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एक तरफ राज्य सरकार प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर आउट होने से बचाने के लिए कठोर कानून बना रही है और आराेपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने के साथ ही संपत्ति जब्त करने का काम कर रही है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के पेपर आउट मामले में नित नए खुलासे हो रहे हैं। निजी कॉलेज का आरोपी एग्जाम कॉर्डिनेटर शीलबंद लिफाफा खोलकर उसकी मोबाइल से फोटो खींचकर पेपर को अपने जानकार लड़कों को भेज देता था और फिर लड़के उक्त पेपर को तीनों जिलों सीकर, चूरू व नीमकाथाना के छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पैसे लेकर पेपर बेच देते थे। आठों लड़कों ने सैकड़ों छात्रों को 500 से लेकर एक हजार रुपए में केमिस्ट्री का पेपर बेच दिया। आगे जिन भी छात्रों ने पेपर खरीदे उन्होंने भी पेपर अपने मित्रों व साथियों को दिए। उक्त आठों आरोपियों के खातों में पेपर बेचने के ढाई से तीन हजार रुपए ट्रांसफर करने के सबूत भी मिले हैं। हालांकि अभी मुख्य आरोपी एग्जाम कॉर्डिनेटर गिरफ्तार नहीं हो सका है, ऐसे में उसके पकड़े जाने पर ही पता चल सकेगा कि उसने इससे पहले कितने पेपर आउट किए हैं।
दादिया थानाधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि शेखावाटी विश्वविदयालय का केमिस्ट्री का पेपर आउट होने में घोर लापरवाही सामने आई है। उक्त अधिकारियों ने तीन दिन पहले ही पेपर सभी कॉलेजाें में पहुंचा दिए लेकिन प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के कोई पुख्ता बंदोबस्त नहीं किए गए थे। जिस निजी कॉलेज से पेपर आउट हुए, वहां पेपर कॉर्डिनेटर ने एक दिन पहले बिना वीडियोग्राफी किए और बिना तीन सदस्यीय कमेटी के व वीडियोग्राफी किए बिना ही प्रश्नपत्र का लिफाफा खोलकर पेपर आउट कर दिया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि परीक्षा से ठीक 15 मिनट पहले ही पेपर खोला जाना चाहिए था, पेपर कॉर्डिनेटर ने एक दिन पहले ही पेपर खोल लिया, इसका मतलब यूनिवर्सिटी प्रशासन के अधिकारियों व फ्लाइंग से भी निगरानी में भी बड़ी चूक हुई है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन पर सवालिया निशान :
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. अनिल राय, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अरिंदम बासु, डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. रविंद्र कटेवा व सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजीव कुमार के साथ ही फ्लाइंग में लगे सीनियर स्टाफ ने भी ढिलाई बरती है। उन्होंने परीक्षा केंद्रों पर जांच की तो खुले हुए लिफाफा चैक क्यों नहीं किए। सीसीटीवी, पेपर खोलते समय वीडियोग्राफी, लिफाफा पर तीन लाेगों के हस्ताक्षर, दो ताले लगाने के नियमों की पालना क्यों नहीं हुई, सेंटर पर इतनी बड़ी गड़बड़ी उनके पकड़ में कैसे नहीं आई। गौरतलब है कि परीक्षा नियंत्रक डॉ. बासु ने 8 फरवरी को मामला दर्ज करवाया था कि एक युवक शैलेश नाम का युवक एग्जाम से पहले ही छात्रों को केमिस्ट्री का पेपर उपलब्ध करवाने का दावा कर रहा है।
प्रश्नपत्र खोलने के गोपनियता के नियम यह हैं
किसी भी विश्वविद्याल, सीकर के गोपनीयता के नियम हैं, जिसके अंतर्गत जिन-जिन केंद्रों पर परीक्षा होनी है, वहां पर पेपर स्ट्रॉन्म रूम में स्थित डबल लॉकर की आलमारी में ही रखे जाने चाहिए। दोनों तालों की चाबी अलग-अलग व्यक्तियों के पास होनी चाहिए। जिसमें दोनों उपस्थित होने पर ही प्रश्नपत्र निकाले जाते हैं। साथ ही आलमारी को सील भी किया जाता है। इसके लिए अलग से एक रजिस्टर का संधारण किया जाता है जिसके तहत अलमारी खोलने व बंद करने का समय और खोलने वालों के नाम व मोबाइल नंबर दर्ज किए जाते हैं। प्रश्नपत्र खोलने से पहले लिफाफा पर केंद्राधीक्षक के अलावा तीन अन्य लोग जिसमें सहायक केंद्राधीक्षक व दो अन्य वीक्षकों के हस्ताक्षर होने अनिवार्य हैं, जिससे पता चलता है कि सही लिफाफा खोला जा रहा है। जिसमें विश्वविद्यालय के टाइम टेबल से प्रश्नपत्र की तिथि, समय, पेपर कोड और प्रश्नपत्र का नाम की जांच की जाती है। गौरतलब है कि शेखावाटी विवि ने स्ट्रॉन्ग रूप पर सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य कर रखा है।
इनका कहना है :
पेपर आउट होने का पता चलने पर हमने मामला दर्ज करवा दिया था। 300 छात्रों वाले केंद्र पर मात्र 15 मिनट पहले पेपर खोलने का नियम है, एक दिन पहले लिफाफा खोलकर पेपर आउट करना गंभीर है। यूनिवर्सिटी संबंधित के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेगी। आउट हुआ केमिस्ट्री का पेपर 21 फरवरी को पूर्व में तय समय के अनुसार ही दोबारा करवाया जाएगा।
डॉ. रविंद्र कटेवा, डिप्टी रजिस्ट्रार, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, शेखावाटी विवि, सीकर