शिवनगरी के शिवालयों की श्रृंखला में आज जन्माष्टमी के दिन हम पहुंचे हैं अरड़ावतिया कॉलोनी स्थित बिहारी जी मंदिर में।
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सुलतानिया की बगीची जिसे वर्तमान में सुलतानिया गेस्ट हाउस के नाम से जाना जाता है। इसी परिसर में एक तरफ बना है बिहारी जी का मंदिर। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान कृष्ण बिहारी जी के रूप में विराजे हैं। उनके साथ ठकुरानी जी विराजी हैं। बिहारी जी को यहां विक्रमी संवत 2014 में विराजित कराया गया। भगवान का आज बड़ा मनमोहक श्रृंगार किया गया है। बिहारी जी के बिल्कुल सामने मण्ड में संत पुरुषोत्तमदास जी के चरण चिन्ह विराजित हैं। वहीं संत की एक प्रतिमा भी यहां विराजित है। वहीं पास में ही हनुमानजी महाराज का मण्ड है। इसमें हनुमान जी के तीन विग्रह विराजित हैं। वहीं इन सबसे पहले इस बगीची में संतों ने सैकड़ों साल पहले स्थापित किया शिवलिंग और शिव परिवार की मूर्तियां। वर्तमान पुजारी रमाकांत विनायक बताते हैं कि उनके याद है कि उनके दादा, पिताजी ने यहां पूजा की है। इससे पहले से ही ये शिवालय स्थापित था। शिवालय के प्रवेश द्वार पर शंकर भगवान की नृत्य करते नटराज भंगिमा की मूर्ति बनाई हुई है। स्थापत्य व प्राचीन मूर्तिकला का बेहतरीन उदाहरण यहां देखने को मिलता है। वहीं इसके आसपास सैकड़ों साल पहले हाथ से दीवार पर उकेरे गए चित्र भी मन मोहने वाले हैं। शिवालय में काफी छोटा शिवलिंग है। वहीं इसके बाहर चौक में बड़ी संख्या में पेड़ और पौधे लहलहा रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहे हैं। प्रतिवर्ष इस मंदिर में जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यहां से शोभायात्रा निकाली जाती है, जो भड़ौंदा के पास वृंदावन धाम के बिहारी जी मंदिर तक जाती है। जन्माष्टमी का उत्सव इस बार कॉरोना संक्रमण के चलते केवल पुजारी परिवार की उपस्थिति में ही मनाया जा सकेगा। ऐसे में यहां आने वाले भक्तों में थोड़ी निराशा जरूर है। आप भी इस धार्मिक स्थल पर शिव और बिहारी जी के दर्शनों को जरूर पधारें…अब दीजिए इजाजत..कल फिर मिलेंगे एक और शिवालय में…
हर हर महादेव