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राजस्थान के BJP विधायक कंवरलाल मीणा ने मनोहर थाना कोर्ट में किया सरेंडर, काटनी होगी 3 साल की सजा

REPORT TIMES : राजस्थान के अंता (बारां) से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बुधवार सुबह सरेंडर कर दिया. वे 10:15 बजे अकलेरा निवास से रवाना होकर कामखेड़ा बालाजी मंदिर गए थे. वहां दर्शन करने के बाद वे सीधे मनोहर थाना कोर्ट पहुंचे और करीब 11:15 बजे सरेंडर कर दिया. सरेंडर के बाद मीणा को जेल भेज दिया जाएगा. 20 साल पहले SDM को पिस्टल दिखाने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में उन्हें 3 साल की सजा हुई है. ट्रायल कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है और सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं दी है.

उप-सरपंच चुनाव के दौरान हुआ था विवाद

3 फरवरी 2005 को झालावाड़ ज़िले के मनोहर थाना क्षेत्र में उपसरपंच चुनाव के दौरान कंवरलाल मीणा ने एसडीएम रामनिवास मेहता की कनपटी पर पिस्टल तान दी थी और वोटों की दोबारा गिनती की धमकी दी थी. मौके पर मौजूद आईएएस अफसर और तहसीलदार ने स्थिति को नियंत्रित किया. कंवरलाल ने विभागीय कैमरे की कैसेट भी तोड़ी और फोटोग्राफर का कैमरा जलाने का प्रयास किया.

ट्रायल कोर्ट ने 2018 में उन्हें बरी कर दिया था

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2018 में उन्हें बरी कर दिया था, लेकिन एडीजे कोर्ट, अकलेरा ने 2020 में उन्हें दोषी करार देते हुए 3 साल की सजा सुनाई. हाईकोर्ट ने एक मई 2025 को यह सजा बरकरार रखी और अब सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली है.

चूंकि कंवरलाल को तीन साल की सजा मिली है, ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 191(1)(e) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 के तहत उनकी विधानसभा सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जा सकती है. कांग्रेस लगातार विधानसभा अध्यक्ष पर दबाव बना रही है कि उनकी विधायकी खत्म की जाए, जबकि बीजेपी इस पर कानूनी और संवैधानिक विकल्पों की तलाश में जुटी है.

सुप्रीम कोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की गई है

कंवरलाल की सजा कम कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की गई है. यदि सजा 3 साल से घटकर 2 साल 11 महीने या उससे कम हो जाती है, तो उनकी विधायकी बच सकती है. कुछ वरिष्ठ भाजपा नेता राज्यपाल के पास दया याचिका दाखिल करने की योजना बना रहे हैं, हालांकि कानूनी विशेषज्ञों का एक वर्ग इसे खारिज कर चुका है.
गुजरात, यूपी और तमिलनाडु जैसे राज्यों में विधायकों की सजा माफ करने के उदाहरण दिए जा रहे हैं, लेकिन माया कोडनानी जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट की रोक का हवाला भी दिया जा रहा है.

स्पीकर वासुदेव देवनानी ने मांगी कानूनी राय

स्पीकर वासुदेव देवनानी ने इस मामले पर राज्य के महाधिवक्ता से तत्काल कानूनी राय मांगी है और आश्वासन दिया है कि राय मिलते ही विधायकी पर विधिसम्मत फैसला लिया जाएगा. हालांकि, अब तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं हुआ है और कांग्रेस इसे डिले टैक्टिक्स बता रही है.

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर कंवरलाल की सदस्यता समाप्त करने की मांग की है. पार्टी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बावजूद विधायक को सदस्यता पर बनाए रखना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है.

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