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अधिकारियों से परेशान साधु-संत, क्यों फूट-फूटकर रोए महा मंडलेश्वर सतुआ बाबा?

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प्रयागराज में लगने जा रहे देश के सबसे बड़े सालाना धार्मिक मेले माघ मेला में साधु संतो और प्रशासनिक अधिकारीयों के बीच विवाद हो गया. माघ मेले में महावीर मार्ग पर भूमि आवंटन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए साधु संतों ने मेला अधिकारी के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया. विरोध करने वालों में माघ मेला की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था खाक चौक व्यवस्था समिति के साधु संत शामिल रहे. विरोध प्रदर्शन के दौरान मेला अधिकारी की अनदेखी से दुखी खाक चौक समिति के महामंत्री और महा मंडलेश्वर संतोष दास फूट-फूटकर रोने लगे. उनका रोते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

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2 दर्जन साधु संतों के साथ धरने पर बैठे सतुआ बाबा

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प्रयागराज के संगम तट पर हर साल आयोजित होने वाले देश के सबसे बड़े धार्मिक समागम माघ मेले की शुरुआत के पहले ही नया विवाद खड़ा हो गया. माघ मेला क्षेत्र में जमीन आवंटन में भेदभाव का आरोप लगा है. खाक चौक के साधु संत और महा मंडलेश्वर संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा माघ मेला अधिकारी के दफ्तर के सामने धरने पर बैठ गए. उनके साथ करीब 2 दर्जन से अधिक साधु संत भी धरने पर बैठ गए. साधु संतों के विरोध प्रदर्शन पर मेला अधिकारी नहीं पसीजे. वह बड़ी मुश्किल से अपने दफ्तर से बाहर आए.

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खाक चौक के मुकामी संतो और प्रयागवाल सभा के बीच जमीन आवंटित बना विवाद

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बताया जाता है कि माघ क्षेत्र के महावीर मार्ग पर महामंडलेश्वर संतोष दास सहित तमाम खाक चौक के मुकामी संतो को माघ मेला में जमीन आवंटित की जाती है. वहां कुछ जमीन संगम के तीर्थ पुरोहितों के संगठन प्रयागवाल सभा को भी दी जाती है. खाक चौक के संतो ने प्रयागवाल की इस भूमि पर अपना दावा करते हुए हंगामा शुरू कर दिया. संतोष दास और अन्य संतों ने मेला प्रशासन के अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाते हुए मेला प्रशासन के दफ्तर के सामने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया.

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सतुआ बाबा अड़े जिद पर, अफसरों पर लगाया भेदभाव का आरोप

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संतोष दास ने कहा कि 12 साल पहले जहां हम बसते थे वह नक्शा निकलाया जाए. उसके आधार पर हमें मेला में बसाया जाए. अफसर शांतिपूर्ण ढंग से वार्ता करने का प्रयास करते रहे, लेकिन सतुआ बाबा अपनी जिद पर अड़े रहे. इधर मेला प्रशासन तीर्थ पुरोहितों को जमीन छोड़ने का आग्रह कर रहा था. लेकिन तीर्थ पुरोहित एक इंच भी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं थे. मेला प्रशासन का कहना था कि तीर्थ पुरोहितों की जमीन उनको नहीं दी जा सकती. बस यही इस विवाद की जड़ थी. देर रात किसी तरह वैष्णव संप्रदाय के इन हाई प्रोफाइल संतो को किसी तरह मनाया गया और खाक चौक को उतनी जमीन माघ मेला के अक्षय वट मार्ग की दक्षिण पटरी पर खाक चौक को दे दी गई तब कही जाकर विवाद सुलझा और माघ मेला प्रशासन ने चैन की सांस ली.

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