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मेरठ-अलीगढ में किसका जादू चला, बीजेपी ने कैसे जीत ली बाजी

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उत्तर प्रदेश नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने सभी 17 निगम सीटों पर जीत दर्ज की है. चुनावी नतीजे से साफ है कि राज्य में बाबा का बुल्डोजर इतना पसंदीदा है कि मतदाताओं ने सभी विपक्षी पर चला दिया. खास बात ये रही कि बीजेपी ने उन सीटों पर भी कब्जा कर लिया, जहां हार-जीत का फैसला मुस्लिम मतादाता करते हैं. मेरठ और अलीगढ़ भी उन्हीं सीटों में है, जहां बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की. बीजेपी ने मेरठ में 43,480 हासिल किए तो अलीगढ़ में पार्टी को 54 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं. इन दोनों सीटों पर माना जा रहा है कि विपक्षी दलों को कैंडिडेट सेलेक्शन की वजह से नुकसान हुआ है.

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मेरठ में बीजेपी की शानदार जीत की वजह क्या?

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मेरठ में बीजेपी के लिए यह जीत कई मायनों में खास है. मसलन, मेरठ उन चुनिंदा सीटों में एक है, जहां हार-जीत का फैसला मुस्लिम मतदाताओं के हाथों में है. इसमें दो राय नहीं है कि मुस्लिम बाहुल्य सीट पर वोटों का डिविजन बीजेपी के लिए जीत रास्ता खोलता है. मेरठ में भी ऐसा ही हुआ है. 34 फीसदी मुस्लिम मतदाता वाले इस जिले में बीजेपी ने गैर-मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया. बीजेपी की मंशा भी यही थी. अगर विपक्षी पार्टियां मुस्लिम को टिकट देती है तो वहां बीजेपी की जीत लगभग तय है. हुआ भी ऐसा ही. बीजेपी ने यहां हरिकांत अहलूवालिया को टिकट दिया, तो विपक्षी दलों ने मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए. निगम की इस सीट पर दूसरे स्थान पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम रही, जो दूसरे स्थान पर रही. समाजवादी पार्टी की यहां बड़ी दुर्गति हुई. इससे साफ होता है कि सपा का ‘मुस्लिम-यादव समिकरण’ धरा-का-धरा रह गया.

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अलीगढ़ में बीजेपी ने हासिल कर लिया ‘गढ़’

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अलीगढ़ निगम सीट पर बीजेपी ने लाजवाब जीत दर्ज की है. पार्टी को यहां 54 हजार वोट मिले हैं. अलीगढ़ सीट से बीजेपी ने प्रशांत सिंघल को मैदान में उतारा था. चुनाव में बड़ी जीत की एक बड़ी वजह यह भी है कि बीजेपी ने अपना पसमांदा कार्ड खेल दिया है. यूपी निकाय में जीत ने बीजेपी के इस कार्ड पर मुहर भी लगा दी है. पार्टी ने 89 में 19 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे. 19 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले इस जिले में बीजेपी-आप को छोड़ सभी पार्टियों ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे. ऐसे में मुस्लिम वोट के ध्रुविकरण का सीधा फायदा बीजेपी को हुआ. पिछले चुनाव में अलीगढ़ पर बीएसपी ने कब्जा किया था, लेकिन इस बार बीएसपी रेस से ही बाहर हो गई.2017 के चुनाव में बीएसपी की टिकट पर मोहम्मद फुरकान ने चार बार की विजेता बीजेपी को हराया था. पिछले चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर राजीव अग्रवाल को उतारा था. वह फुरकान से 12 हजार वोटों से हार गए थे. सीधे वोटिंग की शुरुआत के बाद से यह नगर निगम बीजेपी का रहा है. इससे पहले के सभी चुनावों में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.

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