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मध्य प्रदेश की तरह बीजेपी ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपने सांसदों को विधानसभा चुनाव का टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है. राजस्थान में बीजेपी ने छह लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद को विधानसभा का प्रत्याशी बनाया है तो छत्तीसगढ़ में एक केंद्रीय मंत्री सहित चार सांसदों को टिकट दिया है. एमपी में तीन केंद्रीय मंत्री सहित 7 सांसदों को प्रत्याशी बना रखा है. हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने सांसदों को विधानसभा के चुनावी रण में उतारा है. इससे पहले बीजेपी पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, केरल और यूपी विधानसभा चुनावों में यह फॉर्मूला आजमा चुकी है लेकिन सफल नहीं हो सकी. इसके बावजूद बीजेपी ने यह दांव एक बार फिर से खेला है.
राजस्थान के रण में उतरे सात सांसद
राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सात सांसदों को प्रत्याशी बनाया है. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को झोटवाड़ा विधानसभा सीट से, नरेंद्र कुमार को मंडावा विधानसभा सीट से, दिया कुमारी को विद्याधर नगर विधानसभा सीट से, बाबा बालकनाथ को तिजारा विधानसभा सीट से, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से, भगीरथ चौधरी को किशनगढ़ विधानसभा सीट से और देवजी पटेल को सांचोर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. ये सातों ही नेता मजबूत माने जाते हैं और उनकी अपनी-अपनी पकड़ है. इसमें दो राजपूत, दो जाट, एक मीणा और कुर्मी समुदाय से आते हैं.
एमपी-छत्तीसगढ़ में सांसद पर दांव
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक केंद्रीय मंत्री सहित चार सांसदों को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने भरतपुर-सोनहत (एसटी) सीट से रेणुका सिंह, पत्थलगांव (एसटी) सीट से गोमती साय, लोमरी सीट से अरुण साव को टिकट दिया है. पाटन विधानसभा सीट से विजय बघेल को दिया है. चारो ही प्रत्याशी लोकसभा सांसद हैं. वहीं, बीजेपी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीन केंद्रीय मंत्री सहित 7 सांसदों को प्रत्याशी बना रखा है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी सीट से, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को नरसिंहपुर सीट से, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास सीट से, सांसद रीति पाठक को सीधी सीट से, राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम सीट से, गणेश सिंह को सतना सीट से और उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा सीट से प्रत्याशी बनाया है.
बंगाल-केरल-यूपी में दांव रहा फेल
बीजेपी ने अपने सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतरने का फॉर्मूला पहली बार नहीं है बल्कि पश्चिम बंगाल, केरल, यूपी और त्रिपुरा में सांसदों को उतार चुकी है. पश्चिम बंगाल के 2021 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने 5 मौजूदा लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को टिकट दिया है. इसमे में महज दो बीजेपी के सांसद जगन्नाथ सरकार शांतिपुर और निसिथ प्रमाणिक दिनहाटा से जीतने में सफल रहे थे. इसके अलावा बीजेपी के दिग्गज नेता और सांसद स्वपन दासगुप्ता तारकेश्वर सीट से, बाबुल सुप्रियो टॉलीगंज सीट से और लॉकेट चटर्जी चुचुरा सीट से हार गए थे.
केरल के 2021 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने दो सांसदों को विधायकी के लिए उतारा था, जिसमें सुरेश गोपी त्रिशूर सीट से और केजे अल्फोंस कन्जिराप्पल्ली सीट से. बीजेपी के दोनों ही सांसद विधानसभा का चुनाव हार गए थे. इसी तरह उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री और आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल को मैनपुरी की करहल सीट से चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन वो भी जीत नहीं सके. इसी तर्ज पर त्रिपुरा के 2023 विधानसभा चुनाव में प्रतिमा भौमिक को धनपुर सीट से प्रत्याशी बनाया था, जो जीतने में सफल रही थी.
बीजेपी ने आखिर क्यों लगा रही दांव
बीजेपी ने चार राज्यों में कुल 9 सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया था, जिनमें तीन ही जीत सके और बाकी छह सांसदों को हार का मूंह देखना पड़ा था. सांसदों को विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारने का फॉर्मूला फेल रहा. इसके बावजूद बीजेपी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में सांसदों को विधायकी का टिकट दिया है. माना जा रहा है कि बीजेपी अपने केंद्रीय मंत्री और सांसदों को चुनावी मैदान में उतारकर आसपास की सटी हुई सीटों पर जीत का परचम फहराने की रणनीति है. एक सांसद कम से कम से कम पांच विधानसभा सीटों का प्रतिनिधित्व करता है. ऐसे में बीजेपी ने उन्हें उतारकर एक सीट ही नहीं बल्कि कई सीटों को साधने की रणनीति मानी जा रही है.
पीएम मोदी से बड़ा कोई चेहरा नहीं
बीजेपी तीनों ही राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव में इस बार सामूहिक नेतृत्व और पीएम मोदी के चेहरे को लेकर चुनाव में उतरने जा रही है. 2018 तक जो भी विधानसभा चुनाव हुए, एमपी में शिवराज सिंह चौहान. छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और राजस्थान में वसुंधरा राजे के चेहरे पर भी लड़े गए, लेकिन दो दशक के बाद बीजेपी ने किसी भी नेता के चेहरे को सीएम पद के लिए प्रोजेक्ट नहीं किया है. बीजेपी ने सीएम चेहरे को लेकर अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं और जब भी इस मुद्दे पर बात होती है तो पार्टी के नेता साफ-साफ शब्दों में कहते हैं कि पीएम मोदी से बड़ा कोई चेहरा नहीं है.
मुख्यमंत्री बनने का विकल्प खुला
बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों और सासंदो को टिकट देकर साफ संदेश दे दिया है कि चुनाव बाद सीएम बनने का विकल्प खुला है. ऐसे में अगर इन सासंदो के क्षेत्र, संभाग और जिले में बीजेपी जीतती है तो इनकी लॉटरी लग सकती है. बीजेपी ने किस तरह से चुनावी जंग जीतने की रूप रेखा खींची है. सबसे जरूरी और खास बात ये है कि जितने दिग्गज चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, उनमें से सभी अपने-अपने क्षेत्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार बताने का दावा करेंगे. इसके पीछे बीजेपी का पूरा सियासी गणित छिपा है. हर एक राजनेता अपने-अपने इलाके में खुद को सीएम का दावेदार बताकर पूरी ताकत से चुनाव जीतने और जिताने का प्रयास करेगा और उन सभी की अपनी-अपनी कास्ट केमिस्ट्री भी है. यही वजह है कि बीजेपी अपने सांसद और केंद्रीय मंत्री को चुनावी रण में उतारा है ताकि जीत का परचम फहरा सके?