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राजस्थान में पिछले 24 घंटे के दौरान मौसम शुष्क रहा। पूर्वी राजस्थान में कहीं-कहीं पर शीत लहर दर्ज की गई। पश्चिमी राजस्थान के श्रीगंगागनर में इस दौरान घना कोहरा छाया रहा। यहां अति शीत दर्ज की गई। मौसम विभाग ने ताजा अपडेट में अगले 24 घंटे में मौसम शुष्क रहने और दिन और रात का तापमान सामान्य या उससे ज्यादा रहने का पूर्वानुमान जताया है। राजस्थान के अलवर और करौली जिले में अब भी कड़ाके की सर्दी का दौर जारी है। रात में पारा सामान्य से कम दर्ज हो रहा है। बीती रात दोनों जिलों में न्यूनतम तापमान 3.9 डिग्री रहा जो मैदानी इलाकों में सबसे कम है। मौसम विभाग ने 14 जनवरी को राजस्थान के अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली और हनुमानगढ़ जिले में घना कोहरा छाने का अर्लट जारी किया है। वहीं झुंझुनूं, सीकर और चूरू जिले में शीतलहर और पाला गिरने का अलर्ट दिया है।
बीती रात जयपुर समेत हाड़ौती और मारवाड़ अंचल में कड़ाके की सर्दी से थोड़ी राहत मिली। रात में पारा दो तीन डिग्री तक उछलने पर गलन और ठिठुरन से राहत मिली। जयपुर में बीती रात पारा 8.5 डिग्री रहा। कोटा 10.2, अजमेर 10.3, जोधपुर 9.2, बाड़मेर 8.4, डबोक 8.8, डूंगरपुर 12.8, जैसलमेर 8.9 और फलोदी में न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जालोर 5.6, श्रीगंगानगर 6.2, सिरोही 6.3, फतेहपुर 6.3, धौलपुर 4.5, पिलानी 6.4, भीलवाड़ा 7.4, अंता बारां 7.0 और चूरू में न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।अर्बुदांचल की वादियों में कड़ाके की ठंड से लोग सवेरे शाम कांप रहे हैं। शुक्रवार को न्यूनतम तापमान जमाव बिंदू से दो डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज हुआ। शीत लहर से लोगों ने ऊनी लबादों का सहारा लेकर दिनचर्या आरंभ की। दिन चढ़ने के बाद ही लोग घरों से बाहर निकले। वहीं ठंड से बचने की जुगत में सैलानियों ने सूर्योदय तक होटलों में दुबके रहना मुनासिब समझा।
न्यूनतम तापमान में एक व अधिकतम तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस का उछाल आने से तापमापी का पारा क्रमश: (-2) व 24 डिग्री सेल्सियस पर रहा। जिससे दिन में आसमान साफ रहने से निकली धूप को सेंकने का लोगों ने खूब आनंद लिया। रात को खड़े किए वाहनों की छतों, सोलर प्लेटों, पेड़-पौधों, उद्यानों, खुले मैदानों, काश्तकारों के खेतों में पाला जमने से बर्फ की परत जमी देखी। किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ठंड से वाहन चालकों को वाहन स्टार्ट करने में परेशानियों का सामना करना पड़ा। देर रात तक सड़कों, बाजारों में रहने वाली चहल पहल जल्द सन्नाटे में तब्दील हो गई।