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मोदी कैबिनेट में बढ़ेगी सूबे की भागीदारी! क्या 2023 की नैया पार लगाएगी BJP की सोशल इंजीनियरिंग

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राजस्थान में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 में देश में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार की कैबिनेट में फेरबदल की चर्चाएं तेज हो गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि पीएम मोदी फरवरी में अपनी कैबिनेट में बदलाव कर सकते हैं जिसमें कई नए चेहरों को मौका मिल सकता है. वहीं मोदी कैबिनेट में फेरबदल को लेकर  राजस्थान से जाने वाले चेहरों को लेकर भी सियासी गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है. बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में चुनावों को देखते हुए और बीजेपी की जातिगत समीकरण साधने की रणनीति के हिसाब से केंद्रीय मंत्रिमंडल में सूबे से कुछ नए चेहरों को जगह दी जा सकती है.वर्तमान में मोदी कैबिनेट में राजस्थान की भागीदारी उतनी नहीं है ऐसे में इन अटकलों को और बल मिलता है कि राजस्थान से सांसदों को केंद्रीय मंत्रीमंडल में जगह दी जा सकती है. फिलहाल मिली जानकारी के मुताबिक सूबे से केंद्रीय मंत्रिमंडल में दो सांसदों को मंत्री पद मिल सकता है. मालूम हो कि जुलाई 2021 के बाद से मोदी मंत्रिमंडल में अभी तक बदलाव नहीं हुआ है.

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2023 के चुनावों के लिए नई रणनीति

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बता दें कि मोदी कैबिनेट में फिलहाल राजस्थान से गैर आरक्षित और आदिवासी वर्ग की भागीदारी कम है ऐसे में माना जा रहा है कि इस इलाके से किसी सांसद को मंत्री बनाया जा सकता है. 2018 के विधानसभा चुनावों के आंकड़े देखें तो बीजेपी को पूर्वी राजस्थान और उदयपुर संभाग में कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिली थी ऐसे में बीजेपी इस बार इन इलाकों में पूरा जोर लगाने की दिशा में काम कर रही है. वहीं अगले महीने पीएम मोदी खुद दौसा का दौरा कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि जिन राज्यों में आने वाले समय में चुनाव होने हैं वहां बीजेपी अपनी अलग रणनीति के हिसाब से काम कर रही है जिसके तहत राजस्थान में जातिगत समीकरणों को नए सिरे से साधा जा रहा है.

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आदिवासी वर्ग से कोई मंत्री नहीं

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राजस्थान से वर्तमान में लोकसभा और राज्यसभा के मिलाकर बीजेपी के पास कुल 28 सांसद है जिनमें से केंद्रीय मंत्रिमंडल में राजस्थान से सिर्फ चार मंत्री हैं जिनमें से तीन लोकसभा सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल और कैलाश चौधरी और एक राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रिमंडल में है. वहीं जातिगत लिहाज से देखें तो गजेंद्र सिंह शेखावत गैर आरक्षित वर्ग से आते हैं वहीं बाकी तीनों मंत्री आरक्षित वर्ग से हैं. इसके अलावा एक एससी और दो ओबीसी वर्ग से हैं. फिलहाल मंत्रिमंडल में आदिवासी समाज से किसी को जगह नहीं दी गई है और गैर आरक्षित वर्ग से भी सिर्फ एक मंत्री बनाया गया है.

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जातिगत समीकरणों पर बीजेपी का फोकस

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गौरतलब है कि राजस्थान में पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक भी सीट कांग्रेस को नहीं जीतने दी है ऐसे में इस बार भी बीजेपी आलाकमान 2023 के साथ 2024 के लिए भी अलग रणनीति पर काम कर रहा है जिसमें सूबे में हर जाति वर्ग को साधने की कवायदें चल रही है. बीजेपी की ओर से हाल में किए कार्यक्रम दर्शाते हैं कि पार्टी इस बार ओबीसी और एससी-एसटी के मिश्रण से चुनावों में बढ़त हासिल करना चाहती है. इसी कड़ी में राजस्थान में लगातार बीजेपी जाति-समाजों को साधने के लिए केंद्रीय नेताओं के अलग-अलग कार्यक्रम करवा रही है. वहीं खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों आदिवासी समाज के पूजनीय स्थल मानगढ़ का दौरा किया था और हाल में भीलवाड़ा के आसींद पहुंचे थे. वहीं इससे पहले जोधपुर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ओबीसी सम्मेलन में हिस्सा लिया था और जेपी ने सवाईमाधोपुर में एसटी और एससी वर्ग का एक सम्मेलन संबोधित किया था.

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