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राजस्थान में शव रखकर आंदोलन करना होगा गैर कानूनी, 2 साल की मिलेगी सजा

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राजस्थान में अब शवों को सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन करने को लेकर सख्त कानून आ गया है. इस तरह का काम कानूनन अपराध होगा. इसे लेकर अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में विधेयक भी पारित करवा दिया है. कहा जा रहा है की राज्यभर में आए दिन किसी ना किसी मुद्दे पर मृत देह रखकर अपने जायज-नाजायज मांगों को पूरा कराने की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए ही सरकार ने कानून बनाया है. हालांकि विपक्ष का आरोप है की कई बार सरकारी तंत्र की नाकामियों और गलतियों के चलते ही कुछ लोग जान देने को मजबूर होते हैं, ऐसे में आंदोलन से घबराकर सरकार ऐसा कर रही है. विधेयक का नाम ‘राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक 2023’ है, जो अब कानून का रूप ले रहा है. अशोक गहलोत सकरार ने राजस्थान विधानसभा में 3 दिन पहले यह बिल पेश किया था, जोकि अब कानून का रूप लेगा. मृत शरीर को सम्मान देने के लिए राजस्थान में यह कानून लाने की सरकार ने बात कही, जिसके बाद अब मृत शरीर के अपने अधिकार होंगे.

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शव रखकर प्रदर्शन करने वालों पर जुर्माना भी लगेगा

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विधयेक के मुताबिक, शव को उसके समुदाय या फिर धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करने का अधिकार दिया गया है. इस विधेयक में 7 चैप्टर है, जिसमें परिभाषा से लेकर परिवार, पुलिस की शक्तियों के साथ-साथ सजा और वित्तीय प्रवाधान किए गए हैं. खास बात यह भी है कि शवों का उपयोग विरोध के लिए करने और उसके लिए सहमति देने पर दो साल के कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. वहीं परिजनों के अलावा कोई भी अन्य व्यक्ति मृत शरीर का उपयोग विरोध के लिए करता है तो 6 महीने की जेल होगी. बताया गया है कि विधेयक में पुलिस को शक्ति दी गई है कि अगर शव का इस्तेमाल विरोध के लिए किया गया तो वह कार्यपालक मजिस्ट्रेट को शव सौंप देगी, जिसके बाद वह अपने कब्जे में ले सकेगी. कार्यपालक मजिस्ट्रेट मृत शरीर के अंतिम संस्कार के लिए मृतक के परिजनों को 24 घंटे के भीतर अंतिम संस्कार करने के नोटिस भी भेज सकेंगे. वहीं लावारिस शवों के अंतिम संस्कार से पहले उनका जेनेटिक डाटा और डीएनए प्रोफाइलिंग तैयार करवाकर सुरक्षित रखा जाएगा, लेकिन विपक्ष का इसका विरोध करते हुए कहा की सरकार और प्रसाशन के चलते ही कई बार कुछ लोग जान देने को मजबूर होते हैं, ऐसे में सरकार आंदोलन से घबराकर ही ऐसा कर रही है.

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गैंगस्टर आनंदपाल के मामले पर भी मचा था हंगामा

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दरअसल, गैंगस्टर आनंदपाल की बात हो या कई और मामलों की, कई बार देखा गया है कि परिजन कुछ लोगों के साथ मिलकर मृतक शव को रखकर कई-कई दिन आंदोलन करते हैं जिससे आम लोगों के साथ प्रशासन को काफी दिक्कतें हो जाती हैं. मानवता और नैतिकता को लेकर सवाल भी उठते हैं, बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाला मीणा तो आए दिन इसी तरह के आंदोलन के जरिए जायज-नाजायद मामलों में भी मृतकों के परिजनों को मुवावजा और सरकारी नौकरी देने के लिए आंदोलन करते नजर आते हैं. इन्हीं सब बातों को ध्यान रखते हुए सरकार ने मृतक शव सम्मान का फैसला करते हुए यह कानून बनाया है.

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