 वर्ष तक के किशाेराें में भी खून की कमी है। इस आयु वर्ग की 59.4 प्रतिशत किशाेरियाें व 34 प्रतिशत किशाेराें में ये परेशानी है। गर्भवती महिलाओं काे पाैष्टिक खाना नहीं मिलना प्रमुख कारण है।
महिलाओं में माेटापा कम हुआ, मोटे पुरुष 5 साल में 13 से बढ़कर 15% हुए
सर्वे में माेटापे काे लेकर भी राेचक तथ्य हैं। महिलाओं में माेटापा कम हुआ है। 2015-16 में जहां 14.1 प्रतिशत महिलाएं ज्यादा वजन से परेशान थीं, वहीं अब ये आंकड़ा घटकर 12.9 पर आ गया है। दूसरी ओर 15 फीसदी पुरुषाें का वजन औसत से ज्यादा हाे गया जो 13.2% था। -एक्सपर्ट: डॉ. सर्वेशशरण जोशी, शेखावाटी अस्पताल जयपुर, डॉ. अशोक चौधरी, प्रो. एसके मेडिकल कॉलेज