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कामां सीट पर 2018 में चूक गई थी BJP, इस बार कांग्रेस की मजबूत घेराबंदी

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राजस्थान की कामां विधानसभा सीट पर पिछली बार बीजेपी जीत हासिल करने में चूक गई थी, लेकिन इस बार उसने कांग्रेस की मजबूत घेराबंदी की है. माना जा रहा है कि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय हो सकता है. पांच साल पहले साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, कामां विधानसभा सीट पर लगभग 2 लाख 33 हजार मतदाता थे. इस बार कुल मतदाता 259602 हैं, जिनमें 139514 पुरुष और 120088 महिला मतदाता हैं. हरियाणा और उत्तरप्रदेश की सीमाओं से सटी राजस्थान के नवनिर्मित डीग जिले की कामां विधानसभा प्रदेश की महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. कामां विधानसभा सीट मेवात क्षेत्र की प्रतिष्ठा माने जाने वाली सीट है. इस सीट पर लगभग 2 लाख 59 हजार 602 मतदाता हैं.

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दो लोग लगातार दो बार बने विधायक

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यहां पर लगातार 10 साल तक विधायक बनने का अवसर मात्र दो प्रत्याशियों को ही मिला है. वर्ष 1962 में कामां विधानसभा की सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मजलिस खान जीतकर विधायक बने थे. उसके बाद 1967 ने हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के प्रत्याशी मजलिस खान ने जीत दर्ज की और लगातार 10 वर्ष विधायक रहे. उसके बाद वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में कामां विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी तैयब हुसैन ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1998 में फिर कांग्रेस ने तैयब हुसैन को ही पार्टी का प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में चौधरी तैयब हुसैन ने जीता और लगातार 10 वर्ष विधायक रहे. अन्य विधानसभा के चुनाव में मतदाताओं ने लगातार दूसरी बार किसी को विधायक बनने का मौका नहीं दिया. कामां विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरणों के चलते कांग्रेस को हराना बीजेपी के लिए मुश्किल होता है, ऐसा अभी तक के जो आंकड़े हैं वह गवाही दे रहे हैं. डीग जिले की कामां विधानसभा सीट प्रदेश की महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. इस बार के चुनावों की बात करें तो कामां विधानसभा क्षेत्र में लगभग 2 लाख 59 हजार 602 मतदाता हैं. इनमें 1लाख 37 हजार मुस्लिम मतदाता तो वहीं 1 लाख 22 हजार हिंदू और सिख मतदाता हैं. पूर्व के विधानसभा चुनावों में मतदाताओं ने लगातार दूसरी बार किसी को विधायक बनने का मौका नहीं दिया.

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कामां से विधायक बनने का इतिहास

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  • कामां विधानसभा सीट से वर्ष 1952 में कांग्रेस के उम्मीदवार एमडी इब्राहिम ने 13171 मत यानी 41.75 प्रतिशत मत पाकर आईएनडी के रोशन लाल (8810) चुनाव हराया था.
  • 1957 में आईएनडी के नत्थी सिंह ने 22544 वोट मिले थे. यानी 48.25 प्रतिशत वोट पाकर उन्होंने कांग्रेस के मोहम्मद अब्राहम (20590) को हराया.
  • 1962 के चुनावों में कांग्रेस के मजलिश खान ने 23016 वोट (50.47 प्रतिशत) पाकर भाकपा के रामचंद (11275) को हराया.
  • 1967 के चुनावों में कांग्रेस के मजलिश खान को 11920 (26.03 प्रतिशत) वोट मिले. उन्होंने भाकपा के पी. चंद (7492) को हराकर दोबारा जीत हासिल की.
  • 1972 में बीजेएस के मनोहर लाल ने 24924 (43.51प्रतिशत) वोट पाकर कांग्रेस के मजलिश खान (18513) को चुनाव हराया.
  • 1977 में जेपी के उम्मीदवार मो. जहूर ने 11234 यानी 29.63 प्रतिशत वोट पाकर आईएनडी के मनोहर लाल (7356) को हराया था.
  • 1980 में हाजी चाव खान जेपी (सीएच) 16938 यानी 38.88 प्रतिशत वोट पाकर कांग्रेस (आई) के मनोहर लाल (10283) को हराकर जीत हासिल की.
  • 1985 में दो बार के विधायक रहे मजलिस खान के बेटे कांग्रेस के उम्मीदवार शमशुल हसन ने मत 16836 (34.26 प्रतिशत) वोट पाकर कांग्रेस(जे) के उम्मीदवार मदन मोहन सिंघल (14551) को हराया था.
  • 1990 में आईएनडी (निर्दलीय) उम्मीदवार मदन मोहन सिंघल ने 20783 यानी 31.79 प्रतिशत वोट पाकर कांग्रेस के तत्कालीन विधायक शमशुल हसन (13177) को हराकर जीत हासिल की. इस जीत के बाद उन्हें मंत्री भी बनाया गया था.
  • 1993 में कांग्रेस के तैय्यब हुसैन 44151 यानी 52.19 प्रतिशत वोट मिले. उन्होंने निर्दल प्रत्याशी मदन मोहन सिंघल (33379) को हराकर राजस्थान विधानसभा में जगह बनाई.
  • 1998 में कांग्रेस के तैय्यब हुसैन ने 33231 यानी 41.57 प्रतिशत वोट हासिल कर निर्दलीय उम्मीदवार मदन मोहन सिंघल (28534) को हराकर फिर से सीट पर कब्जा किया.
  • 2003 में भाजपा के मदन मोहन सिंघल ने 49919 मत हासिल किए. इस चुनाव में उन्हें 47.63 प्रतिशत वोट मिले थे. उन्होंने कांग्रेस के तैय्यब हुसैन (47455) को हराकर दूसरी बार जीत का परचम लहराया.
  • 2008 के चुनाव में कामां विधानसभा सीट पर चौधरी तैय्यब हुसैन की बेटी जाहिदा खान ने 57332 (47.2 प्रतिशत) वोट हासिल कर भाजपा के नसरू खान (49467) को हराया.
  • 2013 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह के बेटे कुंवर जगत सिंह ने 74415 वोट (47 प्रतिशत) हासिल कर कांग्रेस की जाहिदा खान (71058) को हराया.
  • 2018 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सिटिंग विधायक जगत सिंह का टिकट काटकर डांग विकास बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके जवाहर सिंह बेढ़म को मौका दिया था, जिन्हें कांग्रेस की जाहिदा खान ने हरा दिया.
  • जाहिदा ने उन्हें 1 लाख 10 हजार 789 मत प्राप्त कर 39,621 मतों के अंतर से हराया था. इससे पहले 2008 में भी जाहिदा खान इस सीट से विधायक रह चुकी हैं. वहीं पिछले चुनाव (2013) में उन्हें बहुत कम अंतर से हार मिली थी.
  • 2018 के विधानसभा के चुनाव में जाहिदा खान चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जाहिदा खान को शिक्षा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी. डीग जिले की कामां विधानसभा क्षेत्र में लगभग 2 लाख 42 हजार मतदाता हैं, जो विधायक को चुनने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं. इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. दोनों ही प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस चुनावी मोड में आ गई हैं और मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रही हैं. इस बार के परिणाम कैसे होंगे यह देखने वाली बात होगी. मतदाता किस प्रत्याशी को चुनकर विधानसभा में भेजेंगे यह तो चुनाव के बाद ही तय होगा.

पैराशूट उम्मीदवार विकास में सबसे बड़ी बाधा

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पिछले तीन दशक से बाहरी उम्मीदवारों के दखल से आम मतदाता त्रस्त है. जिसके कारण कामां विधानसभा क्षेत्र विकास की गति से काफी पीछे छूट गया है. मेवात की इस विधानसभा को आज अपराध के क्षेत्र में जामताड़ा के बाद दूसरे स्थान पर माना जाता है. यहां का युवा साइबर क्राइम के कारण अपराध के दलदल में पूरी तरह अभ्यस्त हो चुका है. यही कारण है की आज के समय में प्रतिदिन देश के हर राज्य की पुलिस विधानसभा के विभिन्न थानों पर देर सवेर देखी जाती है.

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युवाओं के पास नही है रोजगार

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पूर्व भरतपुर जिला दिल्ली-एनसीआर में शामिल होने के कारण यह क्षेत्र विकास में काफी पीछे छूट गया है. जिस कारण यहां औद्योगिक इकाइयां स्थापित तो हुईं लेकिन चालू नहीं हो पाई. जिस कारण यहां के युवाओं को रोजगार के लाभ नहीं मिल पाए. हालांकि यह क्षेत्र ब्रज के प्रमुख स्थानों में गिना जाता है. इस क्षेत्र में देश के विभिन्न प्रदेशों के अलावा विदेशों से भी दर्शनार्थी और पर्यटक आते हैं. अगर इस क्षेत्र को दिल्ली भरतपुर रेल मार्ग से जोड़ने के लिए कोसी से भरतपुर तक रेलवे लाइन बना दिया जाए तो यहां विकास के नए आयाम स्थापित हो पाएंगे. वहीं युवाओं को रोजगार मुहैया हो पाएंगे और भविष्य के कर्णधारों को अपराध के दलदल में जाने से रोका जा सकेगा.

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क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ी बाधा

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बिजली, चंबल का पानी, सड़क और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने के कारण क्षेत्र में विकास के आयाम स्थापित नहीं हो सके. जिस कारण सरकार के तमाम दावों के बावजूद भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पाया. इसके कारण सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं आमजन तक नहीं पहुंच सकीं.

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यहां तीसरी बार नहीं बनता विधायक

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इस बार बसपा का टिकट मेव समुदाय के खुर्शीद अहमद को मिलने के कारण जहां भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार की जीत की संभावना प्रबल मानी जा रही है. तो वहीं बसपा के टिकट पर 2018 में चुनाव जीते बाजिव अली के कांग्रेस में चले जाने के बाद इन चुनावों में जीत की संभावना पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. वहीं कांग्रेस की विधायक साफिया जुबेर खान का भी विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता.हीं भाजपा का टिकट मांग रहे पूर्व विधायक मनोहर लाल के सुपुत्र अनिल गुप्ता के साथ-साथ हरियाणा विधानसभा में उपाध्यक्ष रहे मेव समाज के कद्दावर नेता चौधरी आजाद मोहम्मद के द्वारा जेजीपी की टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद मेव समुदाय का वोट बंटता हुआ नजर आ रहा है. इस बार मेव समाज का भाजपा के तरफ झुकाव के कारण पूर्व मंत्री नसरू खान, उद्योगपति और समाजसेवी शकील खान सहित अन्य नेता भाजपा भी दौड़ में आगे हैं. हालांकि पूर्व मंत्री मदन मोहन की दावेदारी को भी हल्के में नहीं आंका जा रहा है. लेकिन कुछ उम्मीदवार इनमें से ऐसे भी हैं जो भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर बसपा और ओवैसी की पार्टी का दामन थाम कर कहीं ना कहीं वर्तमान में मंत्री और कांग्रेस के टिकट की प्रबल दावेदार जाहिदा खान की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं.

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सामाजिक-आर्थिक ताना बाना

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कामां या कामवन राजस्थान के भरतपुर जिले का एक उपखंड और तहसील मुख्यालय है. इसका वर्तमान नाम ‘कामां’ है. कामां एक बड़ा ही प्राचीन और ऐतिहासिक क़स्बा है. कामां मेव मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. भरतपुर के मेवात क्षेत्र का मुख्य शहर कामां ही है. कामां मे मेव समाज का प्रभाव है. मेव मेवाती बोली बोलते हैं. कामवन ब्रज का प्रसिद्ध तीर्थ भी है. इसका पौराणिक नाम काम्यकवन, कामवन था. ब्रज की चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग में इस स्थान का अपना महत्त्व है. बृज के 12 प्राचीनतम वनों में कामवन पांचवा वन है. मथुरा से 65 किमी पश्चिम दिशा में गोवर्धन और डीग होते हुए सड़क मार्ग से कामवन (कामां) पंहुचा जा सकता है.

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प्रमुख दर्शनीय स्थल

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  • विमल कुण्ड : यह सरोवर मात्र न होकर लोक-समाज के लिए आज भी तीर्थ स्थल की तरह है. आज भी यहां यह लोक मान्यता है कि आप चाहे चारों धाम की तीर्थ-यात्रा कर आएं, यदि आप विमल कुण्ड में नहीं नहाये तो आपकी तीर्थ-भावना अपूर्ण रहेगी.
  • विमल बिहारी मंदिर
  • कामेश्वर महादेव
  • चरण पहाडी
  • भोजन थाली
  • कदम्ब खंडी
  • प्राचीन महलों के भग्नावशेष
  • ब्रज केदारनाथ धाम (बिलोंद)

कामां के अन्य मंदिर

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कामां, जिसे पौराणिक नगरी होने का गौरव हासिल है, मध्यकाल से पूर्व की बहुत प्राचीन नगरी है. इसका ब्रज के वनों में केंद्रीय स्थान रहा है. कोकिलावन भी इसके बहुत नज़दीक है. वहां नंदगांव हो कर जाते हैं. नंदगांव, कामां के पास ही सीमावर्ती कस्बा है, यद्यपि वह उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में आता है. काम्यवन को ब्रज के बारह वनों में से एक उत्तम वन कहा गया है. काम्यवन के आस-पास के क्षेत्र में तुलसी जी की प्रचुरता के कारण इसे कहीं आदि-वृन्दावन भी कहा जाता है. (वृन्दा तुलसी जी का ही पर्याय है.) वृन्दावन की सीमा का विस्तार पहले दूर-दूर तक फ़ैला हुआ था, गिरिराज-पर्वत, बरसाना, नन्दगांव आदि स्थलियां वृन्दावन की सीमा के अन्तर्गत ही मानी गयीं थीं. महाभारत में वर्णित काम्यवन भी यही माना गया है. जहां कुछ वक़्त पाण्डवों ने अज्ञातवास किया था. वर्तमान में यहां अनेक ऐसे स्थल मौजूद हैं, जिससे इसे महाभारत से सम्बन्धित माना जा सकता है. पांचों पाण्डवों की मूर्तियां, धर्मराज युधिष्ठिर के नाम से धर्मकूप तथा धर्मकुण्ड भी यहां प्रसिद्ध है. विष्णु पुराण के अनुसार यहां कामवन की परिधि में छोटे-बड़े असंख्य तीर्थ हैं। कामवन अपने चौरासी कुंडों, चौरासी खम्भों और चौरासी मंदिरों के लिए जाना जाता है. 84 तीर्थ, 84 मन्दिर, 84 खम्भे आदि राजा कामसेन ने बनवाये थे, जो यहां की अमूल्य धरोहर हैं. यहां कामेश्वर महादेव, श्री गोपीनाथ जी, श्रीगोकुल चंद्रमा जी, श्री राधावल्लभ जी, श्री मदन मोहन जी, श्रीवृन्दा देवी आदि मन्दिर हैं. यद्यपि अनुरक्षण के अभाव में यहां के अनेक मंदिर नष्ट भी होते जा रहे हैं, फ़िर भी यहां के कुछ तीर्थ आज भी अपना गौरव और श्रीकृष्ण की लीलाओं को दर्शाते हैं. कामवन को सप्तद्वारों के लिये भी जाना जाता है.

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काम्यवन में सात दरवाजे

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  1. डीग दरवाजा काम्यवन के अग्नि कोण में (दक्षिणपूर्व दिशा में) अवस्थित है. यहां से डीग (दीर्घपुर) और भरतपुर जाने का रास्ता है.
  2. लंका दरवाज़ा यह काम्यवन गांव के दक्षिण कोण में अवस्थित है. यहां से सेतुबंध कुण्ड की ओर जाने का मार्ग है.
  3. आमेर दरवाज़ा काम्यवन गांव के नैऋत कोण में (दक्षिणपश्चिम दिशा में) स्थित है. यहां से चरणपहाड़ी जाने का मार्ग है.
  4. देवी दरवाजा यह काम्यवन गांव के पश्चिम में स्थित है. यहां से वैष्णवी देवी (पंजाब) जाने का मार्ग है.
  5. दिल्ली दरवाज़ा यह काम्यवन के उत्तर में स्थित है. यहां से दिल्ली जाने का मार्ग है.
  6. रामजी दरवाज़ा – यह गांव के ईशान कोण में स्थित है. यहां से नन्दगांव जाने का मार्ग है.
  7. मथुरा दरवाज़ा यह गांव के पूर्व में स्थित है. यहां से बरसाना होकर मथुरा जाने का मार्ग है.
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