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अंडे से बाहर आने लगे बच्चे… क्या भारत में टिड्डियां फिर से मचाएंगी तबाही?

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राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में टिड्डियों के अंडे मिलने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. ये अभी प्रीमेच्योर स्टेज पर हैं. टिड्डी नियंत्रण दल द्वारा किए गए सर्वे में इनके कई अंडे जैसलमेर से बॉर्डर की तरफ मोहन गढ़ कस्बे में करीब 816 हेक्टेयर भूमि में फैले मिले हैं. ये हाल ही में अंडे से बाहर निकले हैं. संभवतः ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि टिड्डी की एक खेप पाकिस्तान से हवा के साथ आई और यहां अंडे दिए. बता दें कि टिड्डियां अपने अंडे जमीन के अंदर देती हैं और ये एक साथ जमीन से बाहर आते हैं. हालांकि अंडे से निकलने के 50 दिन तक मैच्योर होने में लग जाते हैं. जब तक ये हवा में नहीं उड़ पातीं, जिस कारण इनका फैलाव ज्यादा नहीं हो पाता, लेकिन अगर 50 दिनों के अंदर इन्हें कंट्रोल नहीं किया गया तो यह एक दिन में 150 किमी तक का सफर तय कर सकती हैं. साथ ही जहां भी इनका दल रुकता है, वहां अंडे देती हुई जाती हैं, जिससे इनका फैलाव तेजी से होता है. एक टिड्डी करीब 40 से 50 और कभी-कभी 100 अंडे एक साथ देती है.

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खेतों में टिड्डी नियंत्रण दल ने किया छिड़काव

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फिलहाल टिड्डी सर्वे में जो अंडे की खेप मिली थी, उस पर छिड़काव कर कंट्रोल कर दिया गया है. टिड्डी नियंत्रण विभाग के सहायक निदेशक डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र बाड़मेर, जैसलमेर और निकटवर्ती जिलों में तीन से चार जिलों में टिड्डियों होने की सूचना मिली थी. हमने छिड़काव कर इसे कंट्रोल कर लिया है. हमने इसके लिए 10 टीम लगाई है, जो अभी भी सर्वे कर रही है. इसके लिए हमने कंट्रोल सेंटर भी स्थापित किया है. किसान हमसे सीधा संपर्क कर मदद ले सकते हैं

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टिड्डियों की अंडों की खेप मिलने के बाद टिड्डी नियंत्रण दल जगह-जगह छिड़काव कर रहा है.

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वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि यह भ्रांति है कि 2019 में जिस तरह का टिड्डी का झुंड आया था, उसी के ये अंडे हैं. संभवतः यह पाकिस्तान से एक झुंड हवा के साथ भारत में प्रवेश किया और पिछले दिनों बिपरजॉय तूफान में असर से बारिश अच्छी होने के कारण नमी में उस झुंड ने यहां अंडे दिए होंगे.

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टिड्डियों के अंड्डे देख किसानों में डर की स्तिथि

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बिपरजॉय के असर के कारण इस बार मानसून जून से ही शुरू हो गया था और अभी 30 अगस्त तक मानसून की बारिश होने के आसार हैं. ऐसे में किसानों को पहले ज्यादा बारिश से हुई फसल खराब और अब टिड्डी के हमले का डर सता रहा है. स्तिथि अगर और बिगड़ी और हालात 2019 जैसे हुए तो क्या होगा? पहले से आर्थिक मार झेल रहा किसान अब डर में है. जो फसल टिड्डियों से बच जाती है, वह टिड्डी बचाव में जो केमिकल छिड़काव किया जाता है, उससे बची हुई फसल भी खराब हो जाती है.

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5 मिनट में कर देती है पूरा पेड़ साफ

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टिड्डियों का आतंक इतना है कि ये एक साथ लाखों की संख्या में हवा के साथ सफर करती हैं. यह एक दिन में 150 किमी तक सफर कर सकती हैं और जहां ये बैठती हैं, वह फसल से लेकर पेड़ तक सब साफ कर देती हैं. ये अपने भार से कई गुना अधिक खाने की क्षमता रखती हैं. कहते है कि टिड्डियों का एक छोटा झुंड ही पांच मिनट में पूरा पेड़ साफ कर सकता है. 2019 की तरह हमला होता है तो लाखों हेक्टेयर भूमि की फसल को कुछ ही घंटों में साफ कर आगे बढ़ सकती हैं.

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भारत सरकार ने पहले ही कर दिया है चावल का एक्सपोर्ट बंद

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गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भारत सरकार ने अनाज की कमी के चलते चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था. ऐसे में अगर टिड्डियों का हमला होता है तो जिस अच्छी फसल की उम्मीद की जा रही है, वह भी धूमिल हो जाएगी. पिछली बार 2019 में टिड्डियों का असर राजस्थान के साथ गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी देखने को मिला था. ऐसा हमला देश के लिए फिर से संकट पैदा कर सकता है.

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अगर सीमा पार पाकिस्तान में टिड्डियों ने दिए अंडे तो क्या होगा?

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जो प्री मैच्योर अंडे की खेप मिली है, वह राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र मोहनगढ़ कस्बे में मिली है. यहां करीब छह स्पॉट को लोकेट किया गया और कंट्रोल किया गया. और भी सर्वे अभी जारी हैं. गौरतलब है कि मोहनगढ़ कस्बा भारत-पाकिस्तान सीमा से महज 70 किमी दूर है, जिसकी दूरी टिड्डियां सिर्फ आधे दिन में ही तय कर सकती हैं.

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कहीं 2019 वाला मंजर फिर से देखने को मिले?

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एक और डर सता रहा है कि अगर मोहनगढ़ कस्बे में मिले अंडे पाकिस्तान की तरफ भी हुए और पाकिस्तान इसे कंट्रोल नहीं किया तो 50 दिन बाद मैच्योर हो ये सफर तय कर भारत में प्रवेश कर सकते हैं. पहले से भुखमरी और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहा पाकिस्तान इसके लिए कोई प्रयास करेगा, इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है. अगर ऐसा हुआ तो 2019 वाला मंजर फिर से दिख सकता है.

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