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चिड़ावा: गए थे सगाई करने और शादी कर साथ ही ले आए बहु

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समाज एक पॉजिटिव सोच की ओर रुख कर रहा है। जहां अब दहेज के विरुद्ध तो समाज आ ही रहा है
साथ ही अब विवाह समारोह में होने वाली फिजूलखर्ची से भी अब समाज परे हटकर प्रशंसनीय फैसले कर चौंका रहा है। जी हां ऐसा ही के फैसला सैनी समाज के एक परिवार का रहा। सैनी समाज संस्था के पूर्व अध्यक्ष पूर्व पार्षद शिवलाल सैनी अपनी धर्मपत्नी अंजू और परिवार के कुछ लोगों के साथ पिलानी में अपने बेटे मोहित के लिए लड़की देखने गए। यहां नागरमल – गायत्री सैनी की बेटी सुमन शिवलाल सैनी के परिजनों को पसंद आ गई। इसके बाद सगाई समारोह हो रहा था।
इसी दौरान समाज के लोगों ने बैठकर लड़के के पिता शिवलाल और लड़की के पिता नागरमल को बैठाकर विवाह समारोह की फिजूलखर्ची से किनारा कर अभी  मौजूद लोगों की उपस्थिति में ही तुरंत विवाह करने की बात कही। दोनों पक्षों ने इस बात पर आपस में चर्चा की। महिलाओं ने भी आपस में सहमति बनाई। इसके बाद सबकी सहमति होने पर तुरंत ही पंडित ने मंत्रोच्चार के मध्य अग्नि की साक्षी में फेरे करवाकर विवाह सम्पन्न करवा दिया। ऐसे में जहां बेटे के लिए लड़की देखने गया परिवार पिलानी से बहु लेकर घर लौटा। परिवार में इसे लेकर खुशी का माहौल है। इस विवाह को लेकर शिवलाल सैनी का कहना है कि विवाह के बड़े समारोह में लाखों खर्च होते है। ऐसे में इस फिजूलखर्ची की बजाय इस तरह सादगी से विवाह अब समाज के सामने मिसाल बनेगा। उन्होंने समाज के लोगों से इसे अपनाने पर बल दिया।
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इतना ही नहीं, विधानसभा परिसर में शरद पवार के बेहद करीबी समझे जाने वाले नेता जयंत पाटिल के साथ अजित गुट के नेता तटकरे की मुलाकात भी खासे चर्चा में रही है. इसलिए अजित गुट के अलग होने के बाद भी शरद पवार का अजित पवार के साथ मेलजोल विपक्षी पार्टियों को रास नहीं आ रहा है. पवार परिवार राजनीति में नाटकीय फैसलों के लिए जाना जाता रहा है. इसलिए शरद पवार द्वारा पीएम के साथ इस वक्त मंच साझा करना विपक्षी एकता के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है. वैसे भी अजित गुट लगातार दावा कर रहा है कि एनसीपी के दिग्गज शरद पवार को एनडीए खेमे में लाने की तैयारी में वो प्रयासरत है. मंच साझा करना शिष्टाचार या बदलाव की तैयारी? शरद पवार की सियासी चाल शतरंज में घोड़े की तरह होती है. शरद पवार कभी भी सीधी चाल चलने के लिए नहीं जाने जाते हैं. महाराष्ट्र में पहली बार सीएम बनने से लेकर एनसीपी के निर्माण तक के शरद पवार के फैसले हैरान करने वाले रहे हैं. हाल के दिनों में एनसीपी से सन्यास लेने की घोषणा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नाटकीय अंदाज में वापसी शरद पवार की असली राजनीतिक पहचान की बानगी है. मुंबई की तीसरी मीटिंग से पहले पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने के साथ ही शरद पवार हर संभावनाओं को खुला रख रहे रहे हैं. शरद पवार अपने वर्तमान घटक दलों को ये मैसेज तो दे ही रहे हैं कि उनके लिए एनडीए बाहें फैलाए खड़ा है. दरअसल शरद पवार एनडीए और INDIA के बीच अपने राजनीतिक भविष्य के आकलन में जुटे हैं. शरद पवार जानते हैं कि लोकसभा की कम से कम 11 सीटों पर एनसीपी का दबदबा उन्हें महत्वपूर्ण बनाता है. इसलिए सत्ता के संतुलन में एनसीपी की भूमिका कहां बेहतर होगी इसको लेकर सधी हुई चाल को चलने में लगे हुए हैं. वैसे भी शरद पवार ऐसे राजनीतिज्ञ हैं, जो तमाम पीएम के साथ बेहतर संबध रखने के लिए जाने जाते हैं. एनसीपी में टूट के बाद शरद पवार की बेटी सांसद सुप्रिया सूले ने पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला किया था. लेकिन शरद पवार पीएम मोदी की सीधी आलोचना से तब भी बचते नजर आ रहे थे. विपक्षी एकता INDIA की तीसरी बैठक मुंबई में होने वाली है और उससे पहले लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में शरद पवार की मौजूदगी ने तीसरी मुलाकात से पहले राजनीतिक खेला होने की आशंका को काफी बढ़ा दिया है. विपक्ष की टेंशन इस बात को लेकर है कि शरद पवार INDIA की मजबूत पड़ते आधार को भतीजे अजित पवार की तर्ज पर कमजोर करने की कवायद तो नहीं कर रहे हैं.

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