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जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी के सीएम फेस को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं जहां बीजेपी खेमे में हाल में हुए बदलावों के बाद माना जा रहा है कि जल्द ही राजे किसी नई भूमिका में दिखाई दे सकती हैं. इधर चुनावों से 8 महीने पहले अब अलग-अलग गुटों में बंटे नेता मुखर होने लगे हैं. ताजा बयान बीजेपी से राज्यसभा के पूर्व सांसद और वसुंधरा समर्थक रामनारायण डूडी का सामने आया है जो मंगलवार को जोधपुर के भोपालगढ़ में देवरी धाम में बीजेपी बूथ सशक्तिकरण कार्यशाला के दौरान खुलकर राजे के समर्थन में उतर गए. डूडी ने राजे का समर्थन करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे जब 2003 में आई थीं तो उन्होंने पूरे राजस्थान को अपने कदमों से नाप दिया था जिसके बाद 200 विधानसभा में से 121 सीटें बीजेपी को मिली और राज वापस आया. बता दें कि राज्य में चुनावों में अब महज 8 महीने का समय बचा है लेकिन बीजेपी की ओर से गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है. हालांकि बीजेपी आलाकमान की ओर से आपसी खींचतान रोकने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुट के नेता अब काफी सक्रिय दिखाई दे रहे हैं.
‘बिना दूल्हे की बारात है बीजेपी’
डूडी ने आगे कहा कि बीजेपी बिना दूल्हे की बारात जैसी बनकर रह गई है जहां पार्टी के अंदर दूल्हे का अभाव है. उन्होंने कहा कि बारात में चलना है और दूल्हा नहीं है तो बारात किसकी ले जा रहे हैं. डूडी ने आगे यह भी कहा कि मेरी यह बात अध्यक्ष जी तक पहुंचा देना और अगर मेरी बात अनुशासनहीनता लगे तो भी आगे बता देना.वहीं उन्होंने राजे का समर्थन करते हुए कहा कि राजे जब 2003 में आई थीं तो उन्होंने पूरे राजस्थान को कदमों से नापा था जिसके बाद ही राज्य में बीजेपी को 121 सीटें मिली थी. इसके अलावा 2002 से 2008 और 2013 से 2018 तक के उनके कार्यकाल में विकास के कई काम हुए. उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस या बीजेपी सरकार के कार्यकाल देख लो अगर नेतृत्व सक्षम होगा तो ही सरकार चलेगी और बनेगी.
बदलावों के बीच वसुंधरा राजे खामोश!
गौरतलब है कि राजस्थान बीजेपी में पिछले 15 दिनों में कई बड़े बदलाव हुए हैं जहां कई दिग्गज नेताओं को नई जिम्मेदारियां दी गई है लेकिन राजे की भूमिका को लेकर अबी तक कौतूहल बना हुआ है. माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी राजे को लेकर कोई बड़ा दांव खेल सकती है क्योंकि बीजेपी आलाकमान जानता है कि राजे को साधे बिना चुनावों में उतरना आसान नहीं है.जानकारों का कहना है कि राजस्थान में बीजेपी की सियासत में बहुत तेजी से हलचल हो रही है और आने वाले दिनों में राजे को लेकर आलाकमान फैसला ले सकता है. फिलहाल बताया जा रहा है कि राजे को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया जा सकता है जिसकी चुनावों में टिकट वितरण में अहम भूमिका होती है.