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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 29 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर-वन विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. बड़ी बात यह है कि विजयवर्गीय 10 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. विजयवर्गीय को टिकट मिलते ही उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय सुर्खियों में आ गए. सूची जारी हुई तो राजनीतिक गलियारों में यह सवाल गूंजने लगा कि पार्टी ने पिता को तो टिकट दे दिया, क्या अब बेटे को भी पार्टी फिर से चुनावी पिच पर ‘बैटिंग’ करने का मौका देगी? आकाश विजयवर्गीय अभी इंद्रौर-3 विधानसभा सीट से विधायक हैं. बीजेपी हमेशा से कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरती रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी परिवारवाद के खिलाफ खुलकर अपनी राय जाहिर कर चुके हैं. अब बीजेपी ने कैलाश विजयवर्गीय को टिकट देकर खुद परिवारवाद के मुद्दे पर लोगों के अंदर दिलचस्पी पैदा कर दी है. दिलचस्पी इसलिए क्योंकि बीजेपी में एक परिवार-एक टिकट का फॉर्मूला है. जिसके चलते सवाल उठने लगे हैं कि क्या आकाश विजयवर्गीय को टिकट दिया जाएगा?
10 साल बाद चुनावी मैदान में कैलाश विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय को बीजेपी ने इंदौर एक सीट से उम्मीदवार चुना है. इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है और संजय शुक्ला विधायक हैं. इस चुनाव में भी कांग्रेस संजय शुक्ला पर ही अपना दांव खेलेगी. यानी इंदौर वन विधानसभा सीट पर संजय शुक्ला बनाम कैलाश विजयवर्गीय की बड़ी टक्कर देखने को मिलेगी. विजयवर्गीय भले ही 10 साल बाद अपनी किस्मत आजमा रहे हों, लेकिन वह इससे पहले 6 बार विधायक चुने जा चुके हैं. विजयवर्गीय सबसे पहले 1990 में विधायक चुने गए थे.
2018 में नहीं लड़े कैलाश तो आकाश को दिया टिकट
कैलाश ने साल 1990 में इंदौर की चार नंबर विधानसभा सीट से टिकट लड़ा और जीत हासिल की. उसके बाद साल 1993, 1998 और 2003 में अपने गृह क्षेत्र दो नंबर सीट से विधायक रहे. संगठन ने 2008 और 2013 में विजयवर्गीय को महू विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. उन्होंने इस चुनौती को स्वीकारा और जीत हासिल की. कैलाश ने 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था, दिसके बाद 2018 में उनके बेटे आकाश को इंदौर-3 सीट से टिकट दिया गया और जीत हासिल की.
‘बल्लेबाजी’ कांड के बाद धूमिल हुई आकाश की छवि
जब जब आकाश विजयवर्गीय की चर्चा की जाती है, तब तब उनकी बल्लेबाजी का जिक्र भी होता है. दरअसल साल 2019 में विधायक आकाश विजयवर्गीय का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह इंदौर के गंजी कंपाउंड क्षेत्र में नगर निगम के एक अधिकारी को बल्ले से पीटते नज़र आए. आकाश नगर निगम के अधिकारियों की ओर से की गई कार्रवाई से नाराज थे. इस घटना के बाद बीजेपी की पूरे देश में किरकिरी हुई थी. इस कांड की वजह से आकाश की छवि धूमिल हो गई.
एक परिवार-एक टिकट के फॉर्मूले पर चल रही BJP
राजनीति के विशेषज्ञों का कहना है कि बीजेपी ने इस चुनाव में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के भाई जालम सिंह पटेल का टिकट काट कर उन्हें प्रत्याशी बनाया है. इसी तरह से नरेंद्र तोमर के बेटे चार साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह पर नरेंद्र तोमर को ही मैदान में उतारा है. ऐसे में बीजेपी एक परिवार-एक टिकट के फॉर्मूले को लेकर चल रही है, जिसके चलते कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश के लिए चुनावी रण में उतरना मुश्किल हो सकता है.