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हिंडौन सिटी सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में सीधा मुकाबला, बसपा बिगाड़ सकती है समीकरण

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राजस्थान की हिंडौन सिटी सीट पर गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी भरोसी लाल जाटव और बीजेपी प्रत्याशी मंजू खैरवाल के बीच सीधा मुकाबला हुआ था. कांग्रेस और बीजेपी की टक्कर में कांग्रेस के भरोसी लाल विधायक बने. उन्होंने बीजेपी की मंजू खैरवाल को 26780 वोटों से पराजित किया था. चुनाव में भरोसी लाल को 104694 वोट मिले, जबकि मंजू खैरवाल को 77914 वोट मिले थे. आरएलपी की उम्मीदवार शशि दत्ता को 878 व भारतीय युवा शक्ति पार्टी के शिवनारायण को 751 वोट मिले थे. इन दोनों प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. वर्तमान समय में विधायक भरोसी लाल की क्षेत्र में स्थिति मजबूत है. उनके पुत्र बृजेश कुमार जाटव हिंडौन नगर परिषद में सभापति हैं और दूसरे पुत्र विनोद कुमार जाटव हिंडौन पंचायत समिति के प्रधान हैं इसलिए शहर से लेकर गांव तक विकास कार्य भी कराए गए हैं. आगामी विधानसभा चुनाव के लिए विधायक के पुत्र और नगर परिषद के सभापति बृजेश कुमार जाटव कांग्रेस के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि विधायक ने विकास कार्यों को भी प्राथमिकता दी है, लेकिन व्यक्तिगत विरोध के कारण विकास के नाम पर वोट पड़ने की संभावना कम है.

बीजेपी से राजकुमारी जाटव प्रबल दावेदार

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हिंडौन विधानसभा सीट पर जाटव वोट सर्वाधिक हैं. व्यक्तिगत रूप से विधायक और उनके परिवार का विरोध नहीं है, लेकिन एंटी इनकंबेंसी के चलते लोग अन्य दावेदारों की तरफ भी नजर गड़ाए हुए हैं. दूसरी तरफ बीजेपी में पूर्व विधायक राजकुमारी जाटव को प्रबल दावेदार माना जा रहा है. साल 2018 के असेंबली इलेक्शन में उनका टिकट विधायक रहते हुए काटा गया था, लेकिन फिलहाल की स्थिति में उनकी दावेदारी अन्य उम्मीदवारों के मुकाबले अधिक प्रबल है. हालांकि, पूरी स्थिति टिकट मिलने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी. इधर, बसपा के टिकट के लिए भी कई कार्यकर्ता प्रयासरत हैं. बताया जा रहा है कि बसपा के प्रदेश प्रभारी रहे अमर सिंह बंसीवाल को टिकट का प्रबल दावेदार बताया जा रहा है.

बसपा के दावेदार बिगाड़ सकते हैं खेल

अगर आगामी चुनाव में विधायक भरोसी लाल के पुत्र बृजेश जाटव और बीजेपी की ओर से पूर्व विधायक राजकुमारी जाटव या फिर हट्टीराम ठेकेदार को टिकट मिलती है तो टक्कर कांटे की रहेगी, जबकि बसपा के दावेदार के चुनावी मैदान में अंत समय तक डटे रहने की स्थिति में समीकरण बिगड़ सकते हैं. बस बाकी मैदान में टिके रहने से सीधा फायदा बीजेपी को होगा. अगर बीजेपी की टिकट पूर्व विधायक राजकुमारी को मिलती है, तो वह बाजी भी मार सकती है क्योंकि जाटव समाज के लोग हल्के से कांग्रेस से नाराज हैं. बहरहाल चुनाव की स्थिति तो टिकट वितरण के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी, लेकिन फिलहाल हर कोई अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहा है.

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