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राजस्थान में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, गहलोत के करीबी नेता BJP में शामिल

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राजस्थान विधानसभा चुनाव में नामांकन वापसी के अंतिम दिन कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा. देर शाम पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच ने भाजपा का दामन थाम लिया. दाधीच को अशोक गहलोत का बेहद करीबी माना जाता है. गुरुवार रात जयपुर में भाजपा के मीडिया सेंटर में गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई. राजस्थान में बगावत से जूझ रही कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, बगावती तेवर थामने के लिए कांग्रेस की ओर से चलाया गया मिशन-25 भी बेअसर नजर आ रहा है. गुरुवार शाम पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा लगा जब पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच ने बीजेपी का दामन थामने का ऐलान कर दिया. नामांकन वापसी के आखिरी दिन किया गया ये ऐलान कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा सकता है.

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केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिलाई सदस्यता

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राजस्थान सीएम अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच गुरुवार शाम भाजपा में शामिल हुए. जयपुर के मीडिया सेंटर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें पार्टी सदस्यता दिलाई. इस दौरान राज्यसभा सदस्य राजेंद्र गहलोत भी मौजूद रहे. रामेश्वर दाधीच के साथ ही दौसा के पूर्व जिला प्रमुख विनोद शर्मा ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की.

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सूरसागर ने टिकट मांग रहे थे दाधीच

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पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच ने सूरसागर विधानसभा से कांग्रेस से टिकट के लिए दावेदारी की थी, हालांकि पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बागी होकर बतौर निर्दलीय सूरसागर विधानसभा से नामांकन किया था. इसके बाद गुरुवार को अपना नामांकन वापस ले लिया. देर शाम राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत दाधीच को विशेष विमान से लेकर जयपुर पहुंचे, यहां उन्होंने भाजपा में शामिल होने का ऐलान कर दिया.

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क्या भाजपा के दबाव में वापस लिया नामांकन?

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रामेश्वर दाधीच ने कांग्रेस से बगावत कर नामांकन पत्र दाखिल किया था. गुरुवार को जब उन्होंने नामांकन वापस लिया तो ये माना गया कि शायद कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का प्रयास काम कर गया. हालांकि बाद में ये साफ हुआ कि दाधीच से तो नामांकन वापसी के लिए संपर्क ही नहीं किया गया. देर शाम जब उन्होंने बीजेपी में जाने का ऐलान किया तो ये माना जाने लगा कि ये दबाव भाजपा के ब्राह्मण नेताओं के दबाव में लिया गया है. दरअसल दाधीच अगर सूरसागर से निर्दलीय चुनाव लड़ते तो इससे हिंदू वोट कट जाता. इसका सीधा फायदा कांग्रेस के उम्मीदवार शहजाद खान को मिल सकता था.

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