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बिहार में बीजेपी के नीतीश सरकार से बाहर होने के डेढ़ महीने बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को किशनगंज में 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार से 35 सीट जीतने का रास्ता निकालेंगे। शुक्रवार को शाह किशनगंज में बिहार से पार्टी के सभी केंद्रीय मंत्रियों समेत 17 लोकसभा सांसद, पांच राज्यसभा सांसद, 77 विधायक और 23 विधान पार्षदों के साथ खुली चर्चा करेंगे कि 2024 में बीजेपी की जीत के लिए महागठबंधन के जातीय समीकरण की काट क्या है।

एनडीए से जेडीयू के बाहर जाने के बाद बीजेपी बिहार की कम से कम 16 लोकसभा सीटों के लिए नई रणनीति बनाएगी जहां माय समीकरण के वोटर या कोई और जातीय समीकरण मजबूत है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी छोटी से छोटी चीज को ध्यान में रखकर चलेगी और हो सकता है कि इन सीटों पर इलाके की एक प्रभावी जाति से कोई कैंडिडेट भी प्रोजेक्ट करे। अमित शाह इसके अलावा राज्य में संगठन की मजबूती पर भी बात करेंगे।
सीमांचल बीजेपी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है ?
सीमांचल के चार जिलों में बीजेपी के पास सिर्फ अररिया में एक सांसद है जबकि जेडीयू के पास कटिहार और पूर्णिया वहीं कांग्रेस के पास किशनगंज में सांसद हैं। चार में तीन सांसद महागठबंधन के हैं। सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों का हिसाब देखें तो बीजेपी के पास 8 जबकि आरजेडी-कांग्रेस के पास 5-5, जेडीयू के पास 4, सीपीआई-एमएल और एआईएमआईएम के पास 1-1 विधायक हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी महागठबंधन का हिस्सा नहीं है लेकिन नीतीश सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं- “जेडीयू की दो सीट में कटिहार तो गठबंधन में बीजेपी ने उसके लिए छोड़ा था जबकि पूर्णिया सीट 2014 से जेडीयू जीत रही है। बीजेपी किसी पुराने नेता को ले आए तो ये सीट बीजेपी की झोली में आ सकती है।” चर्चा है कि बीजेपी पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को वापस ला सकती है जो 2018 में पार्टी को छोड़ गए थे। संभव है कि अमित शाह के मंच पर ही उदय सिंह वापस भाजपा में शामिल हो जाएं।
किशनगंज सीट को लेकर पार्टी के अंदर यही भाव है कि 70 फीसदी मुसलमान आबादी वाली इस सीट पर बहुत मेहनत का भी कोई नतीजा नहीं निकलने वाला है। किशनगंज के एक वकील पंकज भारती इस हालात में भी बीजेपी की उम्मीद तलाशते हुए कहते हैं- “अगर ओवैसी की पार्टी वोट बांट दे तो चांस बन सकता है।”