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राजस्थान के कोटा शहर में न सिर्फ राज्य के बल्कि देश के कोने-कोने से बच्चे पढ़ने के लिए पहुंचते हैं. यहां पर ज्यादातर बच्चे आईआईटी-जेईई की तैयारी के लिए पहुंचते हैं. लेकिन बढ़ता कॉम्पटीशन और शिक्षा का बाजारीकरण इन बच्चों पर किस तरह से गलत प्रभाव डाल रहा है इसे जानने के लिए आंकड़ों पर एक नजर बस काफी है. हाल ही में जिला स्तर के आंकड़ों को देखा जाए तो इस साल अभी तक 20 छात्रों ने खुदकुशी की है. दरअसल हाल ही में बिहार के गया जिले के रहने वाले एक 18 वर्षीय छात्र वाल्मीकि प्रसाद ने अपने कमरे में खुदकुशी कर ली है. यह छात्र भी आईआईटी-जेईई की परीक्षा की तैयारी करने के लिए कोटा गया था. पुलिस ने छात्र के शव को कब्जे में लेकर न्यू मेडिकल कॉलेज के मु्र्दाघर में रखवाया है. पुलिस ने बताया कि वह महावीर नगर में एक पीजी में रह रहा था. उसने अपने कमरे में ही फंदे से लटक कर खुदकुश की है.
सोमवार से नहीं निकला था बाहर
हालांकि पुलिस को उसके कमरे से किसी तरह का सुसाइड नोट नहीं मिला है. वहीं पुलिस छात्र के परिजनों का इंतजार कर रही है उनके आने के बाद ही पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी. पुलिस ने बताया कि छात्र को अपने कमरे से बाहर सोमवार शाम को निकलते हुए देखा गया था. पुलिस ने लगातार हो रही छात्रों की आत्म हत्या के मामले में चिंता जाहिर की है.
अब तक 20 मामले
आंकड़ों के अनुसार वाल्मीकि की मौत का मामला पिछले एक महीने में आत्महत्याओं के मामलों में चौथा है. वहीं अगर इस साल की बात की जाए तो जनवरी से लेकर अभी तक कुल मिलाकर 20 छात्र-छात्राओं के आत्महत्या के मामले सामने आ चुके हैं. इसी आंकड़े पर अगर ध्यान दें तो पिछले साल 15 इस तरह के मामले सामने आई थे. लगातार हो रही आत्महत्याओं की वजह से जो परिजन अपने होनहार बच्चों को कोटा पहुंचाना चाहते हैं, उनमें भी डर का माहौल है.