Report Times
latestOtherकरियरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंराजनीतिराजस्थानविधानसभा चुनावस्पेशल

हैट्रिक से चूकी BJP किशनगढ़ बास सीट पर कर पाएगी कोई कमाल, कांग्रेस को मिली थी हार

REPORT TIMES 

राजस्थान के मेवात क्षेत्र में भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. 25 नवंबर को होने वाली वोटिंग को लेकर अलवर जिले में चुनावी अभियान शुरू हो चुका है. जिले के तहत 11 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें 7 पर कांग्रेस को जीत मिली तो 2 सीटों पर बीजेपी और 2 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी के खाते में जीत गई. किशनगढ़ बास सीट पर 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली थी, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में चले गए जिससे यह सीट भी कांग्रेस के पास चली गई. किशनगढ़ बास सीट के लिए बीजेपी और कांग्रेस में से किसी ने अभी अपने उम्मीदवार तय नहीं किए हैं.

कितने वोटर, कितनी आबादी

किशनगढ़ बास सीट राजनीतिक सियासी तौर पर बेहद अहम सीट मानी जाती है. पहले इस क्षेत्र को खैरथल विधानसभा क्षेत्र कहा जाता था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद यह किशनगढ़ बास विधानसभा सीट हो गई. यह क्षेत्र सरसों की खैरतल मंडी के लिए भी जाना जाता है. 2018 के चुनाव में किशनगढ़ बास सीट के चुनावी परिणामों को देखा जाए तो यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. बहुजन समाज पार्टी के दीपचंद खेरिया को 73,799 वोट मिले तो भारतीय जनता पार्टी के रहमत सिंह यादव के खाते में 63,883 वोट आए. कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई थी और उसे 39,033 वोट मिले थे. कड़े संघर्ष के बाद बहुजन समाज पार्टी के दीपचंद को 9,916 (5.6%) मतों के अंतर से जीत मिली. तब के चुनाव में किशनगढ़ बास सीट कुल वोटर्स की संख्या 2,24,863 थी जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,18,303 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 1,06,559 थी. इसमें से कुल 1,78,510 (79.8%) वोटर्स ने वोट डाले. NOTA के पक्ष में 980 (0.4%) वोट आए.

कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

किशनगढ़ बास सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर अभी कांग्रेस का कब्जा है. पहले इस सीट का नाम खैरथल सीट था और 1967 से 2003 तक यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए रिजर्व रही. लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इस विधानसभा सीट को सामान्य वर्ग के लिए रिजर्व कर दिया गया. परिसीमन के बाद किशनगढ़ बास सीट पर 2008 में कराए गए पहले चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार रहमत सिंह को जीत मिली. जबकि 2013 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर भागीरथ चौधरी यहां से विधायक बने. हालांकि 2018 के चुनाव में बीजेपी यहां पर चुनावी जीत की हैट्रिक नहीं लगा सकी. इस चुनाव में बसपा के दीपचंद को जीत मिली. लेकिन बाद में दीपचंद कांग्रेस के साथ जुड़ गए.

Related posts

घड़साना के एडवोकेट की आत्महत्या के मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग

Report Times

भाजपा ने राजस्थान में “अवैध” खनन में सीबीआई जांच की मांग की

Report Times

Election: स्पीकर पद के लिए अब चुनाव होना तय, ओम बिरला के सामने उतरे के.सुरेश

Report Times

Leave a Comment