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राजस्थान में चुनावों से पहले बदलती है हवा, यात्रा पॉलिटिक्स से तय होगा सत्ता की कुर्सी का रास्ता!

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राजस्थान में एक साल पहले विधानसभा चुनावों की बिसात बिछ चुकी है जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने जनता के बीच जाने का रोडमैप तैयार कर लिया है. सूबे में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी जहां राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के स्वागत में जुटी हुई है वहीं विपक्षी दल बीजेपी ने सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में गहलोत सरकार को घेरने का प्लान लांच कर दिया है जहां वह कांग्रेस के खिलाफ जन आक्रोश रैली निकालने जा रही है. राहुल की यात्रा 3-4 दिसंबर को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन (झालावाड़) से राजस्थान में प्रवेश करेगी वहीं अगले 14 दिनों तक बीजेपी के जन आक्रोश रथ सभी विधानसभा सीटों में सरकार की विफलताओं का हिसाब लेकर जाएंगे. वहीं जन आक्रोश अभियान से बीजेपी एकजुटता का संदेश देते हुए कांग्रेस की गुटबाजी को मुद्दा बना रही है.बता दें कि राहुल गांधी की यात्रा को गैर कांग्रेस शासित राज्यों में अभी तक अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिला है वहीं अब यात्रा पहली बार किसी कांग्रेस शासित राज्य में प्रवेश करेगी, ऐसे में प्रदेश कांग्रेस एकजुटता का संदेश देने में जुटी है. वहीं इधर बीजेपी खेमे में भी यात्राओ का अपना इतिहास रहा है जहां वसुंधरा राजे ने इससे पहले 2 बार राजस्थान में रथ यात्रा निकालकर सत्ता परिवर्तन किया है.

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यात्राओं में नेताओं की रही है खासी दिलचस्पी

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बता दें कि देश के राजनीतिक इतिहास में नेताओं की यात्राओं से हमेशा से लोग जुड़े हैं और यात्राओं के दौरान लोगों ने नेताओं को खूब प्यार दिया है. इसी तरह राजस्थान के लोगों में भी राजनीतिक और धार्मिक यात्राओं के प्रति काफी आकर्षण रहा है. ऐसे में चुनावों से पहले राजस्थान में हर दल के नेता लंबी-लंबी दूरियों की पैदल यात्राएं करते हैं.

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राजस्थान के इतिहास में मोहन लाल सुखाड़िया से लेकर भैरों सिंह शेखावत ने अपने जमाने में विभिन्न छोटी-बड़ी कई यात्राएं निकाली जिसके बाद चुनावों में उन्हें फायदा मिला. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सहित और सचिन पायलट भी समय-समय पर यात्राएं निकालते रहे हैं.

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राहुल की यात्रा और बीजेपी का आक्रोश

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वहीं अब कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से राजस्थान में अगले साल चुनावों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनेगा जहां राहुल की यात्रा पूर्वी राजस्थान की लगभग 60 सीटों पर सीधा असर डालेगी. वहीं इस दौरान राहुल कई मंदिरों में भी दर्शन करेंगे. वहीं इधर बीजेपी का जन आक्रोश यात्रा के जरिए सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंचने का टारगेट है जहां 2 करोड़ लोगों से सीधा संवाद करने की योजना बनाई गई है.

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राजे ने यात्रा से 2 बार पलटी सरकार

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गौरतलब है कि बीजेपी की वसुंधरा राजे 2002 में पहली बार बीजेपी की प्रदेशाध्यक्ष बनी और उस दौरान अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे और 2003 के चुनावों में बीजेपी-कांग्रेस की टक्कर में बीजेपी को 120 सीटें मिली थी. इन चुनावों से पहले राजे ने राजस्थान के कोने-कोने में परिवर्तन यात्रा निकाली थी जिसका असर यह हुआ कि अगले चुनावों में कांग्रेस 56 सीटों पर सिमट गई थी.इसके बाद राजे ने साल 2012 में प्रदेशाध्यक्ष का पद संभालने के बाद एक बार फिर परिवर्तन यात्रा की तरह सुराज संकल्प यात्रा निकाली और दिसंबर 2013 में चुनाव के बाद बीजेपी को सर्वाधिक 163 सीटों का बहुमत मिला. हालांकि मई-जून 2013 में चुनावों से ठीक 6 महीने पहले अशोक गहलोत ने भी प्रदेशभर में एक संदेश यात्रा निकाली थी लेकिन चुनावों में कुछ खास फायदा उन्हें नहीं मिला.

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