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अजमेर विद्युत वितरण निगम समेत प्रदेश की बिजली कम्पनियां एक लाख करोड़ से अधिक के घाटे में चल रही हैं। उपभोक्ताओं को दी जा रही मुफ्त बिजली के फेर में घाटे में चल रही बिजली कम्पनियों के लिए गरीबी में आटा गीला वाली स्थिति हो रही है। हालांकि सरकार कम्पनियों को घाटे से पाटने की दिशा में प्रयास करने की बात कर रही है, लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि पूर्ववर्ती सरकार ने राज्य के घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को बिजली के बिल में जो राहत दी थी। क्या वह राहत लोकसभा चुनाव के बाद भी जारी रहेगी। राज्य सरकार ने विधानसभा में विधायकों के प्रश्नों के जवाबों से इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि लोकसभा चुनाव की मतगणना तक यह राहत जारी रहेगी। लेकिन इसके बाद उपभोक्ताओं को झटका लग सकता है। गौरतलब है कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने चुनावी वर्ष में प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट व कृषि उपभोक्ताओं को 2000 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने की घोषणा की थी। इससे प्रदेश के करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं को बिजली के बिलों में राहत मिल रही है। पहले से ही घाटे में चल रही बिजली कम्पनियों का संचित घाटा 1 लाख, 7 655 करोड़ के ऊपर पहुंच गया है। इसमें अकेले वर्ष 2022-23 वर्ष का घाटा 8824.43 करोड़ रुपए का है।
-अजमेर विद्युत वितरण निगम- 28,263.39 करोड़ रुपए
-जयपुर विद्युत वितरण निगम- 29,318,33 करोड़ रुपए
-जोधपुर विद्युत वितरण निगम- 34,488.07 करोड़ रुपए
-राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम- 1448.90 करोड़ रुपए
-राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम- 14,137.11 करोड़ रुपए
-कुल संचित घाटा- 1,07,655.8 करोड़ रुपए