REPORT TIMES
तारीख, प्रचार और अब उम्मीदवारों का ऐलान। गुजरात विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है। अलग-अलग मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक कई दिग्गज पार्टियों के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं। बेरोजगारी, महंगाई जैसे चर्चित मुद्दों के बीच मोरबी पुल घटना को भी जानकारी अहम मान रहे हैं। अब विस्तार से समझते हैं कि चुनाव पर इसका कितना असर होगा।
क्या कहते हैं सर्वे?
पी-मार्क ओपिनियन पोल के अनुसार, 52 फीसदी लोगों का कहना है कि मोरबी पुल घटना बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं होगा। वहीं, 14 प्रतिशत लोग इसे अहम मुद्दा बता रहे हैं। जबकि, 34 प्रतिशत ने इसपर कुछ नहीं कहा। घटना का भाजपा की संभावनाओं पर असर पर 53 फीसदी लोगों ने इनकार किया। जबकि, 11 प्रतिशत लोगों का मानना है कि घटना का भाजपा पर नकारात्मक असर होगा।
अक्टूबर के अंत में मोरबी स्थित ‘झूलतो पुल’ ढह गया था। उस घटना में 135 लोगों की मौत हो गई थी। पुल के रखरखाव का काम देखने वाली ओरेवा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की थी। साथ ही नगरपालिका अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए थे। जांच के दौरान पुल में कई खामियों की बात सामने आई थी।
क्या कहते हैं जानकार
राजनीतिक विशेषज्ञों ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि चुनाव मैदान में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की दस्तक और लंबे समय से लंबित शहरी बुनियादी ढांचे के मुद्दे भी मोरबी में निर्णायक कारकों में से एक हो सकते हैं, जहां पिछले तीन चुनावों में जीत का अंतर कम रहा है।
स्थानीय लोगों का दावा है कि मोरबी में आर्थिक विकास खराब सड़कों और यातायात जाम से प्रभावित हुआ है। वर्तमान में मोरबी नगर पालिका, जिला पंचायत और तालुका पंचायत में भाजपा का शासन है। मोरबी विधानसभा सीट कच्छ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जिसका प्रतिनिधित्व दलित भाजपा सांसद विनोद चावड़ा करते हैं।
मोरबी सिरेमिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के फ्लोर टाइल्स विभाग के अध्यक्ष विनोद भड़जा के अनुसार, खराब सड़कें और यातायात जाम कई वर्षों से यहां के लोगों के लिए मुख्य समस्या बना हुआ है।
उद्योगपति ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘मोरबी 65,000 करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार के साथ एक प्रमुख सिरेमिक केंद्र है। भाजपा ने बहुत काम किया है, फिर भी हम शहर और उसके आसपास यातायात जाम, जल-जमाव और खराब सड़कों के मुद्दों का सामना कर रहे हैं।’ उन्होंने दावा किया, ‘मोरबी के लोग कुछ नाखुश हैं, क्योंकि हमारे मुख्य मुद्दे दो दशकों से अधिक समय से अनसुलझे हैं।’ मोरबी ने पिछले दशक में कुछ दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम देखे, जिसमें हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदार आरक्षण आंदोलन और भाजपा के पांच बार के विधायक कांतिलाल अमृतिया की हार शामिल है।
मोरबी में लगभग 2.90 लाख मतदाता हैं, जिनमें 80,000 पाटीदार, 35,000 मुस्लिम, 30,000 दलित, 30,000 सथवारा समुदाय के सदस्य (अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी से), 12,000 अहीर (ओबीसी) और 20,000 ठाकोर-कोली समुदाय के सदस्य (ओबीसी) शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषक और स्थानीय व्यवसायी के डी पदसुम्बिया के मुताबिक, पाटीदार मतदाता कांग्रेस और भाजपा के बीच समान रूप से बंटे हैं, हालांकि सत्तारूढ़ दल को सथवारा, कोली और दलित समुदाय के अधिकांश सदस्यों का समर्थन प्राप्त है।
नदी में कूदकर लोगों को बचाने वाले पूर्व विधायक को भाजपा का टिकट
भाजपा ने गुरुवार को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पार्टी ने मोरबी से अमृतिया को टिकट दिया है। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि नदी में कूदकर लोगों को बचाने के काम के चलते ही उन्हें भाजपा का टिकट मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि अमृतिया भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची में नहीं थे, उनके बचाव के काम के बाद नाम शामिल किया गया है। जबकि, मौजूदा विधायक बृजेश मेरजा का टिकट कट गया है।
खबरें आई थी कि पुल ढहने की घटना के बाद पाटीदार समुदाय से आने वाले अमृतिया को नदी में उतरकर लोगों की मदद करते हुए देखा गया था। 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान मेरजा के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।