दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के मद्देनजर लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बीच ईद का त्योहार इस वर्ष सादगी से ।लॉकडाउन की पाबंदियों और महामारी के डर के साथ ही बड़ी संख्या में प्रवासियों के शहर से चले जाने के कारण हर साल की तरह इस बार ईद पर वैसी रौनक नहीं दिखेगी। महामारी के कारण जामा मस्जिद और फतेहपुरी मस्जिद समेत शहर की सभी मस्जिदें बंद हैं। अलविदा जुमा (रमजान का आखिरी शुक्रवार) की नमाज भी लोगों ने घरों में ही अदा की। पुरानी दिल्ली के रहने वाले अकरम कुरैशी ने कहा, ईद प्यार का त्योहार है और इस दिन दोस्तों और पड़ोसियों से गले मिला जाता है लेकिन अब कोरोना वायरस के कारण हाथ तक नहीं मिला सकते।
ईद के मौके पर नए कपड़े खरीदने के साथ ही विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं लेकिन पिछले दो महीने से दुकानें बंद हैं। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण त्योहार मनाने के लिए लोगों में उत्साह नहीं है और पैसे की भी कमी है। उन्होंने बताया कि सेवई विशेष तौर पर ईद पर बनायी जाती है लेकिन इस बार जाफराबाद और इंद्रलोक में सेवई बनाने वाले कारखानों में उत्पादन नहीं हुआ, क्योंकि प्रवासी श्रमिक अपने गांव जा चुके हैं। चांदनी चौक में काम करने वाले वाहिद अंसारी ने कहा, पिछले दो महीने से मुझे आधा वेतन ही मिल रहा है। सामान्य तौर पर हमईद पर पूरे परिवार के कपड़े खरीदने के लिए अच्छी खासी रकम खर्च करते थे, लेकिन इस बार सिर्फ बच्चों को ही नए कपड़े दिलवा पाएंगे।