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तीन साल से नहीं है कोई पद, राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर सचिन ले सकते हैं बड़ा फैसला

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जयपुर: 29 मई को लंबी बैठक के बाद जबसचिन पायलट और अशोक गहलोत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं संग बाहर निकले तो सभी के चेहरों पर मुस्कान थी. अशोक गहलोत के बारे में कहा जाता है कि उनके हाव भाव से उनके भीतर क्या चल रहा है ये समझ पाना मुश्किल है. वहीं, पायलट के चेहरे पर मुस्कान संभावनाओं की ओर संकेत करती है. हालांकि, इन दोनों को मनाने के लिए सुलह का क्या फॉर्मूला निकला है, इसपर किसी ने भी कोई सफाई नहीं दी. राजनीतिक गलियारों की मानें तो इन दोनों नेताओं के बीच चल रही खींचतान पर सुलह की चादर डाल दी गई है, लेकिन अंदर की तकरार अभी भी जस की तस है. 2018 के बाद से तीन बार राजस्थान कांग्रेस के इन दोनों शूरमाओं के बीच सुलह का ये खेल खेला जा चुका है.

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क्या अभी खत्म नहीं हुआ विवाद?

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हालांकि, तब और अब में अंतर ये है कि पायलट तल्ख हो गए हैं. वो मुखरता से पार्टी लाइन से इतर हो रहे हैं. लगभग तीन साल से उनके पास सरकार और संगठन में कोई पद नहीं है. पौने तीन साल से पायलट सिर्फ विधायक ही हैं. पायलट से प्रदेश अध्यक्ष और कैंपेन कमेटी, चुनाव कमेटी का पद छिन गया है. ऐसे में कहा जा रहा है कि आखिर किस बात पर सचिन पायलट के तेवर दिल्ली में आलाकमानों के साथ हुई बैठक में वह नर्म पड़ गए. सियासी गलियारों में चर्चा ये भी है कि बस कुछ दिनों के लिए गहलोत Vs पायलट का विवाद थम गया है. पर यह खत्म नहीं हुआ है.

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क्या पार्टी देगी उन्हें कोई बड़ा पद?

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ऐसे में राजस्थान में कांग्रेस पार्टी उन्हें बड़ा पद दे सकती है. इसकी भी संभावनाएं कम ही हैं. क्योंकि पायलट से सुलह हरगिज भी गहलोत की कीमत पर करना कांग्रेस के लिए किसी भी तरह से फायदे का सौदा नहीं हो सकता. ऐसे में पायलट के लिए एक और विकल्प बचने की बात राजनीतिक पंडित कर रहे हैं. इस विकल्प पर से पर्दा 11 जून को हट सकता है. दरअसल, 11 जून को सचिन पायलट के पिता और कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेश पायलट की पुण्यतिथि है. 11 जून 2000 को एक सड़क हादसे में सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट का निधन हुआ था. तब वह मात्र 22 साल के थे.

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पायलट बना सकते हैं नई पार्टी!

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माना जा रहा है कि आने वाली 11 तारीख को सचिन पायलट कुछ बड़ा ऐलान कर सकते हैं. इस दिन वह राजस्थान की सियासत के लिए एक नई लकीर खींच सकते हैं. इसका ऐलान भी वो पहले ही कर चुके हैं. सचिन पायलट ने 9 मई को कहा भी था कि वह पिता की पुण्यतिथि पर राजीनितिक निर्णय की घोषणा कर सकते हैं. बताया जा रहा है कि पायलट अपनी एक अलग राजनीतिक पार्टी का भी ऐलान कर सकते हैं.

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राजस्थान में तीसरे मोर्चे की चर्चा

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सियासी गलियारों में चर्चाएं ये भी हैं कि वह राजस्थान में तीसरा मोर्चा खड़ा कर सकते हैं. इस लिए वह अपनी एक नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं. पायलट को तीन विधायकों और एक लोकसभा सांसद वाली राजस्थान की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) का समर्थन प्राप्त है. यहां ये बता दें कि कांग्रेस पार्टी का लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है. बीजेपी के इलावा अगर कोई दल है, जिसका राजस्थान से लोकसभा में कोई सांसद पहुंचा है तो वो RLP है, जिसके प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने 2019 में नागौर सीट अपने नाम की थी.

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पायलट की इन सीटों पर है पकड़

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वहीं, सचिन पायलट की पकड़ राज्य की कुल 78 सीटों में मानी जाती है. जिनमें पूर्वी राजस्थान की 58 सीटे हैं. जिनमें टोंक, भरतपुर, करौली, अलवर, धौलपुर, जयपुर, सवाई माधोपुर और दौसा जिले हैं. इसके साथ ही पायलट की पकड़ विधानसभा की 20 और सीटों में पर भी है, जहां गुर्जर समुदाय बहुसंख्यक है. पिछले दिनों अपनी यात्राओं और दौरों से पायलट इन इलाकों में घूम-घूमकर अपनी धमक और पकड़ दिखा चुके हैं. ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी की तरफ से उन्हें संतोषजनक पद नहीं मिलता है तो पायलट ऐसा कदम उठा सकते हैं, जिसका असर साल के आखिर में सूबे में होने वाले विधानसभा चुनावों पर जरूर पड़ेगा.

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