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1 शादी, तलाक की एक ही व्यवस्था, संपत्ति में समान हक…उत्तराखंड सरकार के UCC में क्या-क्या?

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यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लेकर उत्तराखंड तेजी से आगे बढ़ रहा है. सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड समान नागरिक संहिता के लिए बनाई गई समिति ने अपनी सिफारिशें सरकार के सामने रख दी हैं. जानकारी के मुताबिक समिति ने अपनी सिफारिश में विवाह पर सभी धर्मों के लिए समान व्यवस्था की बात कही है. समिति ने विवाह की संख्या निर्धारित करने की बात की है. समिति चाहती है कि केवल 1 शादी की इजाजत हो. समिति ने पर्सनल लॉ के बहुविवाह पर रोक लगाने की बात की है. समिति का मानना है कि बहुविवाह में महिलाओं का शोषण होता है. साथ ही सभी शादीशुदा लोगों के लिए वैवाहिक पंजीकरण अनिवार्य करने की सिफारिश की गई है.

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‘….तलाक पर हो प्रतिबंध’

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समिति ने तलाक के संदर्भ में भी सभी धर्मों के लिए समान व्यवस्था की मांग की है. वहीं तलाक में दोनों ही पक्षों के लिए प्रावधान, नियम समान करने और कानूनी अधिकार बराबर रखने की पैरवी की है. समिति ने पर्सनल लॉ के तहत तलाक पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. साथ ही मेंटेनेंस यानी भरण-पोषण और विवाहित महिला के अधिकार पर भी समान अधिकारों की पैरोकारी समिति ने की है.

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‘विवाह की उम्र हो एक समान’

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सूत्रों के मुताबिक तलाक लेने वाले जोड़ों के संरक्षण या माता-पिता की मृत्यु होने पर बच्चों के अभिभावक का वर्गीकरण करने की भी सिफारिश की गई है. साथ ही सभी धर्मों की लड़कियों के विवाह की उम्र एक समान और न्यूनतम 18 साल करने की बात यूसीसी को लेकर बनी समिति ने की है. समिति ने संपत्ति पर लैंगिक समानता लाने की भी सिफारिश की है. एक सिफारिश यह भी है कि सभी धर्म में बेटे के अलावा बेटी (चाहें वह विवाहित हो या अविवाहित) उसको माता-पिता की कमाई, संपत्ति और विरासत की संपत्ति में समान रूप से अधिकारी हों जबकि बेटे की मृत्यु पर उसकी विधवा पत्नी का अधिकार हो. साथ ही समिति ने सभी धर्मों के दंपति के लिए गोद लेने की प्रक्रिया आसान करने की बात की है.

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क्या बोले राज्य के मुख्यमंत्री?

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राज्ये के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव के समय हमने इसका संकल्प रखा था. धामी ने कहा है कि, “नई सरकार के गठन होते ही हमने सबसे पहले समान नागरिक संहिता को लाने के लिए पांच सदस्यों की कमेटी बनाई.” इस समिति में जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में सिक्किम के मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, उत्तराखंड राज्य के मुख्य सचिव रहे शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल और समाजसेवी मनु गॉड को जगह दी गई. पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि पांच सदस्यीय कमेटी कई जगहों पर गई और इस कमेटी ने दो और उप समितियां भी बनाई. उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि इस दौरान जनजाति समूह के लोगों के साथ संवाद हुआ और बाद में लगातार पूरे प्रदेश के अंदर 45 जगहों पर जनसंवाद कार्यक्रम हुए, जिसमें लोगों की राय ली गई. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा है कि इसके बाद पोर्टल लॉन्च किया गया और अब पोर्टल में 2 लाख 33 हजार लोगों ने अपनी राय दी. सरकार का कहना है कि इस तरह प्रदेश के लगभग 10 फीसदी परिवारों का विचार इसमें कहीं ना कहीं शामिल हुआ है और ये देश का पहला ऐसा काम है. धामी ने कहा है कि उनकी राय के आधार पर हम आगे बढ़े हैं, समिति ने अभी तक 72 बैठकें की हैं और आज उन्होंने हमको अपनी रिपोर्ट दे दी है.

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