चिड़ावा।संजय दाधीच
बदलता खान-पान, पारिवारिक टेंशन और लापरवाही चिड़ावा वासियों को बीपी का शिकार बना रही हैं। दरअसल ये हकीकत हम नहीं अस्पताल के आंकड़े बयां कर रहे हैं। एनसीडी प्रभारी डॉ. जितेंद्र सिंह यादव ने बताया कि औसतन बात करें तो शहर का हर पांचवां व्यक्ति बीपी का शिकार है।
हर माह 2 हजार मरीज आ रहे अस्पताल
सरकारी अस्पताल में रखे जा रहे रिकॉर्ड के अनुसार अस्पताल में हर माह 1800 से 2000 मरीज अस्पताल में बीपी से ग्रसित मिलते हैं। इनमें करीब 92 फीसदी मरीज उच्च रक्तचाप यानी हाई बीपी से ग्रसित हैं। रिकॉर्ड के हिसाब से प्रतिदिन 60 से 65 मरीज चिड़ावा अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे हैं। एनसीडी क्लिनिक के माध्यम से इन सभी मरीजों पर नजर रखी जा रही है। सभी को समयानुसार इलाज दिया जा रहा है।
ये है उच्च रक्तचाप के कारण
चिकित्सा अधिकारी डॉ. जितेंद्र यादव ने बताया कि उच्च रक्तचाप दरअसल अनुवांशिक, तम्बाकू, मदिरा सेवन, मोटापा, ज्यादा नमक के सेवन, फास्ट फूड का अधिक सेवन, थायराइड, एड्रिनल ग्रन्थि की बीमारी, डायबिटीज अधिक होने व गुर्दे में खराबी से होता है।
ये है हाई बीपी से सुरक्षा के उपाय
इससे बचने के लिए रोगी को जीवन शैली में काफी बदलाव करने पड़ेंगे। नियमित व्यायाम व प्रातः भ्रमण अवश्य करें। नमक का कम सेवन करें। सेंधा नमक ही काम में लें। इसके अलावा फास्ट फूड, तैलीय चीजों से दूरी बनाएं। वसा की चीजें कम खाए और तरल रेशे वाले खाद्य पदार्थ अधिक खाएं। फलों, हरी सब्जियां और दालों का सेवन करें। शराब व अन्य नशों से दूरी रखें। इन सबसे अधिक जरूरी प्रतिदिन 8 घंटे नींद अवश्य लें।
बीपी से हो सकता है बड़ा नुकसान
बीपी से ग्रस्त मरीज की सेहत को लापरवाही से बड़ा नुकसान हो सकता हैं। चिकित्सक डॉ. कैलाश राहड़ ने बताया कि बीपी ज़्यादा रहने से हृदयाघात, मस्तिष्क में लकवा आने, दिमाग कमजोर होने, गुर्दे खराब होने, खून का बहाव कम होने, आंखों की रोशनी कमजोर पड़ने की आशंका रहती है। वहीं गुर्दे खराब होने व बार-बार उल्टियां होने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।