REPORT TIMES
जयपुर: राजस्थान में सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिली है जहां एसओजी ने मंगलवार को पेपर लीक मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) सदस्य बाबू लाल कटारा को हिरासत में लिया है. मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान एटीएस एवं एसओजी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सेकेंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2022 में पेपर लीक में की गई कार्यवाही के तहत आरपीएससी सदस्य बाबू लाल कटारा, गोपाल सिंह चालक और विजय कटारा को हिरासत में लिया गया है. बता दें कि एसओजी ने अजमेर और डूंगरपुर में कार्रवाई को अंजाम दिया है.बताया जा रहा है पेपर लीक में यह अब तक की सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. वहीं इससे पहले बीते महीने एसओजी ने पेपर लीक के मास्टरमाइंड वाइस प्रिंसिपल शेरसिंह मीणा को गिरफ्तार किया था जिस पर पुलिस ने एक लाख रुपए का ईनाम भी घोषित कर रखा था. बताया जा रहा है कि बाबूलाल कटारा और शेरसिंह मीणा के करीबी संबंध हैं. वहीं अब तीनों आरोपियों को हिरासत में लेने के बाद आज पूछताछ के लिए जयपुर लाया जा रहा है. बता दें कि शेर सिंह से पूछताछ के बाद ही बाबूलाल कटारा का नाम सामने आया था. वहीं बुधवार को उदयपुर कोर्ट में तीनों आरोपियों को पेश किया जाएगा.
मास्टरमाइंड से है कटारा के संबंध
दरअसल बीते दिनों पेपर लीक मामले में वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह मीणा गिरफ्तार हुआ था जिसके बाद शेरसिंह मीणा से पूछताछ में आरपीएससी मेंबर बाबूलाल कटारा का नाम सामने आया था. इससे पहले बाबूलाल कटारा उदयपुर के आदिम जाति शोध संस्थान में निदेशक के पद पर पोस्टेड थे जहां वह शेर सिंह के संपर्क में आए थे.वहीं कटारा को हिरासत में लिए जाने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा है कि सेकेंड ग्रेड टीचर पेपर लीक के मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के सदस्य बाबूलाल कटारा एवं अन्य 2 आरोपियों को SOG ने हिरासत में लिया है. सीएम ने कहा कि युवाओं के हितों से खिलवाड़ करने वाला किसी भी स्तर का व्यक्ति हो, सरकार उसे सख्त से सख्त सजा दिलवाना सुनिश्चित करेगी.
बाबूलाल कटारा के बारे में जानिए
गौरतलब है कि डूंगरपुर के रहने वाले बाबूलाल कटारा को 15 अक्टूबर 2020 को राजस्थान लोक सेवा आयोग का मेंबर बनाया गया था जहां आयोग में उन्हें सांख्यिकी अधिकारी के पद पर जॉइनिंग दी गई थी. वहीं इससे पहले कटारा 1994 से 2005 तक भीम, राजसमंद, खैरवाडा, डूंगरपुर, सुमेरपुर और उदयपुर में काम कर चुके हैं. इसके अलावा 2013 में वह सचिवालय में आयोजना विभाग के संयुक्त निदेशक भी रह चुके हैं.