REPORT TIMES
भजनलाल शर्मा का नाम सीएम पद के लिए घोषित होने के बाद भरतपुर जिले के लोगों में ख़ुशी का माहौल है. स्थानीय होने के बाद ज्यातर सजातीय बंधु रिश्तेदारी निकालने में लगे हैं. सीएम भजनलाल शर्मा का गांव भरतपुर जिले के अटारी ग्राम में स्थित है. इसके अलावा उनका एक मकान भरतपुर के जवाहर नगर बीजेपी कार्यालय के पास भी है. यहां पर फिलहाल उनके माता-पिता रहते हैं. उनका नाम सीएम पद के लिए फ़ाइनल होने के बाद से ही गांव के लोगों ने जमकर आतिशबाजी की और एक दूसरे को मिठाई खिलाई. ग्रामीणों का कहना है उनके सीएम बनने के बाद अब न केवल गांव का विकास होगा बल्कि कुंवारे लड़कों की शादी होगी.इस दौरान गांव में भजनलाल शर्मा के एक दोस्त भी मिले. वह सीएम भजनलाल के साथ बचपन से कक्षा 12th तक पढ़े हैं. उन्होंने साथ में बीएड भी किया है. सीएम के दोस्त ने खास बातचीत की और अपने कुछ यादगार लम्हे शेयर किए.
दोनों ने एक ही कमरे में की पढ़ाई
भजनलाल शर्मा के दोस्त रामबाबू शर्मा ने बताया, ” हम दोनों क्लास 1 से लेकर 12वीं तक साथ पढ़े हैं, साथ में ही स्कूल जाते थे. जब कभी मैं स्कूल नहीं जाता तो भजन लाल शर्मा भी स्कूल नहीं जाते. आज मुझे गर्व है की मेरा साथ पढ़ने वाला दोस्त इतने बड़े मुकाम पर पहुंचा है. 11वीं और 12वीं हम दोनों ने नदबई कस्बे से की, जहां हमने एक कमरा किराए पर लिया. दोनों एक ही कमरे में रहते थे. हम दोनों में खाना बनाने को लेकर झगड़ा होता था. थोड़ी देर के लिए रूठ जाते फिर कुछ देर बाद आपस में बात करने लग जाते.
एक समय खाना खुद बनाते थे
रामबाबू शर्मा ने बताया की, हम दोनों ने खाना बनाने के लिए अपना-अपना टर्न बनाया हुआ था. एक समय भजन लाल शर्मा खाना बनाते थे, एक समय मैं बनाता था. कभी-कभी मैं खाना बनाया करता था तो वह मेरा खाना लेकर भाग जाया करते थे. आपस में झगड़े होते लेकिन कोई ऐसा मनमुटाव नहीं हुआ. हमारा कभी किसी से झगड़ा नहीं हुआ क्योंकि भजनलाल शर्मा हमेशा सरल स्वभाव के और मिलनसार रहे हैं.
“गिल्ली डंडा खेलने का था शौक”
रामबाबू शर्मा ने बताया कि, भजनलाल शर्मा को बाजरे की रोटी, सरसों का साग और गुड़ काफी पसंद था. वह अक्सर इसी तरह का खाना खाते थे. जब हम दोनों पढ़कर आते तो, स्कूल से सीधे गिल्ली डंडा खेलने के चले जाते थे. हमारे घरवाले हमारे घर आने का इंतजार करते. हम दोनों घंटों-घंटों तक जंगल में गिल्ली डंडा खेलते रहते थे. जब कोई हमारे घर पर बता देता तो, हमारे घरवाले हमें ढूंढने के लिए जंगल में आते तो, हम जंगल में छुप जाया करते थे. स्कूल में वह बड़ी शालीनता से रहते थे. टीचर की बहुत इज्जत करते थे. सरल स्वभाव होने की वजह से हमारा कभी किसी से झगड़ा नहीं हुआ. वह अब भी गांव में आते थे तो, उनसे मुलाकात होती थी. वह पुराने दोस्त की तरह से पेश आते थे. अगर गांव में किसी का देहांत हो जाता तो, उन्हें बताया जाता था और वह तुरंत जयपुर से गांव आते थे.
अब गांव के लोगों को विकास की उम्मीद
भजनलाल शर्मा के अटारी गांव में ख़ुशी का माहौल है. गांव में इस बात की ख़ुशी है की उनके गांव के साधारण परिवार में जन्मा एक व्यक्ति जो इतनी मेहनत करके राजनीती में गया वह राज्य का सीएम बन गया है. गांव के लोगों का कहना है की, हमें उन पर गर्व है. अब वह पूरे भरतपुर जिले का विकास करेंगे. इसके अलावा जवाहर नगर स्थित उनके मकान पर सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है.