REPORT TIMES
देश की फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण आज 11 बजे देश के सामने इकोनॉमिक सर्वे पेश करने वाली हैं, लेकिन सर्वे आने से पहले ही सरकार को बड़ा झटका लगा है. दरअसल रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023-24 में देश की जीडीपी 3 साल में सबसे कम रहने वाली है. सूत्रों के मुताबिक सरकार बजट से पहले आज जो इकोनॉमिक सर्वे पेश करने वाली है उसमें ग्रोथ की रफ्तार 6 से 6.8 फीसदी रहने की संभावना है जो कि नाम मात्र की तेजी होगी. बता दें कि आज ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 23) को संसद पटल पर रखेंगी.
- सरकारी सर्वे में कहा जा सकता है कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी देखने को मिल सकती है, 2023-24 के लिए नाममात्र की वृद्धि 11 फीसदी रहने का अनुमान है.
- सर्वे में कहा जा सकता है कि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में ग्रोथ दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले बेहतर देखने को मिलेगी। इस दौरान प्राइवेट कंजंप्शन, बैंकों द्वारा कर्ज देने में तेजी और सरकार द्वारा विकास कार्यो के खर्च में इजाफा देखने को मिलेगा।
- इकोनॉमिक सर्वे एक तरह से सरकार का एक साल का रिपोर्ट कार्ड होता है। जिसमें बताया जाता है कि एक साल में देश की इकोनॉमी कैसी रही है। COVID-19 महामारी के बाद से भारत की इकोनॉमी में सुधार देखने को मिला है, लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष ने महंगाई का दबाव देखने को मिला है। भारत के केंद्रीय बैंक के अलावा दुनियाभर के बाकी बैंकों ने भी अपनी ब्याज दरों में इजाफा किया है।
- सर्वे में महंगाई पर ध्यान दिया जाएगा, जिसका अनुमान केंद्रीय बैंक द्वारा 2022/23 में 6.8 फीसदी लगाया गया है।
- सर्वे में इस बात पर सावधानी बरती जा सकती है कि मॉनेटरी पॉलिसी के कड़े होने के कारण भारतीय रुपए पर दबाव जारी रह सकता है. भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट (सीएडी) भी बढ़ा रह सकता है क्योंकि मजबूत स्थानीय अर्थव्यवस्था के कारण इंपोर्ट ज्यादा रहने की संभावना है, जबकि ग्लोबल इकोनॉमी में कमजोरी के कारण निर्यात में कमी आ सकती है.
- कोरोना महामारी के दौरान भारत में बेरोजगारी तेजी से बढ़ गई थी.
- सरकार का आर्थिक अनुसंधान विभाग भी आर्थिक विकास में सहायक कारक के रूप में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार की ओर इशारा करेगा.
- जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत का सीएडी जीडीपी का 4.4 फीसदी था, जो कि एक तिमाही पहले 2.2 फीसदी और एक साल पहले 1.3 फीसदी से अधिक है, क्योंकि कमोडिटी की बढ़ती कीमतों और रुपए की कमजोरी ने व्यापार अंतर को बढ़ा दिया था.
- 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में देश की अनुमानित जीडीपी 7 फीसदी रहने की संभावना है। उसके बाद भी दुनिया की बाकी इकोनॉमी के मुकाबले भारत की ग्रोथ सबसे तेज रह सकती है।
- सर्वे संभावित रूप से मजबूत खपत के कारण भारत में रोजगार की स्थिति में सुधार की ओर इशारा करेगा, लेकिन इसमें यह भी जोड़ा गया है कि रोजगार सृजन के लिए निजी निवेश में और तेजी जरूरी है. दस्तावेज में तर्क दिया जाएगा कि पिछले दो वर्षों में सरकार के बढ़े हुए खर्च से मदद मिलनी चाहिए.