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राजस्थान से महारानी की कहानी खत्म, क्या केंद्र में मिलेगा सिंहासन?

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सांगानेर के विधायक भजनलाल राजस्थान के मुख्यमंत्री होंगे. दीया कुमारी और प्रेम चंद्र बैरवा को प्रदेश के डिप्टी सीएम का पद मिला है. वासुदेव देवनानी विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी संभालेंगे. इसके साथ ही वसुंधरा राजे के सीएम बनने की चर्चा पर भी विराम लग गया और विधानसभा अध्यक्ष बनने पर भी. यह घोषणा चौंकाने वाली रही है क्योंकि राजस्थान में वसुंधरा राजे समेत कई दिग्गजों को सीएम पद का दावेदार बताया गया था. अब तय है कि वसुंधरा राजे के पास सीएम की कुर्सी नहीं है. ऐसे में कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि क्या वसुंधरा राजे 2024 की तैयारियां में जुटेंगी और केंद्र का रुख करेंगी. चर्चा है कि 2024 में उन्हें केंद्र में बड़ा पद दिया जा सकता है. उन्हें लोकसभा का पद अध्यक्ष या केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. भले ही वसुंधरा राजे को वर्तमान में कोई बड़ा पद नहीं दिया गया है, लेकिन राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे एक बड़ा नाम रही हैं, जिन्हें कई बातों के लिए जाना जाएगा. जानिए ऐसी ही पांच बड़ी बातें

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1- धौलपुर राजघराने से चुनाव लड़ने वाली पहली महिला

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भले ही राजस्थान में धौलपुर राजघराने का लम्बा-चौड़ा इतिहास न रहा हो, लेकिन इस घराने के हेमंत सिंह और ग्वालियर राजघराने की वसुंधरा राजे की शादी के बाद यह कई बार चर्चा में रहा. कभी दोनों के सम्बंधों को लेकर तो कभी हेमंत सिंह और वसुंधरा के बेटे दुष्यंत सिंह की सम्पत्ति की हिस्सेदारी को लेकर. वसुंधरा राजे धौलपुर राजघराने की पहली बहू रही हैं जिन्होंने चुनाव लड़ा भी और जीता भी. वर्तमान में उनके सुपुत्र दुष्यंत सिंह सांसद हैं.

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2-राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री

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अपने तेवर और खास अंदाज के जानी जाने वाली वसुंधरा राजे राजस्थान की पहली महिला सीएम हैं. बतौर सीएम वसुंधरा दो बार प्रदेश की कमान संभाल चुकी हैं. झालरापाटन विधानसभा सीट पर रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीतने वाली वसुंधरा ने इस बार भी साबित किया कि वो राजस्थान की मंझी हुई खिलाड़ी हैं. हालांकि, सीएम, डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष में कोई पद न मिलने पर चर्चा है कि वो अब केंद्र का रुख कर सकती हैं.

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3- तीन दशक से जीतती आ रहीं महारानी

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वसुंधरा पांच बार सांसद, दो बार विधायक, दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. 33 साल से लगातार जीत हासिल करने वाली वसुंधरा राजे सिर्फ चुनाव हारी भी हैं. 1984 में उनकी चुनावी यात्रा मध्य प्रदेश के भिंड से शुरू हुई थी. उस लोकसभा चुनाव में वसुंधरा पहली बार हारी थीं. वहीं, 1993 में धौलपुर सीट से उन्हें शिकस्त मिली. उन्हें कांग्रेस के बनवारी लाल शर्मा ने मात दी. इसके बाद वसुंधरा कभी भी कोई चुनाव नहीं हारीं. इस बार भी उन्होंने जिस झालरापाटन विधानसभा सीट से चुनाव जीता है वहां भाजपा का कब्जा रहा है.

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4- तेवर, रईसी और शक्ति प्रदर्शन

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वसुंधरा राजे को उनके तेवर, शक्ति प्रदर्शन और रईसी के लिए जाना जाता है. हाल में झालरापाटन विधानसभा सीट पर जीत के बाद भी उनका शक्ति प्रदर्शन दिल्ली तक चर्चा में रहा है. चुनावी हलफनामा बताता है कि वसुंधरा राजे के पास 5 करोड़ 50 लाख रुपए की सम्पत्ति है. इतना ही नहीं, वो 3 किलो सोना और 15 किलो से अधिक चांदी की मालकिन हैं. 2018 में सम्पत्ति का आंकड़ा 4 करोड़ 54 लाख था. 2018 के हफलनामे के मुताबिक, उनके पास मात्र 2 लाख 5 हजार रुपए कैश था. वहीं SBI की जयपुर शाखा में 11 लाख 58 हजार और 555 रुपए जमा थे.

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5- चलती रहीं आलाकमान से मनमुटाव की खबरें

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पूरे चुनाव के बीच रह-रह यह बात चर्चा में रही कि वसुंधरा और पार्टी आलाकमान के बीच सबकुछ सामान्य नहीं है, सोशल मीडिया पर इसके कई उदाहरण भी दिए गए. सबसे ज्यादा उदाहरण इस बात का था कि राजस्थान में चुनावी सभाओं में प्रदेश के कई दिग्गजे नेता पीएम मोदी के साथ दिख रहे हैं. दीया कुमारी समेत महिला नेता भी मंच पर हैं, लेकिन वसुंधरा की गैरमौजूदगी ने अफवाहों को बल दिया. सोशल मीडिया पर चर्चा चली कि क्या वाकई में वसुंधरा और आलाकमान के बीच सब ऑल इज वेल है. हालांकि चुनाव प्रचार के अंतिम पड़ाव में पीएम मोदी और वसुंधरा राजे मंच पर एक साथ दिखे. इससे यह संदेश गया कि पार्टी खेमे में कुछ भी चल रहा हो, लेकिन मतदाता की नजर में सकारात्मक छवि का संदेश गया.

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