शिवनगरी चिड़ावा के शिवालयों की श्रृंखला में आज हम पहुंचे हैं चिड़ावा के प्रथम मंदिर कल्याणराय जी मंदिर में। स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने इस प्राचीन मंदिर की स्थापना चिड़ावा नगर की स्थापना के साथ ही हुई मानी जाती है।
https://youtu.be/yGv81MHFSR0
करीब साढ़े 500 वर्ष पहले चिड़ावा शहर के बिल्कुल मध्य में कल्याणराय जी को विराजित कर मंदिर की स्थापना की गई। इस मंदिर के साथ ही यहां पर शिवालय में भोलेनाथ भी विराजे। ऐसे में ये मंदिर ऐतिहासिक है। इस मंदिर का शिवलिंग भी काफी चमत्कारी माना जाता है। वहीं नगर सेठ के रूप में पूजित कल्याणराय जी नगर के प्रत्येक जन के आराध्य हैं। कल्याणराय जी की ये मूर्ति कहाँ से आई और कब आई, इसका किसी को पता नहीं है। क्षेत्र में कल्याणराय जी के कई प्रत्यक्ष चमत्कार लोगों ने देखे हैं। मंदिर महंत पं.हीरालाल पुजारी ने बताया कि पुजारी परिवार शुरू से यहां पूजन का जिम्मा सम्भाले हुए हैं। वृहद परिवार होने के चलते अलग-अलग समय में यहां पूजन के लिए पुजारी परिवारों का नम्बर आता है। वहीं मंदिर परिसर में कल्याणराय जी के सामने हनुमान विराजित हैं। वहीं एक तरफ मां भगवती दुर्गा और साईं बाबा की मूर्तियां भी यहां विराजित हैं। आज एकादशी है। आज के दिन हर वर्ष यहां हिंडोला महोत्सव बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन उस बार कॉरोना संक्रमण के चलते महोत्सव नहीं होगा। हालांकि भगवान बाल स्वरूप में हिंडौले यानी झूले में जरूर विराजे हैं। मंदिर के सभा मंडप में बेहद ही सुंदर नक्काशी यहां आने वालों का मन मोह लेती है। इसी तरह रामायण की चौपाइयां दीवारों पर उकेरी गई हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही सामने तुलसी माता विराजित हैं और हनुमानजी महाराज का बड़ा चित्र दीवार पर बनाया हुआ है। मंदिर का बाहरी स्वरूप काफी प्राचीन होने के बावजूद आज भी बेहद आकर्षक लगता है। खास बात ये है कि विवाह समारोह के दौरान निकासी व ढुकाव की रस्म कल्याणराय जी मंदिर में धोक लगाने के बाद ही पूरी होती है। अगर आपका चिड़ावा आना हो तो एक बार जरूर इस अति प्राचीन मंदिर में पधारें और भगवान के दर्शन का लाभ लें। अब दीजिए इजाजत, कल फिर मिलेंगे एक और प्राचीन शिवालय में…हर हर महादेव