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भाजपा में क्या होता है पूर्व मुख्यमंत्रियों का भविष्य, अब तक के ट्रेंड से समझिए वसुंधरा-शिवराज का फ्यूचर

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बीजेपी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी के साथ ही अपने पुराने क्षत्रपों जगह पर नए चेहरों को हाथ में सत्ता की कमान सौंपी है. बीजेपी आलाकमान ने तीनों राज्यों में सीएम को लेकर अपने हिसाब से बदलाव किया. मध्य प्रदेश में चार के बार के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है. छत्तीसगढ़ में तीन बार के सीएम रहे डॉ रमन सिंह के स्थान पर विष्णुदेव साय को सत्ता मिली. राजस्थान में दो बार की मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे के बजाय पहली बार विधायक बनकर आए भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री के लिए चुना गया है. छत्तीसगढ़ के पूर्वी मुख्यमंत्री रमन सिंह को विधानसभा का स्पीकर चुना गया है. वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के भविष्य को लेकर जरूर सवाल उठ रहे हैं कि दोनों ही नेताओं का पार्टी में क्या सियासी फ्यूचर होगा. दोनों ही नेताओं के आगे की राजनीतिक राह को जानने और समझने के लिए बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों की भूमिका को देखना होगा, उसके लिहाज से ही अनुमान लगाया जा सकता है. हालांकि, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक कार्यक्रम के दौरान शिवराज सिंह चौहान और वसंधरा राजे की भूमिका को लेकर किए गए सवाल का जवाब देते हुए यह जरूर कहा कि दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेता है और उनके कद के हिसाब से उन्हें भूमिका दी जाएगी. देखना है कि बीजेपी में शिवराज सिंह चौहान और वंसधरा राजे का रोल क्या होता है?

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बीजेपी का गठन से सत्ता तक सफर

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बीजेपी ने अपने 43 साल के सियासी सफर में शून्य से शिखर तक सफर तय किया है. 6 अप्रैल, 1980 को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठन किया गया. मार्च 1990 में एक साथ तीन राज्यों में पार्टी की सरकार बनी, जिनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश. बीजेपी के पहले सीएम भैरोंसिंह शेखावत राजस्थान के सीएम बने उसके दूसरे दिन सुंदर लाल पटवा मध्य प्रदेश और उसी दिन शांता कुमार हिमाचल प्रदेश के सीएम बने. इससे पहले बीजेपी किसी भी राज्य में अपना मुख्यमंत्री नहीं बना सकी थी. साल 1990 से लेकर अभी तक लगभग बीजेपी के करीब 15 राज्यों में मुख्यमंत्री बनाने में कामयाब रही है. बीजेपी के लगभग 40 नेता मुख्यमंत्री पद पर अलग-अलग राज्यों में रह चुके हैं. भैरोंसिंह शेखावत भले ही पहले सीएम हों, लेकिन सबसे ज्यादा लंबे समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर शिवराज सिंह चौहान विराजमान रहे. बीजेपी वक्त के साथ अपने पुराने छत्रपों को हटाकर नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाकर अपनी सियासत को आगे बढ़ाती रही है. ऐसे पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्यपाल या फिर संगठन में एडजस्ट करती रही है. इतना ही नहीं कुछ नेताओं को केंद्र की सत्ता में आने पर मंत्री बनाने का भी काम किया है. हालांकि, बीजेपी ने अपने कुछ नेताओं को जब मुख्यमंत्री पद से हटाकर उनकी जगह नए चेहरों को सत्ता की कमान सौंपी तो उन्होंने बगावत का झंडा उठा लिया. बीजेपी छोड़कर उन्होंने अपनी पार्टी बनाई, लेकिन सियासी तौर पर सफल नहीं होने के बाद घर वापसी कर गए. हम इस स्टोरी में बताएंगे कि अलग-अलग राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री रह चुके नेताओं को उनके पद से हटने के बाद कैसे एडजस्ट करने का काम किया है?

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राजस्थान में बीजेपी के पहले सीएम

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राजस्थान ही पहला राज्य है, जहां बीजेपी के सबसे पहले सीएम भैरोंसिंह शेखावत बने थे. बीजेपी नेता के तौर पर 4 मार्च 1990 को शेखावत ने सीएम के रूप में शपथ ली थी, लेकिन उससे पहले जनसंघ के सीएम रह चुके हैं. 2002 में बीजेपी ने भैरोंसिंह शेखावत को उपराष्ट्रपति बना दिया और 2007 में उन्हें राष्ट्रपति का चुनाव लड़ाया, लेकिन प्रतिभा पाटिल से चुनाव हार गए. भैरोंसिंह शेखावत की जगह वसुंधरा राजे को बीजेपी ने आगे बढ़ाया और 2003 में सीएम बनी. इसके बाद 2013 से 2018 तक सीएम रही. इस बार बार बीजेपी ने वसुंधरा राजे के बदले भजनलाल शर्मा को सीएम बनाया है. वसुंधरा राजे अभी फिलहाल बीजेपी संगठन में उपाध्यक्ष के पद पर है.

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यूपी में कल्याण सिंह से राजनाथ तक

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बीजेपी उत्तर प्रदेश में पहली बार 1991 में सत्ता में आई और मुख्यमंत्री की कुर्सी कल्याण सिंह को सौंपी गई. कल्याण सिंह तीन दो बार सीएम रहे. पार्टी ने उन्हें 1999 में हटाकर राम प्रकाश गुप्ता को सीएम बनाया था. राम प्रकाश गुप्ता को हटाकर बीजेपी ने राजनाथ सिंह को सीएम बना. कल्याण सिंह को हटाया तो उन्होंने बीजेपी छोड़कर अपनी पार्टी बना ली, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कर दिया. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यपाल के पद पर नियुक्त कर दिया था और उनके बेटे सांसद व पोते योगी सरकार में मंत्री हैं. राम प्रकाश गुप्ता को भी बीजेपी ने गर्वनर बनाया था जबकि राजनाथ सिंह सीएम पद से हटने के बाद पार्टी के अध्यक्ष रहे. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृहमंत्री और अभी रक्षा मंत्री के पद पर हैं.

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एमपी में पटवा से शिवराज सिंह तक

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मध्य प्रदेश में बीजेपी ने यूपी से पहले अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही थी. 1990 में राजस्थान के साथ ही एमपी में भी सरकार बनी थी. सुंदर लाल पटवा राज्य के पहले बीजेपी के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद 2003 में उमा भारती सीएम बनी और फिर बाबूलाल गौर. 2005 में शिवराज चौहान को पार्टी ने सीएम की कुर्सी सौंपी. अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद बीजेपी की जिन राज्यों की सरकार को बर्खास्त किया गया था, उनमें एमपी सुंदर लाल पटवा के अगुवाई वाली सरकार भी थी. सुंदर लाल पटवा सीएम पद से हटने के बाद सांसद बने और बाजपेयी सरकार में मंत्री रहे. उमा भारती को सीएम पद से हटाया गया तो उन्होंने बीजेपी छोड़कर अपनी पार्टी बना ली, लेकिन बाद में घर वापसी की और यूपी में सीएम पद का चेहरा रही. सांसद बनी और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रही. बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद विधानसभा चुनाव लड़े और शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे. शिवराज सिंह चौहान करीब 18 साल तक एमपी के सीएम रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी जगह पर मोहन यादव को सत्ता सौंपी गई है. 2018 में बीजेपी एमपी का चुनाव हार गई थी तो शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी ने संगठन में जगह देकर 2019 का जिम्मा सौंपा था. इस बार देखना है कि क्या भूमिका सौंपी जाती है.

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गुजरात में केशुभाई से रुपाणी तक

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गुजरात बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला मानी जाती है. बीजेपी सबसे ज्यादा प्रयोग गुजरात में ही किए हैं. गुजरात में अभी तक बीजेपी के छह नेता सीएम रहे हैं, जिनमें सबसे पहले केशुभाई पटेल का नाम आता है, उसके बाद सुरेश मेहता, नरेंद्र मोदी, आनंदीबेन पटेल, विजय रुपाणी और मौजूदा समय में भूपेंद्र पटेल सीएम है. केशुभाई पटेल 1995 में गुजरात के पहले सीएम बने, लेकिन कुछ दिनों के बाद उन्हें हटाकर सुरेश मेहता को मुख्यमंत्री बना दिया था. इसके बाद 1998 में बीजेपी वापसी की तो फिर केशुभाई पटेल सीएम बने, लेकिन 2001 में उन्हें हटाकर नरेंद्र मोदी को सीएम बना दिया. इसके बाद उन्हें राज्यसभा भेजा गया, लेकिन 2007 में पार्टी से बगावत कर अपनी अलग पार्टी बना ली. सुरेश मेहता भी उनके साथ हो गए. केशुभाई पटेल ने कई चुनाव लड़े, लेकिन कोई बड़ा करिश्मा नहीं दिखा सके. 2014 में केशुभाई पटेल ने अपनी पार्टी का विलय कर दिया. नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद सीएम की कुर्सी आनंदीबेन पटेल को सौंपी गई, लेकिन बेहतर तरीके से सरकार नहीं चला सकीं. ऐसे में बीजेपी ने आनंदबेन को हटाकर विजय रुपाणी को सीएम बना दिया, लेकिन वो भी अपनी छाप नहीं छोड़ सके. ऐसे में 2017 के चुनाव से एक साल पहले बीजेपी ने रुपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को सीएम बना दिया. आनंदीबेन के यूपी की राज्यपाल तो विजय रुपाणी को संगठन में जगह दी. रुपाणी पंजाब में बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं.

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उत्तराखंड में सबसे ज्यादा सीएम बदले

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बीजेपी ने सबसे मुख्यमंत्री बदलने का प्रयोग उत्तराखंड में किया है. बीजेपी का कोई सीएम पांच साल का कार्यकाल अभी तक पूरा नहीं कर सका. बीस साल के उत्तराखंड के इतिहास में सात मुख्यमंत्री बीजेपी के बने हैं. राज्य गठन के बाद सबसे पहले सीएम नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, भूवन चंद खंडूरी, रमेश पोखरियाल, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह सीएम बने और मौजूदा समय में पुष्कर सिंह धामी है. भगत सिंह कोश्यारी को बीजेपी ने सीएम पद से हटाकर सांसद का चुनाव लड़ाया और बाद में राज्यपाल बनाया. रमेश पोखरियाल को सीएम पद से हटाए जाने के पार्टी ने सांसद के चुनाव लड़वाया और केंद्र में मंत्री का पद भी दिया. भूवन चंद्र खंडूरी सीएम पद से हटने के बाद से सियासी हाशिए पर चले गए. 2017 में बीजेपी ने सत्ता में वापसी की तो त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया, लेकिन चुनाव से एक साल पहले बीजेपी ने उन्हें हटा दिया और 2022 में बीजेपी ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया. त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत सीएम बने, लेकिन उन्हें चार महीने में ही कुर्सी छोड़नी पड़ गई, वो फिलहाल सांसद है. उनकी जगह पर बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया, वो अपनी सीट चुनाव में हार गए, लेकिन सरकार रिपीट कराने में कामयाब रहे. ऐसे में उपचुनाव जीतकर सीएम की कुर्सी पर बरकरार हैं.

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हिमाचल में शांता कुमार से ठाकुर तक

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हिमाचल प्रदेश भी वो राज्य रहा है, जहां पर बीजेपी 1990 में अपना मुख्यमंत्री बनाने में कामयाब रही. शांता कुमार बीजेपी के पहले सीएम रहे हैं और उसके बाद प्रेम सिंह धूमिल मुख्यमंत्री रहे 2017 में जयराम ठाकुर को बीजेपी ने सत्ता की कमान सौंपी थी. शांता कुमार सीएम पद से हटने के बाद एमपी बने और फिर केंद्र में मंत्री रहे. प्रेम सिंह धूमल को बीजेपी ने 2022 में चुनाव टिकट नहीं दिया. हालांकि, उनके बेटे अनुराग ठाकुर केंद्र में मंत्री हैं. धूमल अभी सियासी विराम कर रहे हैं.

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झारखंड में पूर्व सीएम एडजस्ट

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झारखंड राज्य बनने के बाद बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही. मुख्यमंत्री की कुर्सी बाबूलाल मरांडी को सौंपी, लेकिन बाद में उन्हें हटाकर बीजेपी ने अर्जुन मुड्डा और फिर रघुबर दास को सीएम बनाया. मरांडी को सीएम से हटाया तो उन्होंने बीजेपी छोड़कर अपनी पार्टी बना ली. अर्जुन मुड्डा सीएम पद से हटने के बाद सांसद बने और केंद्र में मंत्री हैं. रघुबर दास पांच साल तक सीएम रहे, लेकिन 2019 में सत्ता गंवा दी. रघुवर दास को राज्यपाल बना दिया है.

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कर्नाटक में येदियुरप्पा से बोम्मई तक

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कर्नाटक दक्षिण का एकलौता राज्य है, जहां पर बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही है. 2008 में बीजेपी पहली बार सरकार बनाई और मुख्यमंत्री कुर्सी बीएस येदियुरप्पा को सौंपी गई, जिसके बाद उन्हें हटाकर सदानंद गौड़ा, फिर जगदीश शेट्टार और बसवराज बोम्मई सीएम बने. येदियुरप्पा को बीजेपी ने जब सीएम पद से पहली बार हटाया था तो उन्होंने पार्टी से नाता तोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वो बीजेपी में वापसी कर गए. सदानंद गौड़ा सीएम पद से हटने के बाद सांसद बने और केंद्र में मंत्री रहे. जगदीश शेट्टार सीएम पद से हटने के बाद पार्टी में रहे, कर्नाटक में मंत्री रहे, लेकिन इसी साल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. बसवराज बोम्मई सीएम से हटने के बाद फिलहाल विधायक हैं.

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दिल्ली से महाराष्ट्र तक सीएम पैटर्न

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दिल्ली में बीजेपी के तीन मुख्यमंत्री रहे हैं, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज. मदनलाल खुराना जब दिल्ली के सीएम पद से हटे तो राज्यपाल बनाए गए. बीजेपी ने बाद में उन्हें पार्टी से ही निकाल दिया. सीएम पद से हटने के बाद साहिब सिंह वर्मा सांसद बने और उनके बेटे प्रवेश वर्मा अभी सांसद हैं. मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सुषमा स्वराज देश की विदेश मंत्री तक रही थीं. तीनों ही बीजेपी नेताओं का निधन हो चुका है, पर पार्टी ने सीएम से हटाकर उन्हें सक्रिय राजनीति में रखा था. वहीं, महाराष्ट्र में बीजेपी के एक ही सीएम रहे हैं. 2014 में देवेंद्र फडणवीस पहले बीजेपी के सीएम बने हैं, लेकिन 2019 के चुनाव के बाद शिवसेना के अलग होने के बाद बीजेपी सरकार नहीं बना सकी. बीजेपी ने शिवसेना के एकनाथ शिदे को मिलाकर सत्ता हासिल कर ली, लेकिन देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा. असम में सर्बानंद सोनोवाल को हटाकर हिमंता बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया गया तो सोनोवाल केंद्र में मंत्री बनाए गए. त्रिपुरा में बीजेपी ने बिप्लव देब को मुख्यमंत्री पद से हटाकर माणिक साहा को बिठाया तो बिप्लब देव को राज्यसभा सदस्य बनाया. हरियाणा के बिप्लव प्रभारी है.

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गोवा में पर्रिकर से प्रमोद सावंत तक

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साल 2014 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो गोवा के चार बार मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर दिल्ली बुला लिया गया और उन्हें रक्षा मंत्री का पद सौंपा गया. उनकी जगह लक्ष्मीकांत पार्सेकर को नया मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन साल 2017 के चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलीं, लेकिन किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. ऐसे में अन्य दलों ने शर्त रखी कि यदि पर्रिकर को सीएम बनाया जाता है, तो वे समर्थन देंगे. इस तरह से फिर से वह सीएम बनाए गए. लेकिन दो साल तक ही वह पद पर रहे. उसके बाद वह बीमार पड़ गए और उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद बीजेपी नेतृत्व ने चौंकाने वाला फैसला लिया और विधानसभा के स्पीकर प्रमोद सावंत को मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया था, हालांकि सीएम के रेस में फ्रांसिस डिसूजा सहित कई बड़े नाम थे. साल 2022 के चुनाव में बीजेपी को फिर बहुमत मिला और प्रमोद सावंत दूसरी पर सीएम बने हैं. इस तरह से बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री का सियासी इतिहास रहा है. रमन सिंह को स्पीकर बना दिया है, लेकिन देखना है कि वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान क्या होता है

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