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महिलाओं के लिए 1, 2 नहीं इतनी सारी योजनाएं चलाती है सरकार

रिपोर्ट टाइम्स।

महिलाएं भी देश की इकोनॉमी का अहम हिस्सा हैं. अब वो सिर्फ किचन और घर तक सिमटकर नहीं रह गई हैं. कई कंपनियों के बड़े पदों पर हैं. अपना खुद का बिजनेस कर रही हैं. फिर चाहे वो छोटा हो या बड़ा. महिलाओं का बड़ा तबका ऐसा है, जो नौकरीपेशा है. साथ ही करोड़ों महिलाएं नौकरी की तलाश में है. ऐसे में महिला संगठनों और सिविल सोसाइटीज के दूसरे मेंबर्स का मानना है कि रोजगार से जुड़े इंवेंटिव्स में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़नी चाहिए. फ्लेक्सिबल वर्क ऑवर्स और वर्क साइट पर क्रेच सहित सपोर्टिव इंफ्रा देकर महिला वर्कफोर्स को सहूलियत दी जा सकती है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर बजट में महिलाओं के लिए किस तरह की उम्मीदें की जा रही हैं.

बजट आवंटन में इजाफे की उम्मीद

महाराष्ट्र में ग्रामीण महिलाओं के साथ काम करने वाले संगठन प्रभु नायडू प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर ऋत्विका नायडू का कहना है कि बजट 2025 में महिलाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के बजट का आवंटन किया गया था. इस बार भी इसमें इजाफा होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि बजट में इस बार रोजगार से जुड़े इंवेंटिव्स, फ्लेक्सिबल वर्क पॉलिसी के माध्यम से महिला वकफोर्स की भागीदारी बढ़ाने पर फाेकस करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वर्क साइट क्रेचिस, बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट और समान वेतन महिलाओं को आगे बढ़ने में सक्षम बना सकता है.

वुमेन वर्कफोर्स पर फोकस

2023 तक, भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 32.7% थी. यह 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं का प्रतिशत है, जो आर्थिक रूप से सक्रिय हैं. संगठनों ने महिलाओं के लिए उपलब्ध नौकरियों की गुणवत्ता और कौशल की आवश्यकता पर ध्यान देने की बात की. एसीटी फॉर वुमेन की डायरेक्टर सौजन्या कनुरी ने कहा ‘जेंडर बजटिंग’ में इजाफा महिलाओं को मुख्यधारा में लाने के महत्व को दर्शा रहा है. महिलाओं और लड़कियों की जरूरतों को देखना और समझना काफी जरूरी है. जो महिलाओं की वर्कफोर्स भागीदारी बढ़ाने पर काम करता है.

बजट में पॉलिसीज बनाने की जरूरत

दसरा इंडिया की पार्टनर और को-फाउंडर नीरा नंदी ने भरोसा जताया कि आगामी बजट परिवारों, व्यक्तियों और कॉरपोरेट्स से अधिक घरेलू पूंजी को अनलॉक करने के लिए अनुकूल पॉलिसीज और बढ़ाए गए टैक्स इंसेंटिव्स प्रदान करेगा. वुमेन वर्ल्ड बैंकिंग की साउथ एशिया रीजनल हेड कल्पना अजयन ने कहा कि ‘लखपति दीदी’, ‘पीएम स्वनिधि’ और ‘मुद्रा योजना’ जैसे कार्यक्रम ग्रामीण और कम आय वाली महिलाओं को फाइनेंशियल इकोसिस्टम में भाग लेने के लिए लगातार सशक्त बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि सिडबी (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक), सीजीटीएमएसई (सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट), और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) जैसे पार्टनर्स के साथ क्रेडिट के क्षेत्र में हम देख रहे हैं कि महिलाएं जिम्मेदार उधारकर्ता हैं.

कौन-कौन स्कीम्स चलाती है सरकार

सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए कई तरह की स्कीम्स चलाती है. जिसमें मिशन शक्ति, मातृ वंदना योजना और जननी सुरक्षा योजना जैसी वुमेन सेंट्रिक स्कीम्स हैं. जिनके तहत महिलाओं को आगे बढ़ाने और मदद करने की कोशिश की जा रही है. इस बजट में इस स्कीम्स के लिए बजट आवंटन में इजाफा हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट में कैप्री लोन के मैनेजिंग डायरेक्ट राजेश शर्मा ने कहा कि सेफ्टी, एजुकेशन और मातृ स्वास्थ्य लाभ के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के लक्ष्य वाले इन कार्यक्रमों को इस वर्ष ज्यादा बजट मिल सकता है.

पिछले बजट में इन योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि रखी गई थी. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री जन धन योजना जैसे कार्यक्रम बचत खाते चलाने वाली महिलाओं के लिए 10,000 रुपए की ओवरड्राफ्ट सुविधा की पेशकश और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, जो एसएमई और एमएसएमई के लिए 10 लाख रुपए तक के कोलेटरल फ्री लोन प्रदान करती है, इसमें सहायक हैं.

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